वक्फ संशोधन बिल पर फंस सकती है मोदी सरकार! लोकसभा में पास होने की उम्मीद, लेकिन राज्यसभा ने चिंता बढ़ाई! क्या है पूरा समीकरण
वक्फ संशोधन बिल पास करने के लिए सरकार को अभी भी बड़ी लड़ाई लड़नी है। हालांकि, इस बिल के पास होने की उम्मीद नजर आ रही है। लेकिन अगर कोई सांसद गैर हाजिर रहता है या फिर इस बिल के विरोध में खड़ा हो गया। तो बड़ी मुश्किल आ सकती है। विपक्षी दलों में कांग्रेस के पास कुल 27 और बाकी अन्य विपक्षी दलों के पास कुल 58 सांसद हैं। दोनों को मिला कर राज्यसभा में सांसदों की कुल संख्या 85 हो रही है।

सिर्फ 24 घंटे का वक्त बाकी है। बुधवार को केंद्र की मोदी सरकार वक्फ संशोधन बिल लोकसभा और राज्यसभा में पेश करेगी। इस बिल पर करीब 8 घंटे की चर्चा होगी। उसके बाद वोटिंग कराई जाएगी। इससे पहले बिल को संसदीय समिति के पास भेजा गया था। जिसके बाद समिति ने कुछ संशोधन किया। इस पर कैबिनेट से भी मंजूरी मिल गई है। अब फाइनल रूप से यह बिल दोनों सदनों में वोटिंग के लिए तैयार है। हालांकि यह पास होगा या फेल इसको लेकर अभी भी संशय बना हुआ है। दरअसल, विपक्षी दल इसको लेकर कड़ा विरोध जता रहे हैं। सभी विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार मुस्लिमों की दान संपत्ति पर कब्जा करना चाहती है। लेकिन सरकार ने विपक्ष को करारा जवाब देते हुए कहा कि "वक्फ बोर्ड की लाखों एकड़ की जमीन और अरबों की संपत्ति का बेहतर प्रबंधन कर उसे गरीब और पिछड़े मुस्लिम समुदाय के लिए इस विधेयक को लाया गया है। यही वजह है कि इसे कानूनी शक्ल देने की जरूरत है।"
लोकसभा में वक्फ बिल के पास होने की स्थिति
बता दें कि लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं। इसमें सरकार को इस बिल के समर्थन के लिए 272 सांसदों का समर्थन होना चाहिए। वर्तमान में एनडीए दल के पास 293 सांसद हैं। इनमें गठबंधन की कई पार्टियों के सांसद शामिल है। जिनमें जेडीयू के 12, टीडीपी के 16, एलजेपी के 5 और शिवसेना शिंदे गुट के 7 बाकी छोटे दल के साथ निर्दलीय सांसदों का समर्थन है। टीडीपी और जेडीयू ने इस बिल पर अपना पूरा समर्थन दिया है। लेकिन इंडिया गठबंधन के कई दल इसके विरोध में है। हालांकि, इनकी संख्या 250 से कम है।
राज्यसभा में फंस सकता है मामला
वक्फ संशोधन बिल पास करने के लिए सरकार को अभी भी बड़ी लड़ाई लड़नी है। हालांकि, इस बिल के पास होने की उम्मीद नजर आ रही है। लेकिन अगर कोई सांसद गैर हाजिर रहता है या फिर इस बिल के विरोध में खड़ा हो गया। तो बड़ी मुश्किल आ सकती है। विपक्षी दलों में कांग्रेस के पास कुल 27 और बाकी अन्य विपक्षी दलों के पास कुल 58 सांसद हैं। दोनों को मिला कर राज्यसभा में सांसदों की कुल संख्या 85 हो रही है। राज्यसभा में कुल 234 सांसद है। इनमें जम्मू-कश्मीर की 4 सीटें खाली हैं। बहुमत के लिए 118 सीट होनी चाहिए। बीजेपी के पास खुद के अपने 96 सांसद हैं। बाकी एनडीए दलों को मिला दिया जाए। तो यह संख्या 113 तक पहुंच रही है। इनमें जदयू के 4, टीडीपी के 2 और कई अन्य छोटे दल शामिल है। 6 ऐसे मनोनीत सदस्य भी हैं। जो आमतौर पर सरकार के साथ नजर आते हैं। ऐसे में देखा जाए तो 119 सांसदों के साथ सरकार राज्यसभा में भी मजबूत दिखाई दे रही है। बहुमत के आंकड़ों से 2 सीट ज्यादा है। हालांकि, यह बहुमत कोई उतना नहीं है। हाल ही के उपचुनाव में बीजेपी और वाईएसआर के कुछ सांसदों के बीजेपी में शामिल होने पर स्थिति मजबूत बनी है। 2024 लोकसभा चुनाव में इन दोनों दलों ने कई बार सरकार का साथ दिया था। लेकिन दोनों ही पार्टियों की अपने राज्यों में स्थिति काफी बदली हुई नजर आती है। दोनों ही पार्टियां भाजपा और एनडीए दलों की वजह से ही सत्ता से बाहर हुई है। ऐसे में यह बात भी दिमाग में जरूर घूम रही होगी।
वक्फ संशोधन बिल पास करने के लिए कितनी संख्या होनी चाहिए
बता दें कि वक्फ संशोधन बिल एक सामान्य विधेयक है। जिसको पास कराने के लिए दोनों ही सदनों में उपस्थित और मतदान के दौरान सदस्यों का आधे से ज्यादा होना जरूरी है। अगर लोकसभा में सभी 543 सांसद मौजूद हों। तो फिर बहुमत के लिए 272 वोटों की जरूरत है। लेकिन मतदान के दौरान यह संख्या घट सकती है। हालांकि वर्तमान में बीजेपी के पास कुल 293 सांसद है। ऐसे में अगर सभी का समर्थन रहा। तो 272 के लक्ष्य को आसानी से हासिल किया जा सकता है। राज्यसभा की बात की जाए। तो इस बिल को पास कराने के लिए 118 वोट होना जरूरी है। यहां वर्तमान में एनडीए के पास 119 सांसद है। देखा जाए तो बीजेडी और वाईएसआर के सांसद अगर विपक्ष की तरफ ना गए। तो यह आसानी से पास हो जाएगा।