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'अब किराए के 1,500 करोड़ रुपए बचेंगे...', कर्तव्य भवन से पीएम मोदी का संबोधन, कहा - यह भारतीयों के सपनों को साकार करने की तपोभूमि है

प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली स्थित कर्तव्य भवन से देर शाम अपना संबोधन दिया. उन्होंने इस भवन की खासियतों के बारे में बताते हुए कहा कि अलग-अलग मंत्रालयों के 1,500 करोड़ रुपए किराए के बचेंगे. कई दशकों से ब्रिटिश काल में बने भवनों में कई मंत्रालय चल रहे थे, जहां की स्थिति काफी ज्यादा जर्जर थीं और सुविधाओं का भी अभाव था.

प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली स्थित कर्तव्य भवन का आज दोपहर में उद्घाटन किया. उसके बाद देर शाम एक सार्वजनिक कार्यक्रम में इसी भवन से अपना संबोधन दिया. इस भवन के निर्माण की जरूरत क्यों पड़ी? इसको लेकर पीएम मोदी ने कहा कि पहले अलग-अलग मंत्रालयों को एक से दूसरे जगह जाना होता था. करीब 5 से 10 हजार कर्मचारी परेशान होते थे, इससे समय और मेहनत दोनों लगती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. कर्तव्य भवन से 1,500 करोड़ रुपए महीने बचेंगे. उन्होंने कहा कि यह भवन केवल इमारत नहीं है, बल्कि करोड़ों भारतीयों के सपने को साकार करने की तपोभूमि है. देश के प्रशासनिक काम ब्रिटिश काल से बने भवनों में चलती आ रही हैं, जिनकी स्थिति बेहद खराब थी. कर्तव्य भवन देश की दिशा तय करेगी. यहीं से राष्ट्र के लिए निर्णय लिए जाएंगे. 

'भारत के लिए महत्वपूर्ण निर्णय इसी भवन से लिए जाएंगे'

प्रधानमंत्री मोदी ने कर्तव्य भवन से अपने संबोधन में कहा कि यह भवन केवल कुछ नए भवन और सामान मूलभूत सुविधाएं नहीं है. अमृत काल में इन्हीं भवनों में विकसित भारत की नीतियां बनेंगी. विकसित भारत के कई महत्वपूर्ण निर्णय भी इसी भवन से लिए जाएंगे. यह आने वाले दशकों में राष्ट्र की दिशा तय करेगी. इस इमारत को काफी मंथन के बाद कर्तव्य भवन का नाम दिया गया. यह सिर्फ एक भवन नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के सपनों को साकार करने वाली तपोभूमि है. 

'ब्रिटिश काल में बनी इमारतों में प्रशासनिक मशीनरी चल रही थी'

पीएम मोदी ने आगे कहा कि आजादी के बाद से ही देश की प्रशासनिक मशीनरी कई दशकों से जर्जर हो चुके और बेहद खराब स्थिति में ब्रिटिश काल में बनी इमारतों में ही चल रहा था. यहां पर रोशनी की कमी, वेंटिलेशन की कमी और इसके अलावा जगह की भी कमी थी. गृह मंत्रालय आवश्यक संसाधनों और सुविधाओं के अभाव के चलते एक सदी से ज्यादा समय तक इन्हीं इमारतों में काम करता रहा. यह कर्तव्य भवन देश की दिशा तय करेगी और यहीं से राष्ट्र के लिए कई अहम निर्णय लिए जाएंगे. काफी मंथन के बाद यह नाम दिया गया है. कर्तव्य ही आरंभ है,  कर्तव्य ही प्रारब्ध है. राष्ट्र के प्रति भक्ति भाव है कर्तव्य.

'कर्मचारियों को एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय में जाना-आना होता है'

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे अपने संबोधन में कहा कि हर रोज 8 से 10 हजार कर्मचारी एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय का चक्कर लगाते थे. इसमें आने-जाने में भी काफी ज्यादा खर्च होता था. इससे काम में इंएफिसियेंसी के अलावा कुछ नहीं होता है. 21वीं सदी में ऐसी इमारतें चाहिए, जो तकनीकी, सुरक्षा और सुविधा के ख्याल से बेहतरीन हो, जहां कर्मचारी काम करते वक्त खुद को सहज महसूस कर सके और फैसला तेजी से ले सके. 

'एक holistic vision के निर्माण में जुटा भारत'

उन्होंने कहा कि भारत सरकार एक holistic vision के साथ भारत के नव-निर्माण में जुटी हुई है. यह तो पहला कर्तव्य भवन पूरा हुआ है, ऐसे कई कर्तव्य भवनों के निर्माण काफी तेजी से चल रहे हैं. देश का कोई भी ऐसा हिस्सा नहीं है, जो विकास की धारा से अछूता हो.

'1,500 करोड़ रुपए किराए के बचेंगे'

कर्तव्य भवन से प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि केंद्रीय सचिवालय की 10 इमारतों के निर्माण से केंद्र सरकार को 1,500 करोड़ रुपए अलग-अलग मंत्रालयों के किराए के बचेंगे. कर्तव्य पथ के पास ही कर्तव्य भवन का निर्माण किया जा रहा है. इसके अलावा कई अन्य कर्तव्य भवन बनाए जा रहे हैं, जब सभी के कार्यालय आसपास हो जाएंगे, तो कर्मचारियों को बेहतर सुविधाएं और वातावरण मिलेगा. 

क्या है कर्तव्य भवन की खासियत?

लगभग 1.5 लाख वर्ग मीटर में फैले इस भवन का डिजाइन न केवल कार्यकुशलता को ध्यान में रखकर बनाया गया है, बल्कि यह पूरी तरह हरित भवन (Green Building) की अवधारणा पर आधारित है. दो बेसमेंट और सात मंजिलों वाले इस भवन में गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास, एमएसएमई, पेट्रोलियम मंत्रालय, डीओपीटी और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय होगा. यहां आईटी-सक्षम कार्यस्थल, स्मार्ट एंट्री सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी, सोलर पैनल, ई-वाहन चार्जिंग स्टेशन जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं हैं. यह भवन 30% कम ऊर्जा की खपत करता है. एलईडी लाइट्स, स्मार्ट लिफ्ट्स, ऊर्जा बचत करने वाले सेंसर और सौर ऊर्जा आधारित तकनीक इसे खास बनाते हैं.

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