UP वोटर लिस्ट में SIR के बाद होगा बड़ा बदलाव... 2.90 करोड़ लोगों के नाम मतदाता सूची से होंगे बाहर! जानें पूरी वजह
उत्तर प्रदेश में SIR के पहले चरण के बाद मतदाता सूची में बड़ा बदलाव तय है. 31 दिसंबर को जारी ड्राफ्ट लिस्ट में करीब 2 करोड़ 90 लाख नाम कट सकते हैं. आयोग के अनुसार मृतक, स्थानांतरित और दोहरे नाम हटाकर सूची को शुद्ध किया जा रहा है.
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उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के पहले चरण के पूरा होते ही सियासी और प्रशासनिक हलकों में हलचल तेज हो गई है. निर्वाचन आयोग के सूत्रों से सामने आ रही जानकारी के मुताबिक इस बार मतदाता सूची के मसौदे में बड़ा बदलाव तय माना जा रहा है. 31 दिसंबर को जारी होने वाली ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में करीब 2 करोड़ 90 लाख नाम कट सकते हैं. यह संख्या पिछली मतदाता सूची की तुलना में बेहद अहम मानी जा रही है.
मतदाता सूची में क्यों हो रहा है बड़ा बदलाव
फिलहाल जिस मतदाता सूची के आधार पर पुनरीक्षण अभियान चलाया गया है, उसमें 15 करोड़ 44 लाख से ज्यादा मतदाता दर्ज हैं. गणना फॉर्म जमा करने की समय सीमा खत्म होने के बाद जो प्रारंभिक आंकड़े सामने आए हैं, उनके अनुसार कुल मतदाताओं में से करीब पौने 19 प्रतिशत नाम हटाए जा सकते हैं. इनमें ऐसे लोग शामिल हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है, जो स्थायी रूप से राज्य छोड़ चुके हैं या जिनके नाम एक से अधिक स्थानों पर दर्ज पाए गए हैं. आयोग का मकसद सूची को पूरी तरह शुद्ध और अद्यतन बनाना है.
किन जिलों में सबसे ज्यादा नाम कटने की आशंका
सूत्रों के मुताबिक राजधानी लखनऊ, गाजियाबाद, प्रयागराज, कानपुर और बरेली जैसे बड़े शहरों में सबसे ज्यादा नाम कटने की संभावना है. इसके अलावा नेपाल सीमा से सटे जिलों पर भी आयोग की खास नजर है. इन इलाकों में लंबे समय से फर्जी और दोहरे नामों की शिकायतें सामने आती रही हैं. इस बार का पुनरीक्षण अभियान इन्हीं खामियों को दूर करने की कोशिश माना जा रहा है.
1.11 करोड़ मतदाता बने आयोग की सबसे बड़ी चुनौती
इस पूरी प्रक्रिया में सबसे बड़ा सवाल 1 करोड़ 11 लाख ऐसे मतदाताओं को लेकर है, जिनका कोई भी पुराना रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. जांच में सामने आया है कि वर्ष 2003 की मतदाता सूची में न तो इनके नाम दर्ज हैं और न ही इनके माता पिता या दादा दादी का कोई विवरण मिलता है. कुल मतदाताओं का लगभग 7 प्रतिशत हिस्सा ऐसे लोगों का है, जिनके पास अपनी पहचान साबित करने के लिए कोई ऐतिहासिक दस्तावेज मौजूद नहीं है. आयोग को आशंका है कि इनमें बड़ी संख्या उन घुसपैठियों की हो सकती है, जिन्होंने फर्जी कागजात के सहारे वोटर कार्ड बनवा लिया था.
ड्राफ्ट लिस्ट के बाद क्या होगी अगली प्रक्रिया
31 दिसंबर को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होने के बाद इन बिना रिकॉर्ड वाले मतदाताओं को निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी यानी ERO की ओर से नोटिस भेजे जाएंगे. नोटिस मिलने के बाद संबंधित मतदाताओं को अपने दस्तावेजी प्रमाण पेश करने होंगे. अगर उनके जवाब और सबूत संतोषजनक पाए जाते हैं, तभी उनका नाम अंतिम मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा. पर्याप्त और विश्वसनीय प्रमाण न देने की स्थिति में उनका नाम स्थायी रूप से हटा दिया जाएगा.
बताते चलें कि निर्वाचन आयोग का यह कदम लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. शुद्ध मतदाता सूची न सिर्फ निष्पक्ष चुनाव की नींव होती है, बल्कि इससे फर्जी मतदान जैसी समस्याओं पर भी लगाम लगती है. आने वाले दिनों में यह साफ हो जाएगा कि यह बड़ा पुनरीक्षण अभियान उत्तर प्रदेश की राजनीति और चुनावी तस्वीर को किस तरह प्रभावित करता है.
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