दाऊद का खास, छोटा राजन का ‘बाप’ कौन था राजन महादेव? जिसे मोहब्बत ने दर्जी से अंडरवर्ल्ड डॉन बनाया और इश्क ने ही मारा
1970 का दशक. मुंबई में अंडरवर्ल्ड की जड़ें गहरी होती जा रही थी. बड़े-बड़े डॉन वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे थे. उसी वक्त मायानगरी में एक लूट गिरोह सक्रिय हो रहा था. नाम था गोल्डन गैंग. लूट, रंगदारी, फिल्मों की ब्लैक टिकटिंग इस गैंग की पहचान थी. राजन महादेव नायर इस गैंग का सरगना था.
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‘मोहब्बत इंसान को क्या से क्या बना देती है, किसी को मजनू तो किसी को दीवाना बना देती है....’ मशहूर शायर मीर तकी मीर का ये शेर उन आशिकों पर बना है. जिनके लिए मोहब्बत खूबसूरत अहसास के साथ-साथ एक जुनून भी बन जाती है, जुनून भी ऐसा जिसने आम से इंसान को अंडरवर्ल्ड का वो चेहरा बना दिया जो दाऊद इब्राहिम का खास और छोटा राजन का भी उस्ताद कहलाया. ये कहानी है डॉन राजन महादेव नायर उर्फ बड़ा राजन की जो अपनी प्रेमिका के लिए दर्जी से डॉन बन गया. हालांकि जिस प्रेमिका के लिए राजन ने जरायम की दुनिया में एंट्री की उसी ने धोखा देकर राजन के ही साथी से शादी कर ली. चलिए जानते हैं दर्जी से डॉन बड़े राजन की कहानी.
1970 का दशक. मुंबई में अंडरवर्ल्ड की जड़ें गहरी होती जा रही थी. बड़े-बड़े डॉन वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे थे. उसी वक्त मायानगरी में एक लूट गिरोह सक्रिय हो रहा था. नाम था गोल्डन गैंग. लूट, रंगदारी, फिल्मों की ब्लैक टिकटिंग इस गैंग की पहचान थी. राजन महादेव नायर इस गैंग का सरगना था.
प्रेमिका के लिए डॉन बना राजन
राजन महादेव नायर की दुनिया सिलाई मशीन के आस-पास ही घूमती थी. सिलाई से गुजारे भर की कमाई हो जाती थी, लेकिन एक दिन उसे अहसास होता है कि इससे वह अपनी प्रेमिका की जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहा. कमाई के शॉर्टकट के लिए उसने जरायम का रास्ता चुना. शुरुआत छोटी मोटी चोरी से की. फिर एक दिन महंगे टाइपराइटर चुराते हुए पकड़ा गया और जेल चला गया. तीन साल बाद वापस लौटा और अपनी एक गैंग बना ली. गैंग का नाम था गोल्डन गैंग. जो मुंबई में लूट, चोरी, रंगदारी, फिल्मों का टिकट ब्लैक करने जैसे अपराधों को अंजाम देती थी. ये ही गैंग 1970 के बाद राजन गैंग कहलाई.
छोटा राजन का गुरु कैसे बना राजन महादेव नायर?
मुंबई के चेंबूर इलाके से शुरू हुई राजन महादेव की ये गैंग धीरे-धीरे पांव पसार रही थी. अपने गुर्गों की मदद से वह इस गैंग को ऑपरेट करता था. साल आया 1979 उस वक्त राजन गैंग में एक लड़के की एंट्री हुई. नाम था राजेंद्र सदाशिव निखलजे. ये ही लड़का बाद में छोटा राजन बना. गैंग जॉइन करने से पहले छोटा राजन फिल्मों की टिकट ब्लैक करने का काम करता था, लेकिन राजन महादेव की गैंग में उसका कद धीरे-धीरे बढ़ने लगा था. जल्दी ही वह राजन महादेव नायर का करीबी बन गया. राजन ने उसे अंडरवर्ल्ड की बारीकियां सिखाईं. कहा जाता है दाऊद इब्राहिम के कहने पर बड़ा राजन ने उसे अपनी गैंग में शामिल किया था. छोटा राजन उसे अपना गुरु मानता था.
