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नोटों की गड्डियों से भरा कमरा, बंद दरवाजे और सवालों के घेरे में जस्टिस वर्मा...जांच रिपोर्ट में क्या निकला?

दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. मामले की जांच कर रही सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने गंभीर टिप्पणियां की हैं और उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की सिफारिश की है. समिति ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को अपनी 64 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट सौंपी, जिसमें इस प्रकरण से जुड़े कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए गए हैं.

19 Jun, 2025
( Updated: 20 Jun, 2025
09:03 AM )
नोटों की गड्डियों से भरा कमरा, बंद दरवाजे और सवालों के घेरे में जस्टिस वर्मा...जांच रिपोर्ट में क्या निकला?

दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. बीते मार्च माह में उनके घर के स्टोर रूम से बड़ी मात्रा में अधजली नकदी मिलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने गंभीर टिप्पणियां की हैं और उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की सिफारिश की गई है.

सुप्रीम कोर्ट की समिति ने सौंपी रिपोर्ट
समिति ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को अपनी 64 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट सौंपी, जिसमें इस प्रकरण से जुड़े कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए गए हैं. रिपोर्ट में साफ तौर पर दो प्रमुख निष्कर्ष निकले जिनके आधार पर महाभियोग की सिफ़ारिश की गई है, पहला बिंदु, जिस स्टोर रूम से अधजला कैश बरामद हुआ, वह न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक कब्जे में था और उसकी निगरानी पूरी तरह से उनके परिवार द्वारा की जा रही थी. दूसरा बिंदु, 30 तुगलक क्रिसेंट स्थित जिस परिसर में स्टोर रूम था, वह न्यायमूर्ति वर्मा के अधिकार क्षेत्र में था. वहां किसी भी बाहरी व्यक्ति को जाने की अनुमति नहीं थी, सिवाय न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिजनों के.” रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि समिति ने कुल 55 गवाहों से पूछताछ की, जिसमें न्यायमूर्ति वर्मा का बयान भी शामिल है. गवाहों के बयानों, घटनास्थल की फोरेंसिक जांच और अन्य दस्तावेज़ी साक्ष्यों के आधार पर समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि इस मामले में जवाबदेही तय होना आवश्यक है.

महाभियोग की कार्यवाही के लिए पर्याप्त आधार
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं. पैनल की यह टिप्पणी उस समय आई है जब मार्च 2025 में जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर लगी आग के बाद स्टोर रूम से भारी मात्रा में अधजली नकदी बरामद हुई थी. घटना के बाद न्यायपालिका में भारी हलचल मच गई थी. प्रारंभिक जांच के बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया, हालांकि उन्हें अब तक कोई न्यायिक दायित्व नहीं सौंपा गया है. जांच समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि मौके पर मिले साक्ष्य, गवाहों के बयान और घटनाक्रम को देखते हुए यह स्पष्ट है कि जस्टिस वर्मा की भूमिका संदिग्ध है और उन पर महाभियोग की कार्यवाही चलाने का पूर्ण आधार मौजूद है.

गौरतलब है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए देश की सर्वोच्च न्यायालय ने तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी.एस. संधावलिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं.  इस समिति ने 4 मई को भारत के मुख्य न्यायाधीश को अपनी रिपोर्ट सौंप दी, जिसमें पूरे घटनाक्रम का विवरण, 55 से अधिक गवाहों के बयान और न्यायमूर्ति वर्मा का स्वयं का पक्ष दर्ज किया गया है. इस रिपोर्ट के आने के बाद न्यायिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि क्या यह मामला अब संसद में जाएगा और जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जाएगा.

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