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'...गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वरा' गाना ही बेकार है', शिक्षकों की स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने की बड़ी टिप्पणी, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कॉन्ट्रैक्चुअल असिस्टेंट प्रोफेसर को मात्र 30 हजार रुपये की सैलरी दी जा रही है, जबकि ऐड हॉक और रेग्युलर असोसिएट प्रफेसर का वेतन 1.2 से 1.4 लाख रुपये के बीच है. अगर उन्हें सम्मानजनक वेतन भी नहीं मिल पा रहा है तो फिर 'गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वरा' गाना ही बेकार है.

Supreme Court of India

देश में शिक्षकों की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर उन्हें सम्मानजनक वेतन भी नहीं मिल पा रहा है तो फिर 'गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वरा' गाना ही बेकार है. 

गुजरात सरकार की आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कॉन्ट्रैक्चुअल असिस्टेंट प्रोफेसर को मात्र 30 हजार रुपये की सैलरी दी जा रही है, जबकि ऐड हॉक और रेग्युलर असोसिएट प्रफेसर का वेतन 1.2 से 1.4 लाख रुपये के बीच है. 

बेंच ने क्या कहा? 

जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा, जो शिक्षक हमारी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य तय करते हैं और उन्हें आने वाले समय के लिए तैयार करते हैं, उनके साथ ही इस तरह का व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. 
बेंच ने कहा, किसी भी देश के लिए शिक्षक रीढ़ की हड्डी की तरह होते हैं जो कि हमारे बच्चों को भविष्य की चुनौतियों और अच्छा जीवन जीने के लिए तैयार करते हैं. शिक्षक ही इस समाज में अपनी रिसर्च, विचारों और मूल्यों के जरिए प्रगति का रास्ता दिखाता है. 

समाज में शिक्षकों के लिए ‘सुप्रीम’ चिंता 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बड़ी ही चिंता की बात है कि समाज में शिक्षक के अमूल्य योगदान को पहचाना नहीं जा रहा है. कोर्ट ने कहा, अगरशिक्षकों को सम्मानजनक वेतन भी नहीं मिलेगा तो देश में ज्ञान और बौद्धिक सफलता को भी सही स्थान नहं मिल पाएगा. 

बता दें कि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सरकार को निर्देश दिया था कि इस मामले में 'समान कार्य, समान वेतन' के सिद्धांत का पालन किया जाए. 

‘शिक्षकों की कमी से शिक्षा का कार्य बाधित हो रहा’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह बड़ी ही चिंता की बात है कि असिस्टेंट प्रोफेसर को पिछले दो दशक से इतनी कम सैलरी दी जा रही है. हमें जानकारी मिली है कि 2720 रिक्तियां थीं जिनमें से अब तक 923 पोस्ट पर ही स्थायी भर्ती हुई है. शिक्षकों की कमी से शिक्षा का कार्य भी बाधित हो रहा है. जानकारी के मुताबिक 158 ऐड हॉक और 902 कॉन्ट्रैक्चुअल असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्तियां हुई थीं. वहीं 737 पोस्ट अब भी खाली हैं. कोर्ट ने कहा कि बड़ी संख्या में जगहें खाली होने के बावजूद केवल ऐड हॉक और कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर शिक्षक रखे जा रहे हैं. 

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