कोलकाता कांड के आरोपी को उम्रकैद से भड़की जनता, फिर गूंजा We Want Justice का नारा
Kolkata कांड के दोषी संजय रॉय को अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है लेकिन परिवार इस फैसले से नाखुश है वहीं, कोलकाता के डॉक्टर्स फिर एक बार सड़कों पर उतर आए हैं.
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निर्भया केस… जब दिल्ली की सड़कों पर एक लड़की से हैवानियत की सारी हदें पार हो गईं थीं। चलती बस में एक लड़की से दरिंदगी के बाद हुई उसकी मौत के मामले में हर किसी का खून खौल उठा था। बच्चे, युवा, बुजुर्ग सब सड़कों पर उतर आए देशभर में घटना के खिलाफ गुस्सा था। हर कोई दोषियों के लिए फांसी की सजा मांग रहा था और अदालत से मिली सजा ए मौत के बाद उन दरिंदों को फांसी पर भी लटका दिया गया। इस वारदात के ठीक 12 साल बाद एक बार फिर सड़कों पर ऐसा ही गुस्सा दिखा। "We want justice" के नारे लगे और फिर एक बार मांग उठी फांसी की। 9 अगस्त 2024 में कोलकाता के आरजीकर मेडिकल कॉलेज में हुई ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले ने जघन्य कांड ने फिर एक बार निर्भया कांड की याद दिला दी थी। कोलकाता की सड़कों से शुरू हुआ ये आक्रोश पूरे देश की सड़कों पर दिखा। देशभर के डॉक्टरों ने ड्यूटी छोड़ एक ही मांग कर रहे थे— सजा ए मौत। क्योंकि इस बार मुद्दा एक महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी और हत्या का था। मुद्दा डॉक्टरों की सुरक्षा का था।
देश भर में छाए कोलकाता के आरजीकर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से हुए रेप और हत्या के मामले में कुछ ही दिनों पहले कोलकाता की सियालदाह कोर्ट ने आरोपी संजय रॉय को दोषी करार दिया था और आज उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। संजय रॉय को मरते दम तक जेल में रहने की सजा दी गई है। साथ ही 50 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। हालांकि CBI ने संजय रॉय के लिए फांसी की सजा की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इस केस को रेयरेस्ट ऑफ रेयर नहीं माना, इसलिए मौत की सजा से इंकार कर दिया। सजा सुनाने से पहले एक बार फिर कोलकाता के डॉक्टर्स और मेडिकल के छात्र कोर्ट के बाहर जमा हो गए और संजय रॉय को फांसी की सजा देने की मांग की। फैसला आने के बाद भी लोगों में गुस्सा दिखा।
फैसले से निराश पीड़िता का परिवार
अदालत के फैसले से ट्रेनी डॉक्टर का परिवार हैरान है। उन्होंने फैसले पर निराशा जताई है। उन्होंने दावा किया कि पहले तो मामले की जांच सही से नहीं की गई। ऊपर से अदालत का ये फैसला चोट पहुंचाने वाला है। पीड़िता के माता-पिता ने मुआवजे के 17 लाख रुपए लेने से भी इंकार कर दिया। दरअसल, कोर्ट ने दोषी संजय रॉय की सजा का ऐलान करते हुए बंगाल सरकार को निर्देश दिया था कि पीड़िता के परिवार को 17 लाख का मुआवजा दिया जाए। जिसे लेने से पीड़िता के परिवार ने साफ इंकार कर दिया। परिवार अब सियालदाह कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेगा।
उम्रकैद की सजा पर भड़की TMC
कोर्ट के फैसले पर सियालदाह कोर्ट से सियासी रिएक्शन भी सामने आए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने निराशा जताते हुए कहा, "ये केस जबरदस्ती कोलकाता पुलिस से लेकर CBI को सौंपा गया। अगर पुलिस मामले की जांच करती तो कोर्ट में पर्याप्त सबूत देती, जिसके आधार पर संजय रॉय की फांसी की सजा कंफर्म होती।"
वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी भी फैसले से असंतुष्ट दिखे। उन्होंने आरोप लगाया कि केस की जांच भी सही से नहीं हुई। इस वारदात के कई किरदार थे लेकिन सामने आया एक।
18 जनवरी को दोषी साबित हुआ संजय रॉय
आरोपी संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत दोषी ठहराया गया था। 18 जनवरी को कोर्ट ने संजय को दोषी ठहराने के बाद सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने फोरेंसिक रिपोर्ट को सजा का आधार बनाते हुए उसे दोषी माना। लेकिन सियालदाह कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दोषी और पीड़ित परिवार दोनों ही हाई कोर्ट में अपील कर सकते हैं। हाईकोर्ट भी अगर सजा को बरकरार रखता है तो सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की जा सकती है।
इस मामले में CBI ने 3 लोगों को आरोपी बनाया था, जिसमें मुख्य आरोपी संजय रॉय के साथ आरजीकर मेडिकल कॉलेज के उस वक्त के प्रिंसिपल संदीप घोष को भी अरेस्ट किया गया। लेकिन बाद में घोष को इस मामले में जमानत दे दी गई। 5 महीने की लड़ाई के बाद दोषी को सजा तो मिल गई, लेकिन पीड़िता का परिवार इस सजा को नाकाफी मान रहा है। परिवार का कहना है कि निर्भया की मां की तरह वे भी आखिरी दम तक अपनी बेटी के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ेंगे क्योंकि इंसाफ अभी बाकी है।
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