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ब्रह्मोस थी तैयार, इंडियन नेवी भी थी अलर्ट, फिर क्यों नहीं दागी गई कराची पोर्ट पर मिसाइल?

10 मई की रात भारत-पाक तनाव अपने चरम पर था. इंडियन नेवी कराची पोर्ट को मिसाइल से उड़ाने के लिए पूरी तरह तैयार थी. भारत की समुद्री शक्ति भी अलर्ट मोड में थी, कराची पर ब्रह्मोस मिसाइल दागने के लिए टारगेट लॉक हो चुका था. लेकिन आखिरी वक्त में ऐसा क्या हुआ कि कराची में होने वाला अटैक टल गया.

22 अप्रेल को पहलगाम में आतंकियों ने 26 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी.  जिसके बाद भारत सरकार ने भी तुरंत कार्रवाई करते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. इस ऑपरेशन के तहत भारतीय वायुसेना ने पीओके में स्थित 9 आतंकवादी अड्डों पर सटीक और निर्णायक हमला कर आतंकियों की कमर तोड़ दी. पाकिस्तान की तरफ से उकसावे के जवाब में यह भारत का स्पष्ट संदेश था.

कराची पोर्ट पर हमला क्यों टला?

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी पाकिस्तान ने अपनी हरकतों से बाज नहीं आया. 10 मई की रात भारतीय वायुसेना ने एक के बाद एक चार पाकिस्तानी एयरबेस पर हमला किया. इन हमलों में एयरबोर्न वॉर्निंग सिस्टम, एयर डिफेंस यूनिट्स और अन्य सैन्य ढांचों को नष्ट कर दिया गया. इसी दौरान इंडियन नेवी भी एक्शन में आ गई थी. भारत का युद्धपोत बेड़ा कराची पोर्ट से महज 260 मील की दूरी पर तैनात था और हमला करने के लिए पूरी तरह तैयार था. कराची पोर्ट पर टारगेट लॉक हो चुका था. भारत की सैन्य शक्ति पूरी तरह से सक्रिय थी और पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी बज चुकी थी.

पाकिस्तानी घबराहट के बीच अमेरिका की एंट्री

पाकिस्तान की ओर से तत्काल जवाबी धमकी आई कि अगर भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल से हमला किया तो जवाब दिया जाएगा. लेकिन भारत ने कोई नरमी नहीं दिखाई. इसके बाद पाकिस्तान की सेना और सरकार में खलबली मच गई. DGMO स्तर पर बातचीत के दौरान पाकिस्तान ने भारत से 'नो अटैक' समझौते की बात की. वहीं अमेरिका ने भी मामले में दखल देना शुरू किया और एक तरह से पाकिस्तान की रक्षा के लिए मध्यस्थता करने लगा. जिसके बाद कहना गलत नहीं कि भारत के कड़े रुख ने पाकिस्तान को बातचीत की मेज पर लाकर खड़ा कर दिया.

पाकिस्तान की तमाम कोशिशें नाकाम

इसी बीच पाकिस्तान ने 10 मई की रात को एक बड़ा सैन्य अभियान शुरू किया, जिसका नाम था ‘बुनियान अल-मरसूश’. इसका उद्देश्य था कि 48 घंटे में भारत के प्रमुख एयरबेसों को निशाना बनाकर उन्हें तबाह कर दिया जाए. लेकिन भारतीय वायुसेना की सतर्कता और जवाबी कार्रवाई इतनी प्रभावी रही कि सुबह 9:30 बजे तक पाकिस्तान को यह ऑपरेशन बंद करना पड़ा. इंटरसेप्ट की गई रेडियो फ्रीक्वेंसी से साफ हुआ कि पाकिस्तान की सेना भीतर से हिल चुकी थी. इस असफल अभियान ने न केवल पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को उजागर किया, बल्कि उसकी रणनीतिक कमजोरी को भी उजागर कर दिया.

कराची हमला टला लेकिन संदेश था साफ

भले ही कराची पोर्ट पर हमला अंतिम क्षणों में रोक दिया गया, लेकिन भारत ने अपने इरादे और क्षमता का स्पष्ट प्रदर्शन कर दिया. यह रणनीति थी सटीक, प्रभावशाली और संदेशवाहक. भारत ने यह जता दिया कि अब वह हर आतंकी हमले का जवाब चुप्पी से नहीं बल्कि ताकत से देगा. कराची पर हमले की स्थिति और भारत के संयम ने पाकिस्तान को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि अगली बार की कोई भी दुस्साहसिक हरकत उसे बहुत महंगी पड़ सकती है.

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बात बिल्कुल स्पष्ट कर दी है कि भारत अब रक्षा नहीं, आक्रामक रणनीति की ओर बढ़ रहा है. ऑपरेशन सिंदूर हो या कराची पर नजरबंदी, हर पहलु में भारत की सैन्य और राजनीतिक दृढ़ता दिखी. पाकिस्तान की रणनीतिक हार और अमेरिका की मध्यस्थता की जरूरत इस बात की गवाही देती है कि भारत अब वैश्विक पटल पर भी मजबूत खिलाड़ी बन चुका है. यह घटना आने वाले समय में भारत की सैन्य नीति को नई दिशा देने वाली साबित हो सकती है.

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