अमेरिका में छिपा था पंजाब का मोस्ट वांटेड आतंकी हैप्पी पासिया, NIA ने किया गिरफ्तार, जानिए कब आएगा भारत?
एनआईए को बड़ी सफलता मिली है. अमेरिका के सैक्रामेंटो से खालिस्तानी आतंकी हैप्पी पासिया को FBI और ICE ने गिरफ्तार किया है. उस पर पांच लाख रुपये का इनाम था. पासिया अमृतसर का रहने वाला है. इसने पंजाब में 16 से ज्यादा आतंकी वारदातों में शामिल रहा, जिनमें ग्रेनेड और IED हमले प्रमुख हैं. अब उसे भारत लाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए को आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. खालिस्तानी आतंकी हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पासिया को अमेरिका के सैक्रामेंटो शहर से गिरफ्तार कर लिया गया है. यह गिरफ्तारी एफबीआई और अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) की संयुक्त कार्रवाई में 17 अप्रैल को की गई थी. भारतीय एजेंसियां अब उसे भारत लाने की प्रक्रिया में तेजी से जुटी हुई हैं और जल्द ही वह दिल्ली एयरपोर्ट के जरिए भारत की ज़मीन पर कदम रखेगा. हैप्पी पासिया पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था और उसके खिलाफ गंभीर आतंकी आरोप पहले से ही दर्ज हैं. उसकी गिरफ्तारी ने पाकिस्तान प्रायोजित खालिस्तानी नेटवर्क की कमर तोड़ दी है.
दहशत का दूसरा नाम बन चुका था हैप्पी पासिया
अमृतसर के पासिया गांव का रहने वाला हरप्रीत सिंह, पहले जग्गू भगवानपुरिया गैंग का हिस्सा रहा और बाद में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और खालिस्तानी आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल यानी बीकेआई के संपर्क में आया. इन संगठनों के इशारे पर उसने पंजाब में दहशत फैलाने का काम किया. एनआईए की जांच में सामने आया है कि 2023 से 2025 के बीच वह 16 से ज्यादा आतंकी घटनाओं में शामिल रहा. इनमें से 14 ग्रेनेड हमले, एक IED विस्फोट और एक आरपीजी यानी रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड हमला शामिल है. ये हमले धार्मिक स्थलों, पुलिस स्टेशनों और राजनीतिक हस्तियों को निशाना बनाकर किए गए, जिससे पंजाब में डर और अराजकता का माहौल पैदा हो गया था.
कई घटनाओं की दिय अंजाम
हैप्पी पासिया के नाम एक के बाद एक कई खौफनाक आतंकी हमले दर्ज हैं. 27 नवंबर 2024 को गुरबख्श नगर की बंद पुलिस चौकी पर ग्रेनेड फेंका हमला. 2 दिसंबर को SBS नगर के काठगढ़ थाने पर ग्रेनेड विस्फोट हुआ, जिसमें तीन आतंकियों की गिरफ्तारी हुई. 4 दिसंबर को मजीठा थाने पर हमला किया गया. इस हमले को पहले टायर फटने की घटना बताया गया, लेकिन बाद में यह आतंकी हमला साबित हुआ. 13 दिसंबर को बटाला के अलीवाल थाने पर हमला हुआ, जिसकी जिम्मेदारी हैप्पी पासिया ने खुद ली. इसके बाद 17 दिसंबर को इस्लामाबाद थाने पर धमाका हुआ, जिसे पुलिस ने दबाने की कोशिश की लेकिन पंजाब डीजीपी ने इसे आतंकी कार्रवाई माना. जनवरी और फरवरी में भी कई थानों और मंदिरों को निशाना बनाया गया. 15 मार्च 2025 को ठाकुरद्वारा मंदिर पर हमला किया गया, जिसमें शामिल आतंकी गुरसिदक सिंह मुठभेड़ में मारा गया.
पासिया की अंतरराष्ट्रीय साजिश और डिजिटल चालबाज़ी
हैप्पी पासिया का नेटवर्क केवल भारत तक सीमित नहीं था. वर्ष 2018 में वह दुबई गया. 2019 में भारत लौटा, लेकिन 2020 में यूके और फिर 2021 में मेक्सिको के रास्ते वह अवैध रूप से अमेरिका पहुंचा. वहां उसने खुद को छिपाने के लिए बर्नर फोन, फेक डॉक्यूमेंट और एन्क्रिप्टेड चैटिंग ऐप्स का इस्तेमाल किया. वह आईएसआई के अफसरों के सीधे संपर्क में था और BKI जैसे आतंकी संगठनों से लगातार निर्देश प्राप्त कर रहा था. एनआईए की जांच में यह भी सामने आया है कि पासिया पंजाब में आतंक और उगाही का नेटवर्क खड़ा कर चुका था. शराब कारोबारी, हिंदू नेता और पुलिस अधिकारी उसके टारगेट पर रहते थे.
भारत-अमेरिका सहयोग की बड़ी मिसाल बना यह मामला
एनआईए ने हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पासिया के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA के तहत मुकदमा दर्ज किया है. साथ ही उसके खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया था. पंजाब पुलिस और भारतीय एजेंसियों ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ मिलकर खुफिया जानकारियां साझा कीं और कई महीनों की मेहनत के बाद उसे अमेरिका में ट्रैक कर लिया गया. अब भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते आतंकवाद विरोधी सहयोग की मिसाल बनकर उभरा है. इससे भारत को यह ताकत मिली है कि वह सीमा पार से संचालित हो रहे आतंकी नेटवर्क को खत्म करने की दिशा में ठोस कदम उठा सके.
भारत में जैसे ही पासिया की वापसी होगी, उससे कड़ी पूछताछ और अदालत में ट्रायल की शुरुआत होगी. यह गिरफ्तारी न केवल पंजाब की सुरक्षा व्यवस्था के लिए राहत लेकर आई है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि अब दुनिया के किसी भी कोने में छिपे आतंकियों के लिए बचना मुश्किल है. एनआईए और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की यह कार्रवाई आने वाले समय में आतंक के खिलाफ और भी निर्णायक साबित हो सकती है.