वक्फ कानून को लेकर बिहार में तेज हुआ सियासी संग्राम, राजद या जदयू असली गिरगिट कौन ?
संसद से वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही बिल कानून का रूप ले चुका है। लेकिन इसको लेकर सियासी राज्य बिहार में सरगर्मी बढ़ी हुई है। एनडीए और विपक्ष की इंडिया गठबंधन के बीच लगातार पोस्टरबाजी हो रही है।
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बिहार में विधानसभा के चुनाव के लिए कुछ महीनो का समय बचा है। इसको लेकर सियासी दलों की तैयारियां चल रही है। वही संसद से वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही बिल कानून का रूप ले चुका है। लेकिन इसको लेकर सियासी राज्य बिहार में सरगर्मी बढ़ी हुई है। एनडीए और विपक्ष की इंडिया गठबंधन के बीच लगातार पोस्टरबाजी हो रही है। इन सबके केंद्र में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू है जिसने सदन में बीजपी का इस बिल को लेकर समर्थन किया।
बात गिरगिट पर क्यों आई ?
दरअसल, बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी की पहचान एक सेक्यूलर पार्टी के तौर पर की जाती है। यही वजह है की वक्फ के मुद्दे पर जेडीयू ने अपना समर्थन जैसे ही सरकार को दिया तो राजद ने विरोध शुरू कर दिया। बिहार के अलग-अलग जिलों में राजद ने जेडीयू के विरोध में प्रदर्शन से लेकर जमकर पोस्टर वार किया है। पार्टी ने नीतीश कुमार को गिरगिट बताते हुए पोस्टर लगाए तो जवाब में जदयू ने भी साल 2010 में लोकसभा में दिए गए लालू यादव के भाषण का हवाला देते हुए आरोप लगाए है। जेडीयू ने लालू यादव के उस बात का ज़िक्र किया है जिसमें उन्होंने वक्फ के सख़्त कानून की मांग की थी। और अब लालू यादव की पार्टी इस कानून का विरोध कर रही है। इस तरह बिहार में असली गिरगिट कौन है यह सियासी लड़ाई शुरू हो गई है।
जदयू ने किया अपना बचाव
वही आगामी चुनाव की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जेडीयू ने भी अपनी सफ़ाई पेश की है ताकि चुनाव में उसमें मुस्लिम वोट बैंक की नाराजगी का सामना न करना पड़े। पार्टी ने इस बात का दावा किया कि उसने जेपीसी द्वारा इसकी सभी पांच प्रमुख सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद ही कानून का समर्थन किया। पार्टी का कहना है कि इस कानून से किसी मुस्लिम का नुकसान नहीं होगा बल्कि गरीब मुस्लिमों का फ़ायदा होगा।
तेजस्वी ने खा ली कसम
वही तेजस्वी यादव भी चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए शुरू से इस बिल के विरोध में मुखर रहे। उन्होंने इस कानून को पूरे तरह से असंवैधानिक के क़सम खाई की अगर इंडिया गठबंधन सत्ता आमें आया तो इसे ख़त्म कर दिया जाएगा। यह विधेयक लागू नहीं होगा। वही बीच बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसका इस कानून का समर्थन करते हुए इसे आवश्यक सुधार बताया।
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