उच्च स्तरीय बैठक के बाद मोहन भागवत से PM मोदी की मुलाकात, प्रधानमंत्री आवास पहुंचे RSS प्रमुख
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी ने सेना प्रमुखों और टॉप अधिकारियों के साथ हाईलेवल मीटिंग की. इसके तुरंत बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पहली बार पीएम आवास पहुंचे. इस लेख में जानिए इस मुलाकात के गहरे मायने, भारत की रणनीति और भविष्य की संभावित बड़ी कार्रवाई के संकेत.

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद देश की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उच्चतम स्तर पर हलचल तेज हो गई है. पीएम मोदी ने अपने आवास पर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, CDS अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की. बैठक का उद्देश्य हमले की स्थिति का आकलन करना और आगे की रणनीति तय करना था.
पीएम आवास पर हाई लेवल मीटिंग
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ एक और महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में पहलगाम हमले के बाद की स्थिति, सुरक्षा उपायों और संभावित जवाबी कार्रवाई पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकवाद को करारा जवाब देना हमारा राष्ट्रीय संकल्प है. उन्होंने सशस्त्र बलों को जवाबी कार्रवाई के तरीके, लक्ष्य और समय निर्धारित करने की पूरी छूट दी. यह निर्णय देश की सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
मोहन भागवत की भूमिका कितनी अहम?
इस उच्चस्तरीय बैठक के तुरंत बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत प्रधानमंत्री आवास पहुंचे. यह पहली बार था जब भागवत प्रधानमंत्री आवास पर पहुंचे, जिससे इस मुलाकात की गंभीरता और महत्व स्पष्ट होता है.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत प्रधानमंत्री आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर रहे हैं।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 29, 2025
हालांकि बैठक के विषय के बारे में आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई, लेकिन माना जा रहा है कि यह मुलाकात पहलगाम हमले और उससे जुड़ी सुरक्षा रणनीतियों पर केंद्रित थी.
#WATCH | Delhi: RSS chief Mohan Bhagwat leaves from 7 Lok Kalyan Marg, PM's residence, where he was meeting PM Narendra Modi. pic.twitter.com/tfM1RGn5hP
— ANI (@ANI) April 29, 2025
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मोहन भागवत ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि राजा का कर्तव्य है कि वह अपनी प्रजा की रक्षा करे, और हमें भरोसा है कि वो करेगा. उन्होंने यह भी कहा कि अहिंसा हमारी संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन अत्याचारियों को सबक सिखाना भी हमारा धर्म है. यह बयान प्रधानमंत्री मोदी की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति के प्रति समर्थन के रूप में देखा जा रहा है.
आपको बता दें कि पहलगाम हमले के बाद सरकार ने कई कड़े कदम उठाए हैं. कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का निर्णय लिया है, यह कहते हुए कि पाकिस्तान ने इसके शर्तों का उल्लंघन किया है. इसके अलावा, सभी पाकिस्तानी नागरिकों, जिनके पास दीर्घकालिक वीजा या राजनयिक और आधिकारिक वीजा नहीं है, को 29 अप्रैल तक भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से भी बात की और जमीनी स्थिति की जानकारी ली. उन्होंने सुरक्षा बलों को आतंकवाद के खिलाफ अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने का निर्देश दिया है. इसमें विशेष बलों की तैनाती और संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना शामिल है.
इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि भारत सरकार आतंकवाद के खिलाफ किसी भी प्रकार की नरमी नहीं बरतेगी. प्रधानमंत्री मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत की मुलाकात ने यह संकेत दिया है कि देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए सभी स्तरों पर एकजुटता और दृढ़ संकल्प है. आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार आतंकवाद के खिलाफ कौन-कौन से कदम उठाती है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को कैसे जवाब देती है. लेकिन एक बात स्पष्ट है: भारत अब आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई के लिए तैयार है.