दाऊद को पावरफुल बनाने में बड़ा राजन ने कैसे की मदद?
1980 में बड़ा राजन उर्फ राजन महादेव नायर ने अपने चेले छोटा राजन के साथ मिलकर एक और गैंग खड़ा किया. ये गैंग दाऊद इब्राहिम के जमीन विवाद, बिल्डरों से वसूली, रंगदारी जैसे मामले संभालती थी. कहा जाता है दाऊद इतना पावरफुल न होता अगर बड़ा राजन की गैंग उसके साथ नहीं होती. बड़ा राजन ने छोटे के साथ मिलकर चेंबूर से घाटकोपर तक दबदबा बनाया. दोनों ने तस्करी के धंधे में भी करीम लाला और हाजी मस्तान जैसे डॉन को टक्कर दी.
तमिल डॉन वरदराजन की विरासत संभाली
70 के दशक में तमिल डॉन वरदराजन ईस्ट और नॉर्थ मुंबई में अपने पांव पसार रहा था. इन इलाकों में उसे तमिल लोगों का भी साथ मिलता था. वरदराजन ने हाजी मस्तान की शह पर मुंबई में अंडरवर्ल्ड की दुनिया में अच्छा खास नाम बना लिया था. हालांकि बाद में पुलिस से बचने के लिए वापस मुंबई से मद्रास भाग गया. इसके बाद बड़ा राजन ने उसकी विरासत को संभाला.
प्रेमिका की पति ने बड़ा राजन की हत्या की
साल 1980 में बड़ा राजन ने अपनी गैंग में अब्दुल कुंजू नाम के अपराधी को एंट्री दी. कुंजू राजन की गैंग में कई अहम जिम्मेदारियां संभालने लगा. इस बीच उसकी नजदीकियां बड़ा राजन की प्रेमिका से बढ़ने लगी. अब्दुल कुंजू ने उस दिन बड़ा राजन को सबसे बड़ा झटका दिया जब उसने राजन की प्रेमिका से ही शादी कर ली. जिस राजन ने प्रेमिका के लिए अपराध को हमसाया बना लिया उसी प्रेमिका ने राजन को धोखा दिया. राजन की पूरी दुनिया पलट गई थी. दोनों के बीच की दुश्मनी ने उन्हें एक दूसरे के खून का प्यासा बना दिया. अब्दुल कुंजू राजन की हत्या का प्लान तैयार कर रहा था. साल 1982 में पठान गिरोह ने कोर्ट के बाहर राजन महादेव नायर उर्फ बड़ा राजन की गोली मारकर हत्या कर दी. इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड अब्दुल कुंजू था.
छोटा राजन का मकसद बना गुरु की मौत का बदला
बड़ा राजन की हत्या से उसका चेला छोटा राजन बूरी तरह टूट गया. अब उसका एक ही मकसद था वो थी अब्दुल कुंजू की मौत. छोटा राजन ने कई बार कुंजू को मारने की कोशिश की. उसके मन में छोटा राजन का डर इस कदर बैठ गया कि अब्दुल कुंजू ने साल 1983 में खुद ही पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. हालांकि जेल में भी छोटा राजन ने कुंजू को कई बार मरवाने की कोशिश की. यहां तक हॉस्पिटल में घुसकर अब्दुल कुंजू की हत्या करवाने की कोशिश की, लेकिन यहां भी उसे सफलता नहीं मिली.
दाऊद का राइट हैंड बनकर लिया बदला
साल 1984 तक छोटा राजन दाऊद इब्राहिम का खास बन गया था, लेकिन यहां भी उसके दिमाग में अपने उस्ताद के हत्यारे की मौत का प्लान ही चलता था. एक दिन छोटा राजन को पता चला कि अब्दुल कुंजू किसी खेल मैदान में आने वाला है. फिर क्या था छोटा राजन ने उसे भरे मैदान में गोलियों से भून दिया और आखिरकार अपने गुरु की हत्या का बदला ले लिया. आगे चलकर छोटा राजन ने बड़े राजन की विरासत संभालने के साथ-साथ दाऊद के करीबियों में जगह बनाई और फिर दाऊद के बाद मुंबई का सबसे बड़ा डॉन बना.
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