उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने अचानक क्यों लिया नॉनवेज छोड़ने का प्रण...राज्यसभा में PM मोदी ने राज खोल दिया
बतौर राज्यसभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन का पहला संसद सत्र, पीएम मोदी ने सदन की ओर बधाई भी दी और राज्यसभा की गरिमा बरकरार रखने का विश्वास दिलाया. इतना ही नहीं उन्होंने उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन के नॉनवेज छोड़ने और अविनाशी मंदिर के तालाब में डूबने की कहानी का राज भी खोल दिया.
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सोमवार से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है. सत्र की शुरुआत काफी गरिमामय माहौल में हुई. सदन में नए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति बने सी.पी. राधाकृष्णन का स्वागत किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनका अभिवादन किया, उन्हें बधाई दी और उनके नेतृत्व पर पूरा भरोसा जताया. उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद यह उनका पहला अवसर था जब उन्होंने राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता की.
PM मोदी ने कर दिया उपराष्ट्रपति से बड़ा वादा!
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि शीतकालीन सत्र की शुरुआत हम सबके लिए गर्व का पल है. उन्होंने कहा कि नए सभापति का स्वागत करना और उनके मार्गदर्शन में देश से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना संसद के लिए बहुत अहम अवसर है. उन्होंने सदन की ओर से उन्हें शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सभी सदस्य उच्च सदन की गरिमा बनाए रखेंगे और सभापति की मर्यादा का भी पूरा ध्यान रखेंगे.
'...ये हमारे लोकतंभ की ताकत'
प्रधानमंत्री ने राधाकृष्णन के जीवन के बारे में बात करते हुए कहा कि वे एक सामान्य किसान परिवार से आते हैं. उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सेवा को समर्पित कर दिया है. राजनीति उनकी मुख्य धारा नहीं थी, बल्कि समाज सेवा उनका मूल उद्देश्य रहा है. युवा काल से लेकर अब तक उन्होंने समाज के लिए लगातार काम किया है और यह बात उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो समाज सेवा की भावना रखते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे साधारण परिवार से उठकर इतने ऊंचे पद तक पहुंचना हमारे लोकतंत्र की असली ताकत को दिखाता है.
सच्ची निष्ठा से सब संभव!
प्रधानमंत्री ने कहा कि वे राधाकृष्णन को लंबे समय से जानते हैं और उनके साथ काम करने का अवसर भी मिला है. प्रधानमंत्री ने बताया कि जब वे कॉयर बोर्ड के चेयरमैन थे, तब उन्होंने उसे ऐतिहासिक रूप से सबसे अधिक मुनाफा कमाने वाली संस्था बना दिया. इससे यह साबित होता है कि यदि किसी संस्था के प्रति सच्ची निष्ठा और समर्पण हो तो उसका कितना विकास किया जा सकता है.
इसके बाद प्रधानमंत्री ने उनके राज्यपाल और लेफ्टिनेंट गवर्नर के कार्यकाल का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन झारखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना और पुडुचेरी जैसे राज्यों में अलग-अलग जिम्मेदारियां निभाते रहे और हर जगह समाज के सबसे वंचित वर्गों के बीच रहकर काम किया. प्रधानमंत्री ने बताया कि झारखंड के आदिवासी समाज से उनका विशेष जुड़ाव था. वे छोटे-छोटे गांवों में जाते थे, लोगों से मिलते थे, उनकी समस्याएं समझते थे. स्थानीय नेताओं ने भी उनकी सरलता और सेवा भाव की हमेशा सराहना की. वे हेलीकॉप्टर न मिलने पर भी गाड़ी से चलते रहते थे, रात को गांवों में रुक जाते थे, फर्क सिर्फ इतना था कि उनके लिए पद कोई बंधन नहीं था.
प्रधानमंत्री ने एक खास बात का ज़िक्र किया कि राधाकृष्णन कभी प्रोटोकॉल के बंधनों में नहीं बंधे. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में यह बहुत बड़ी ताकत होती है. किसी पद का बोझ महसूस न करना और प्रोटोकॉल से ऊपर उठकर जनता के बीच रहना.
जब उपराष्ट्रपति लगे थे अविनाशी मंदिर के तालाब में डूबने?
प्रधानमंत्री ने उनके जीवन के दो महत्वपूर्ण अनुभवों का भी उल्लेख किया. पहला, बचपन में अविनाशी मंदिर के तालाब में लगभग डूबते-डूबते बचना. परिवार वाले बताते हैं कि वह घटना उनके जीवन पर बड़ा असर छोड़ गई. उन्हें ऐसा लगा कि शायद ईश्वर ने उन्हें किसी खास उद्देश्य के लिए बचाया.
दूसरा बड़ा हादसा कोयंबटूर में हुआ बम धमाका था, जिसमें कई लोग मारे गए थे. उस समय भी राधाकृष्णन बाल-बाल बचे थे. इस घटना ने भी उनके मन में समाज सेवा के प्रति और गहरी भावना जगाई. उन्हें लगा कि जब ईश्वर ने उन्हें ऐसे खतरों से बचाया है, तो शायद यह संकेत है कि उन्हें समाज के लिए और अधिक समर्पण के साथ काम करना चाहिए.
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने क्यों छोड़ दिया नॉनवेज खाना?
प्रधानमंत्री ने उनकी एक और बात बताई. उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन पहली बार जब जीवन में काशी गए और मां गंगा से आशीर्वाद लिया, तो उसी दिन उन्होंने नॉनवेज खाना छोड़ने का संकल्प ले लिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बात उनके लिए भी प्रेरणादायक थी कि किसी स्थान की दिव्यता किस तरह किसी व्यक्ति के भीतर सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है. प्रधानमंत्री ने कहा कि राधाकृष्णन की नेतृत्व क्षमता छात्र जीवन से ही दिखती रही है. आज वे राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व की भूमिका निभा रहे हैं और पूरे देश को दिशा देने की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. यह पूरे देश के लिए गर्व की बात है.
सीपी राधाकृष्णन का इमरजेंसी से कनेक्शन?
इसके बाद प्रधानमंत्री ने आपातकाल के समय की बात की. उन्होंने कहा कि जब लोकतंत्र पर संकट आया था, उस कठिन समय में राधाकृष्णन ने संघर्ष का रास्ता चुना. उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया, लोगों को जागरूक किया और जोखिमों के बावजूद पीछे नहीं हटे. वह दौर सीमित संसाधनों का था, लेकिन उनका जज्बा बहुत बड़ा था. प्रधानमंत्री ने कहा कि उस समय जिन युवाओं ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया, वे आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणा रहेंगे.
बेहतरीन संगठक हैं उपराष्ट्रपति: PM मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि राधाकृष्णन एक बेहतरीन संगठक रहे हैं. संगठन में उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी गई, उन्होंने पूरा समर्पण और मेहनत से निभाई. वे हमेशा लोगों को जोड़ने वाले, नई सोच को अपनाने वाले और नई पीढ़ी को अवसर देने वाले नेता रहे हैं. कोयंबटूर की जनता ने उन्हें सांसद बनाकर भेजा. संसद में रहते हुए भी उन्होंने अपने क्षेत्र की समस्याओं और विकास के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया.
अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि राधाकृष्णन का लंबा अनुभव न सिर्फ राज्यसभा बल्कि पूरे देश के लिए बहुत उपयोगी रहेगा. उनके नेतृत्व में यह सदन और अधिक प्रभावी ढंग से काम करेगा. उन्होंने कहा कि इस गौरवपूर्ण पल को सदन के सभी सदस्य जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ाएंगे.
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