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UP में अब जींस-टीशर्ट नहीं पहन सकेंगे टीचर, डीएम ने लागू कराया ड्रेस कोड

UP: परिषदीय स्कूलों में शिक्षक सिर्फ पढ़ाने का काम नहीं करते, बल्कि बच्चों के लिए एक उदाहरण भी होते हैं. बच्चे उनके व्यवहार, बोलचाल और पहनावे से बहुत कुछ सीखते हैं. इसी वजह से प्रशासन चाहता है कि शिक्षक फॉर्मल ड्रेस में रहें.

Image Source: Social Media

UP Teachers Dress Code: उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में सरकारी यानी परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के लिए अब नया ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है. इस नियम के तहत पिसवां ब्लॉक के सभी शिक्षक अब स्कूल में जींस और टी-शर्ट पहनकर नहीं आ सकेंगे. उन्हें पढ़ाने के दौरान फॉर्मल कपड़े पहनना अनिवार्य होगा. इस संबंध में शुक्रवार को पिसवां के खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) अवनीश कुमार ने एक लिखित आदेश जारी किया है. आदेश जारी होते ही शिक्षकों के बीच इस विषय पर बातचीत और चर्चा शुरू हो गई है.

डीएम के निरीक्षण के बाद लिया गया फैसला

यह फैसला उस समय लिया गया जब जिले के जिलाधिकारी डॉ. राजागणपति आर. ने गुरुवार को परसेंडी ब्लॉक के उच्च प्राथमिक विद्यालय बेदौरा का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान स्कूल में कई कमियां देखने को मिलीं, जिन पर डीएम ने नाराजगी जाहिर की. उन्होंने यह भी देखा कि कुछ शिक्षक ऐसे कपड़े पहनकर स्कूल आए थे जो स्कूल के माहौल के हिसाब से ठीक नहीं थे. डीएम का कहना था कि शिक्षक बच्चों के लिए आदर्श होते हैं, इसलिए उनका पहनावा भी सादा, सभ्य और अनुशासित होना चाहिए.

फॉर्मल ड्रेस पहनना अब जरूरी

डीएम के निर्देश के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी अखिलेश प्रताप सिंह ने सभी संबंधित अधिकारियों को आदेश का पालन कराने को कहा. इसके बाद बीईओ अवनीश कुमार ने साफ तौर पर निर्देश जारी किया कि अब परिषदीय स्कूलों में शिक्षक जींस, टी-शर्ट या किसी भी तरह के कैजुअल कपड़े पहनकर स्कूल नहीं आएंगे.  पुरुष शिक्षकों को शर्ट-पैंट और महिला शिक्षिकाओं को साड़ी या अन्य सभ्य फॉर्मल कपड़े पहनने होंगे। इसका मकसद स्कूलों में अनुशासन और गंभीरता का माहौल बनाना है.

शिक्षकों की मिली-जुली प्रतिक्रिया

इस नए आदेश को लेकर शिक्षकों की राय अलग-अलग है. कुछ शिक्षक इसे अच्छा कदम बता रहे हैं और कह रहे हैं कि इससे स्कूल की छवि सुधरेगी और बच्चों पर अच्छा असर पड़ेगा. वहीं कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जो मानते हैं कि इस तरह का ड्रेस कोड उनकी व्यक्तिगत आज़ादी में दखल है उनका कहना है कि पढ़ाने की गुणवत्ता कपड़ों से नहीं बल्कि मेहनत और लगन से आती है.

प्रशासन का पक्ष और निगरानी

शिक्षा विभाग और प्रशासन का मानना है कि सरकारी स्कूलों की छवि सुधारने के लिए यह फैसला जरूरी है। बच्चों में अनुशासन और संस्कार तभी आएंगे जब वे अपने शिक्षकों को सलीके और मर्यादा में देखेंगे। प्रशासन ने यह भी साफ किया है कि इस आदेश का पालन कराया जाएगा और समय-समय पर इसकी जांच भी की जाएगी, ताकि कोई नियम तोड़ न सके.

शिक्षक हैं बच्चों के आदर्श

परिषदीय स्कूलों में शिक्षक सिर्फ पढ़ाने का काम नहीं करते, बल्कि बच्चों के लिए एक उदाहरण भी होते हैं. बच्चे उनके व्यवहार, बोलचाल और पहनावे से बहुत कुछ सीखते हैं. इसी वजह से प्रशासन चाहता है कि शिक्षक फॉर्मल ड्रेस में रहें, जिससे उनकी एक अच्छी और जिम्मेदार छवि बने. माना जा रहा है कि इस कदम से स्कूलों में अनुशासन बढ़ेगा और पढ़ाई का माहौल और बेहतर होगा.

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