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'ये माफी के काबिल नहीं...', मस्जिद में सपा सांसदों की बैठक को लेकर अखिलेश पर भड़के मौलाना तौकीर रजा

संसद के मानसून सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव पर आरोप लगा कि उन्होंने संसद भवन के पास स्थित मस्जिद में बैठक की. इस पर मुस्लिम धर्मगुरुओं, खासकर मौलाना तौकीर रज़ा ने कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि मस्जिद इबादत की जगह है, सियासत की नहीं. हालांकि मौलाना ने आशंका जताई कि हो सकता है यह कोई औपचारिक बैठक न न हुई हो.

24 Jul, 2025
( Updated: 25 Jul, 2025
11:40 AM )
'ये माफी के काबिल नहीं...', मस्जिद में सपा सांसदों की बैठक को लेकर अखिलेश पर भड़के मौलाना तौकीर रजा

संसद के मानसून सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एक बार फिर सियासी विवादों के केंद्र में हैं. विवाद की जड़ है संसद भवन के पास स्थित एक मस्जिद, जहां कथित तौर पर अखिलेश यादव ने पार्टी सांसदों के साथ बैठक की. जैसे ही इस मामले की खबरें सामने आईं, देश के कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी. खासतौर पर बरेली के मौलाना तौकीर रज़ा ने इसे मस्जिद की गरिमा के खिलाफ बताते हुए सख्त शब्दों में निंदा की. 

क्या वाकई मस्जिद में हुई बैठक? 

आईएएनएस को दिए एक इंटरव्यू में मौलाना तौकीर रज़ा ने कहा कि उन्हें वायरल हो रही तस्वीरों के जरिए इस बैठक की जानकारी मिली, लेकिन उन्हें यकीन नहीं कि मस्जिद के भीतर कोई राजनीतिक बैठक हुई होगी. उनका मानना है कि हो सकता है कि संसद से निकलने के बाद सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी, जो कि उसी मस्जिद के इमाम भी हैं, उन्होंने अखिलेश यादव को चाय या जलपान के लिए आमंत्रित किया हो. फिर भी उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अगर सच में मस्जिद के भीतर बैठक की गई है, तो यह निंदनीय है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. मौलाना तौकीर रज़ा ने यह भी कहा कि इबादतगाहों को राजनीतिक गतिविधियों से दूर रखना बेहद जरूरी है. उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौर में कुछ मस्जिदों का प्रयोग अंग्रेजों के खिलाफ गुप्त मीटिंग्स के लिए किया गया था, लेकिन आज़ाद भारत में यह परंपरा नहीं होनी चाहिए. मस्जिद केवल इबादत की जगह है, न कि सियासी रणनीतियों की. 

सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी पर भी सवाल

इस पूरे प्रकरण में सपा सांसद और मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. भाजपा ने जहां इस पूरे मामले पर सख्त रवैया अपनाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की चेतावनी दी है, वहीं कई धार्मिक नेताओं ने यह मांग की है कि नदवी जैसे लोगों को अपने दोहरे पद को लेकर सजग रहना चाहिए. धर्म और राजनीति का ऐसा मिश्रण मस्जिद की पवित्रता को ठेस पहुंचा सकता है.

धर्मनिरपेक्षता पर मौलाना का संदेश

मौलाना तौकीर रज़ा ने इस अवसर पर धर्मनिरपेक्षता और आपसी भाईचारे की बात भी की. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अपनी पहचान पर गर्व होना चाहिए, न कि शर्म. साथ ही टोपी पहनकर या धार्मिक प्रतीकों के जरिए नफरत फैलाने की राजनीति किसी भी रूप में स्वीकार नहीं की जा सकती. उन्होंने नेताओं से आग्रह किया कि वे इबादत की जगहों का राजनीतिक इस्तेमाल न करें और न ही ऐसी हरकतों से आम जनता की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएं.

अखिलेश ने बीजेपी पर किया था पलटवार 

बीजेपी द्वारा मस्जिद में बैठक को लेकर लगाए गए आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने भाजपा पर पलटवार करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि बीजेपी को तकलीफ इस बात से है कि कोई समाज को जोड़ने का प्रयास करता है. उन्होंने कहा कि आस्था जोड़ती है, धर्म जोड़ता है. लेकिन बीजेपी चाहती है कि समाज में बंटवारा हो, लोग एक-दूसरे से कटें रहें. 

राजनीति और इबादत के बीच की लकीर

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यह मामला केवल अखिलेश यादव से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि पूरे भारतीय लोकतंत्र और धार्मिक संस्थाओं की मर्यादा से जुड़ा है. जब एक मस्जिद, जो कि धार्मिक आस्था का केंद्र होती है, राजनीतिक बैठकों का स्थान बनने लगे तो यह केवल विवाद नहीं, बल्कि एक सामाजिक चिंता का विषय बन जाता है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि धार्मिक स्थल राजनीति का मंच नहीं हो सकते. अगर किसी राजनीतिक दल या नेता ने इस मर्यादा का उल्लंघन किया है तो उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.

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