दिल्ली में गाली-गलौच की राजनीति बनाम काम के मॉडल की लड़ाई, जनता को क्या चाहिए ?
दिल्ली के लोगों को तय करना है कि उन्हें ऐसा सीएम चाहिए जो विकास की राजनीति करे, या ऐसा जो गाली और झगड़ों की, ‘केजरीवाल बनाम गाली-गलौज’ की यह लड़ाई दिल्ली के भविष्य का रास्ता तय करेगी, 5 फ़रवरी को वोटिंग होगा तो 8 फ़रवरी को काउंटिंग के दिन तय हो जाएगा कि दिल्ली को अगले पांच साल तक कौन चलाएगा ?
दिल्ली चुनाव की तारीख़ों के ऐलान के बाद अब लड़ाई पोस्टर वॉर के ज़रिए शुरु हो गई।और सबसे बड़ा सवाल ये है कि, “दिल्ली का सीएम कौन ?” दरअसल, BJP ने दिल्ली की सीएम आतिशी, राघव चड्ढा और संजय सिंह का पोस्टर जारी कर गुंडे नाम दिया है, एक अन्य पोस्टर में अरविंद केजरीवाल का पोस्टर जारी कर उन्हें चुनावी हिंदू बताया था, जिसके बाद AAP ने भी पोस्टर जारी करते हुए गृहमंत्री अमित शाह को चुनावी मुसलमान बताया है, आम आदमी पार्टी ने किसी फिल्म की तरह ही इस पोस्टर को जारी करते हुए इसमें निर्माता निर्देशक के नाम पर गृहमंत्री का नाम लिखा हुआ है।
काम और विकास की राजनीति
अरविंद केजरीवाल ने 10 साल के कार्यकाल में दिल्ली के विकास के लिए कई बड़े कदम उठाए। शिक्षा: सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार ने दिल्ली के छात्रों को बेहतरीन शिक्षा दी। स्वास्थ्य: मोहल्ला क्लीनिक मॉडल ने आम जनता को मुफ्त और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कीं।
बिजली और पानी: सस्ती बिजली और मुफ्त पानी की योजनाओं ने हर घर पर सकारात्मक प्रभाव डाला।
आम आदमी पार्टी का दावा है कि उनकी सरकार ने काम करके दिखाया है, उनका नारा साफ है: “हमने काम किया है, और आगे भी करेंगे, लेकिन दूसरी तरफ़ बीजेपी गाली गलौच वाली राजनीति दिल्ली में कर रही है, जिसकी वजह से ये लड़ाई गाली-गलौच की राजनीति बनाम काम का मॉडल वाली हो गई है ।
गाली-गलौच की राजनीति बनाम काम का मॉडल
विपक्षी पार्टियां केजरीवाल और उनकी सरकार निजी और आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करती हैं। बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के दिए गए बयान व्यक्तिगत हमलों और गाली-गलौज तक सीमित रहते हैं।
ऐसे में जनता के सामने यही सवाल है कि । क्या वे काम को प्राथमिकता देंगे ? या फिर झगड़े और आरोप-प्रत्यारोप वाली राजनीति को बढ़ावा देंगे ?
फ़िलहाल जनता को तय करना है कि, उन्हें क्या चुनना है, लेकिन पोस्टरों का संदेश तो साफ़ है कि, ‘गाली नहीं, काम पर वोट देंगे’ और काम कौन कर रहा है दिल्ली में ये AAP को तो पता ही है
दिल्ली में लगे पोस्टरों ने जनता के सामने सवाल
दिल्ली का सीएम कैसा हो, काम करने वाला या गाली देने वाला? आप वोट काम और विकास पर देंगे या गाली देने वाली राजनीति पर?
फ़िलहाल इन पोस्टरों का मकसद जनता को यह याद दिलाना कि उनके वोट का असली मूल्य उनके जीवन के स्तर को सुधारने में है, न कि राजनीति के नाम पर हो रहे झगड़ों में, ऐसे में यहा पर भी यही ये जानना बेहद जरुर है कि, क्या कहता है चुनावी भविष्य?
क्या कहता है चुनावी भविष्य?
अरविंद केजरीवाल के लिए यह चुनाव उनके काम के मॉडल पर जनादेश होगा वहीं, विपक्ष अगर केवल गाली-गलौज और आरोपों की राजनीति तक सीमित रहता है, तो यह उनकी हार का कारण बन सकता है।
बहरहाल, दिल्ली के लोग अब यह तय करेंगे कि उन्हें ऐसा सीएम चाहिए जो विकास की राजनीति करे, या ऐसा जो गाली और झगड़ों की, ‘केजरीवाल बनाम गाली-गलौज’ की यह लड़ाई दिल्ली के भविष्य का रास्ता तय करेगी, 5 फ़रवरी को वोटिंग होगा तो 8 फ़रवरी को काउंटिंग के दिन तय हो जाएगा कि दिल्ली को अगले पाँच साल तक कौन चलाएगा।