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महाराष्ट्र सरकार की बड़ी पहल, दिव्यांगों को विवाह पर 2.50 लाख रुपये की सहायता

Maharashtra: यह योजना सिर्फ आर्थिक मदद तक सीमित नहीं है, बल्कि दिव्यांगों को आत्मसम्मान के साथ जीने और समाज में बराबरी का स्थान दिलाने की एक मजबूत कोशिश है. सरकार का यह कदम दिव्यांगों के जीवन में खुशहाली लाने और उनकी सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ाने की दिशा में बेहद अहम माना जा रहा है.

Image Source: Social Media

Disabled Marriage Yojana: दिव्यांग लोगों का भी घर बस सके और उनका जीवन सामान्य लोगों की तरह सम्मान और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सके, इसी सोच के साथ सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. सरकार ने दिव्यांगों की शादी को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय किया है. इस योजना के तहत अगर कोई दिव्यांग व्यक्ति किसी सामान्य (अव्यंग) व्यक्ति से विवाह करता है, तो सरकार उसे 1.50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी. वहीं अगर दिव्यांग–दिव्यांग के बीच विवाह होता है, तो यह राशि बढ़कर 2.50 लाख रुपये हो जाएगी.

सीधे बैंक खाते में मिलेगी राशि


सरकार की ओर से दी जाने वाली यह पूरी राशि पति और पत्नी के संयुक्त बैंक खाते में डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से जमा की जाएगी. इसमें से 50 प्रतिशत राशि को पांच साल के लिए एफडी में रखना अनिवार्य होगा. इसका मकसद यह है कि दंपती को भविष्य में आर्थिक सुरक्षा मिल सके और जरूरत के समय उन्हें सहारा मिले.

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समाज की सोच बदलने की कोशिश

दिव्यांग व्यक्तियों को लेकर समाज में लंबे समय से बनी गलत धारणाओं को बदलने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. दिव्यांग कल्याण विभाग ने दिव्यांग–सामान्य विवाह प्रोत्साहन योजना में बड़े सुधार किए हैं और अनुदान राशि भी बढ़ाई है. विभाग के सचिव तुकाराम मुंढे ने बताया कि अक्सर दिव्यांगों को असमर्थ मान लिया जाता है, जिसका असर उनकी शादी जैसे अहम फैसलों पर पड़ता है. कई बार परिवार शादी टाल देते हैं या गलत जोड़ी तय कर देते हैं. खासकर दिव्यांग महिलाओं को दोहरा भेदभाव झेलना पड़ता है. इसी सोच को बदलने और दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए यह योजना बनाई गई है.

कौन ले सकता है योजना का लाभ


सरकारी आदेश के अनुसार, इस योजना का लाभ लेने के लिए कुछ शर्तें तय की गई हैं. वर या वधू के पास कम से कम 40 प्रतिशत दिव्यांगता का वैध यूडीआईडी (UDID) कार्ड होना जरूरी है. दिव्यांग वर या वधू में से कम से कम एक व्यक्ति महाराष्ट्र का निवासी होना चाहिए. यह दोनों का पहला विवाह होना अनिवार्य है. यदि कोई तलाकशुदा है, तो उसने पहले इस योजना का लाभ न लिया हो.

आवेदन और चयन की प्रक्रिया


विवाह का कानूनी पंजीकरण अनिवार्य है और शादी के एक साल के भीतर इस योजना के लिए आवेदन करना होगा. आवेदन सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ संबंधित जिला कार्यालय में जमा करना होगा. लाभार्थियों का चयन जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति करेगी. इसके बाद स्वीकृत सूची दिव्यांग कल्याण आयुक्त, पुणे को भेजी जाएगी, जहां से अनुदान राशि जारी की जाएगी.

किन दस्तावेजों की होगी जरूरत


इस योजना के लिए आवेदन करते समय कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे. इनमें कम से कम 40 प्रतिशत दिव्यांगता का प्रमाण पत्र, महाराष्ट्र के स्थायी निवासी का प्रमाण पत्र, शादी का प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और बैंक खाते का विवरण शामिल है.

सम्मान और आत्मनिर्भरता की ओर कदम


कुल मिलाकर यह योजना सिर्फ आर्थिक मदद तक सीमित नहीं है, बल्कि दिव्यांगों को आत्मसम्मान के साथ जीने और समाज में बराबरी का स्थान दिलाने की एक मजबूत कोशिश है. सरकार का यह कदम दिव्यांगों के जीवन में खुशहाली लाने और उनकी सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ाने की दिशा में बेहद अहम माना जा रहा है.

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