Advertisement

Vikas Divyakirti जैसे सेलिब्रिटी शिक्षकों को संसद में धनकड़ ने किया बेनकाब

Vikas Divyakirti जैसे सेलिब्रिटी शिक्षकों को संसद में धनकड़ ने किया बेनकाब !

Author
31 Jul 2024
( Updated: 08 Dec 2025
04:21 AM )
Vikas Divyakirti जैसे सेलिब्रिटी शिक्षकों को संसद में धनकड़ ने किया बेनकाब

दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर की एक घटना ने कई बुद्धिजिवियों के चेहरे से चमकती हुई पन्नी ही उतार दी है। छात्र अपनी आँखों में सपना संजोकर दिल्ली जैसे विशाल से शहर में आते हैं। आईएएस बनने की जद्दोजहद में वो सारी दुनिया को एक किनारे रखकर नई राहों को अपनाते हैं। लाखों रूपए खर्चकर कोचिंग का सहारा लेते हैं। लेकिन उसी दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों की मौत बेसमेंट में डूबकर हो जाती है। उसी दिल्ली में छात्र अपनी जान गँवा देते हैं अपने क्लास रूम में। ये ख़बर सिर्फ़ ख़बर भर नहीं है। ये विश्वगुरु बनने का ख़्वाब देख रहे एक देश के माथे पर कलंक के कलम से छात्रों के सपनों के मारे जाने की कहानी लिखी गई है। 

अफ़सोस, इस पूरे मसले पर सपनों को बेचने वाले गुरुजी भी चुप्पी की चादर ओढ़े बैठे हैं। बच्चों को हर दिन ख़्वाबों की सीढ़ी दिखाने वाले शिक्षकों की चुप्पी। इंटरनेट पर आकर हर दिन ज्ञान देने वालों की चुप्पी। गरीब परिवार के बच्चों से भी लाखों की फ़ी लेकर मास्टर कम सेलिब्रिटी बन चुके लोगों की चुप्पी। ये चुप्पी बहुत खलती है। ये चुप्पी बहुत चुभती है। ये चुप्पी बहुत दर्द देता है। 

आपको ये चेहरा याद है। बिल्कुल याद होगा। लोग इन्हें विकास दिव्यकीर्ति के नाम से जानते हैं। महाशय हर मुद्दे पर अपनी बात रखते हैं। दुनिया के क़रीब-क़रीब हर मुद्दे पर ही विकास जी ज्ञान का टॉर्च जला ही देते हैं। लेकिन दिल्ली में तीन बच्चों की कोचिंग सेंटर में मौत के बाद भी गुरुजी के मुँह से दो बातें नहीं निकली। अफ़सोस जताने के लिए भी शब्द नहीं निकले। संवेदना में भी गुरुजी के मुँह से बोल नहीं निकल पाए। बाज़ार के जिस प्रभाव से विकास दिव्यकीर्ति जैसे लोगों ने सोशल मीडिया को साधकर बच्चों तक अपनी पहुँच बनाई है। असल में वो पूरा तरीक़ा ही शॉर्टकर्ट है। 

सिर्फ़ विकास दिव्यकीर्ति की बात नहीं है। ऐसे जितने भी नाम हैं। हर उस नाम की कहानी ऐसी ही काली सी दिखाई पड़ती है। सोचिए, जो विकास दिव्यकीर्ति नियम, क़ानून, काएदे पर दिन रात ज्ञान का चाँद सजाते हैं। उसी विकास दिव्यकीर्ति के इंस्टीट्यूट के बच्चों को दिल्ली के एक मॉल के बेसमेंट में क्लास के लिए बुलाया जा रहा था। वो तो राजेंद्र नगर की घटना से बात निकली तो इस जगह को भी अब सील कर दिया गया है। ये कहने में कोई गुरेज़ नहीं कि छात्रों से भावनात्मक छल करने वाले ऐसे लोगों ने आज कोचिंग के मार्केट को भारत में बहुत बड़ा बना दिया हैं। कोचिंग का मार्केट बड़ा बना तो ऐसे सभी गुरुजी की थैली भी भर गई। 

आज सपने बेचने वाले विकास दिव्यकीर्ति जैसे मास्टर से छात्र भी सवाल पूछ रहे हैं। और इस पूरे सिस्टम को लेकर संसद में भी चर्चा हो रही है। किसी ने ट्वीट किया है तो किसी ने संसद में ही बात उठा दी है। आज सड़क पर खड़े छात्र अपने सपनों को करीब क़रीब छोड़ चुके हैं। क्योंकि उनकी आँखों में पल रहे सपनों को, उन ज़िंदगियों को एक बड़े शहर के सिस्टम ने क़रीब क़रीब ख़त्म कर दिया। और ऐसे में सेलिब्रिटी गुरूजी की चुप्पी किसी सूई से कम नहीं है। छात्रों के हाथ में जो पोस्टर बैनर हैं। उस पर लिखे शब्दों को पढ़िए। उसे गौर से देखिए। ओझा तो भई बोझा है, ज्ञान झाड़ के सोता है। विकास ने ख़ुद बस विकास किया। माफ़िया ने कोचिंग व्यापार किया। और जो जो मास्टर मौन है, पहचान करो वो कौन है। 

कोचिंग से कितने पैसे कमाए जा रहे हैं। इसका सही सही कोई आँकड़ा भी नहीं है। इसका सही सही कोई अनुमान भी नहीं है। बस इतना समझिए कि आज की तारीख़ में कोचिंग का व्यापार करोड़ों का हो चुका है। बच्चे से पैसे ईमानदारी से जमा भी कर देते हैं। लेकिन जरा सोचिए, उन छात्रों के मां-बाप पर क्या बीत रही होगी, जिन तक ये ख़बर पहुँचेगी कि उनके बच्चों की लाखों की फ़ी वाले कोचिंग में डूबकर मौत हो गई है। इस देश में ऐसे कई व्यापार हैं, जिसमें शर्म और हया को किनारे रख दिया गया है। अब उस सूची में कोचिंग सेंटर का व्यापार भी शामिल हो चुका है।

यह भी पढ़ें

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

Advertisement
Podcast video
Gautam Khattar ने मुसलमानों की साजिश का पर्दाफ़ाश किया, Modi-Yogi के जाने का इंतजार है बस!
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें