अपनी परमाणु नीति पर पुनर्विचार करेगा भारत! CCS की बैठक में 'No First Use Policy’ को बदलने पर चर्चा की अटकलें
पहलगाम आतंकी के बाद दूसरी बार हुई देश की सबसे पावरफुल कमेटी CCS की बड़ी बैठक, हुई कई मुद्दों पर चर्चा. कहा जा रहा है कि भारत अपनी परमाणु नीति पर पुनर्विचार कर सकता है.

पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर मोदी सरकार बड़े और कड़े फैसले ले रही है. मोदी सरकार ने 22 अप्रैल की आतंकी घटना के बाद अब तक दो सीसीएस की बैठ की है. पहली बठक में तो सिंधु नदी समझौता सहित कुल 5 फैसले लिए गए थे जबकि 30 अप्रैल को हुई सीसीएस की बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में छन-छन कर यानी सूत्रों के हवाले से ही ख़बर सामने आ रही है.
देश के एक प्रमुख न्यूज़ चैनल में चली ख़बर के मुताबिक पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई सीसीएस की बैठक में कई मुद्दों पर बात हुई जिसमें देश की करीब 22 साल पुरानी परमाणु नीति को लेकर भी चर्चा हुई है. हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हुई है. इसी चैनल ने अपने शो में ख़बर दी है कि भारत अपने ‘No First Use Policy’ को बदल सकता है. ये ही एक फैसला है जिसके दम पर पाकिस्तान, भारत को आए दिन परमाणु हमले का धमकी देते रहता है. अब कहा जा रहा है कि सरकार इस फैसले को ही जड़ से समाप्त कर सकती है यानी कोई भी भारत को हल्के में लेेने की कोशिश न करे.
क्या है ‘No First Use Policy’?
भारत की नीति NFU की रही है. ये किसी भी देश का एक आधिकारिक ऐलान होता है जिसके तहत कोई ये वादा करता है कि वो दुश्मन पर न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल पहले नहीं करेगा, बल्कि केवल जवाबी हमला करेगा. एक जिम्मेदार देश के नाते भारत ने अपने वादे और मानने योग्य अंतरराष्ट्रीय नियमों-परंपराओं का पालन हमेशा किया है.
वहीं पाकिस्तान इस तरह की कोई पॉलिसी नहीं मानता. वहां के मंत्री तो आए दिन भारत पर परमाणु हमले की धमकी देते हैं. चाहे वो इमरान खान की सरकार में रहे शेख रशीद हों, मौजूदा रेल मंत्री हनीफ अब्बासी हों या फिर नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज हों. अब्बासी ने क्या कहा: हनीफ अब्बासी ने कहा, 'हमारी सभी मिसाइलों का रुख भारत की ओर है. अगर भारत ने कोई दुस्साहस करने का फैसला किया तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. हमारे पास दुनिया का सबसे शक्तिशाली परमाणु बम है. हमने गोरी, शाहीन, गजनवी जैसी मिलाइलें और 130 परमाणु बम सिर्फ भारत के लिए रखे हैं
इस बड़ी ख़बर आप हमारी चर्चा विस्तार से देख भी सकते हैं.
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भारत बनाम पाकिस्तान की परमाणु नीति: NFU की जगह फुल स्पेक्ट्रम डिटरेंस
भारत जहां 'नो फर्स्ट यूज़' (NFU) यानी पहले परमाणु हमला न करने की नीति पर चलता है, वहीं पाकिस्तान ने इसके उलट 'फुल स्पेक्ट्रम डिटरेंस' (Full Spectrum Deterrence) की रणनीति अपनाई है. इस नीति के तहत पाकिस्तान ने यह अधिकार अपने पास रखा है कि अगर उस पर कोई हमला होता है—चाहे वह पारंपरिक (कन्वेंशनल) हमला ही क्यों न हो—तो वह जवाब में किस स्तर की प्रतिक्रिया देगा, इसका फैसला खुद करेगा, यानी कि जवाब परमाणु हमले से भी देगा.
इसका मतलब है कि मामूली या सीमित हमले के जवाब में भी पाकिस्तान परमाणु हथियार इस्तेमाल करने या जैविक युद्ध (बायोलॉजिकल वॉरफेयर) शुरू करने का विकल्प चुन सकता है. यानी जवाबी कार्रवाई पारंपरिक न होकर सीधे परमाणु स्तर की भी हो सकती है.
NFU की नीति पर चलता भारत
भारत की परमाणु नीति की नींव 'नो फर्स्ट यूज' (NFU) यानी पहले परमाणु हमला नहीं करने के सिद्धांत पर टिकी है. यह नीति सिर्फ एक सैन्य रणनीति नहीं, बल्कि भारत की विदेश नीति, ऊर्जा आवश्यकताओं और राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतों और उसके बीच संतुलन का परिणाम है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद बदले माहौल में कहा जा रहा है कि मोदी सरकार इस पर गंभीरता से पुनर्विचार कर सकती है. सरकार और भारत का हमेशा से कहना है कि उसके दो पड़ोसी, पाकिस्तान और चीन, दोनों ही परमाणु संपन्न देश हैं और दोनों ही देश 'नो फर्स्ट यूज पॉलिसी' को नहीं मानते हैं और भारत का इनके साथ एक कड़वा इतिहास रहा है और अगर देश, बदले परिदृश्य में अपनी नीति नहीं बदलता है तो वो फंस सकता है.
भारत ने 2003 में अपनी औपचारिक परमाणु नीति की घोषणा की. इसमें स्पष्ट किया गया कि भारत न्यूनतम परमाणु प्रतिरोध क्षमता बनाए रखेगा—यानी सिर्फ इतना कि कोई शत्रु देश भारत पर हमला करने से पहले कई बार सोचे. साथ ही यह भी कहा गया कि भारत पहले कभी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा, लेकिन अगर उस पर हमला हुआ तो जवाब इतना सटीक और करारा होगा कि दुश्मन को उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. यह नीति भारत की शांतिपूर्ण लेकिन सजग रणनीतिक सोच को दर्शाती है—जहां युद्ध अंतिम विकल्प है, लेकिन आत्मरक्षा के लिए कहीं तक, किसी हद तक जाएगा.