2027 विधानसभा चुनाव में Akhilesh की राह नहीं होगी आसान, BJP ने कर ली बड़ी प्लानिंग
लोकसभा चुनाव में कम हुए जनधार को वापिस पाने के लिए भाजपा ने बड़ी तैयारी कर ली है। 2 करोड़ नए सदस्य बनाने के लक्ष्य के साथ सदस्यता अभियान की शुरुआत की गई है । 50 %वोट बैक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर इस अभियान में नेताओं को लगाया गया है ताकि 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में इसका फ़ायदा मिले।

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लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा भले ही बड़ी जीत का दावा कर रही हो लेकिन जब चुनाव के नतीजे सामने आए तो अभी हैरान रह गए । सबसे ज़्यादा चौकानें वाले नतीजे उत्तर प्रदेश से सामने आए, जहां डबल इंजन की सरकार की योजनाओं और माफ़िया -अपराधियों पर लगातार हो रही बुलडोज़र की करवाई का भी असर कुछ ख़ास नहीं रहा और नतीजों में भाजपा से आगे समाजवादी पार्टी निकल गई ।इसे भाजपा हल्के में नहीं ले चाहती यही वजह है कि अब सदस्यता अभियान के सहारे 2 करोड़ नए सदस्य बनाने का टार्गेट सेट कर अपने वोट बैंक में 50 प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश में जुट गई है। आगर पिछले आकड़ों पर नज़र डाले तो विधानसभा चुनाव 2022 की तुलना में लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को वोट 49.98 % से घटाकर 43.31 % रह गया इसका मतलब इस चुनाव में पार्टी को 6.67 % वोट का नुक़सान का सामना करना पड़ा जिसके चलते समाजवादी पार्टी से भाजपा पीछे रह गई।
भाजपा का सदस्यता अभियान लोकसभा चुनाव में कम हुए जनधार को वापस पाने और विधानसभा चुनाव 2027 की ज़मीन को मज़बूत करने के लिए भी माना जा रहा है। इस अभियान में बड़े टार्गेट से साथ नए सदस्य को पार्टी में जोड़ने और पुराने सदस्यों का नवीनीकरण करना भी है। भाजपा इस तरह के अभियान को पहले भी चलाया है जिसका पार्टी को लोकसभा चुनाव 2014-2019 और विधानसभा चुनाव 2017-2022 में भी बाद फ़ायदा मिला था।
सिर्फ़ सदस्यता अभियान नहीं विधानसभा चुनाव की है तैयारी
भाजपा का नए सदस्यता अभियान के ज़रिए एक तरफ़ नए लोगों पार्टी की विचारधारा से जोड़ना चाहती है तो वही दूसरी तरफ़ इस अभियान से अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय भी करेगी। इसके ज़रिए कार्यकर्ताओं को केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं को भी घर-घर तक पहुचाने का टार्गेट भी दिया जाएगा। 11 सितंबर से शुरू हो रहे है इस महा अभियान में भाजपा के कार्यकर्ता जनता से फ़ीडबैक भी लेंगे जिन्हें प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व तक पहुँचाया जाएगा। इसके ज़रिए पार्टी जनता के बीच यह भी संदेश देना चाहती है कि भले ही लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीट कम आई हो लेकिन जनता के बीच पार्टी के कार्यकर्ता लगातार सक्रिय है। भाजपा की रणनीति है कि जनता का रूख फिर से राष्ट्रवाद और विकास की तरफ़ मोड़कर 2027 में 50 % हासिल किया जाए। इसका फ़ायदा पार्टी को 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव में भी मिलने की उम्मीद है।
पिछड़े वर्ग पर पार्टी की नज़र
प्रदेश की राजनीति में देखा जाए तो दलित और पिछड़ो की पार्टी होने का दावा बसपा करती है लेकिन भाजपा इस वर्ग को अपने पाले में लाने के लिए पुरज़ोर कोशिश करती है और यही प्रयास इस बार सदस्यता अभियान में भी देखने को मिलेगा। पार्टी के ब्लूप्रिंट के मुताबिक़ दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों को सदस्य बनाने पर सबसे ज़्यादा ज़ोर दिया जाएगा। राजनीतिक जानकारों की माने तो लोकसभा चुंब में भाजपा के तमाम कोशिशों के बावजूद भी दलित और पिछड़ा वर्ग का वोट पार्टी से खिसका है जिसे अब फिरसे वापस पाने का लक्ष्य रखा गया है।
पहले भी पार्टी ने ऐसी रणनीति पर किया है काम
लोकसभा चुनाव 2014 के समय पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष अमित शाह ने नेतृत्व में भी सदस्यता अभियान की शुरुआत हुई थी,उस समय मिस्ड कॉल और मोबाइल नम्बर के ज़रिए भी सदस्य बनाए गए , उस वक़्त पार्टी ने 1.64 करोड़ नए सदस्य बनाए थे। इसी कारण चुनाव में पार्टी के पक्ष में माहौल खड़ा हुआ जिसका नतीजा यह रहा कि प्रचंड बहुमत ने साथ भाजपा सत्ता में आई और नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे। इसी तरह पार्टी ने 2019 और 2022 में भी 2 करोड़ का लक्ष्य रखा था लेकिन PM मोदी की लोकप्रियता के चलते 2.5करोड़ से भी ज़ायद लोग पार्टी से जुड़े। जिसका नतीजा चुनाव में सबके सामने रहा।
सदस्यता अभियान का तीन चरण चलाएगी पार्टी
पार्टी के इस अभियान से संगठन का विसटर होगा वही बूथ पर भी पार्टी की मज़बूती बढ़ेगी, इसके लिए बक़ायदा तैयारी के साथ पार्टी ने प्लान बनाया है। भाजपा का सदस्यता अभियान तीन चरण में चलेगा। पहला चरण 2 सितंबर से शुरू हो चुका है जो 15 सितंबर तक चलेगा , इसमें सामान्य सदस्य बनाए जाएँगे। वही दूसरा चरण 1 से 15 अक्टूबर तक चलेगा इस भी सामान्य सदस्य को पार्टी से जोड़ा जाएगा। सिके बाद तीसरा और अंतिम चरण 16 अक्टूबर से सक्रिय सदस्यों को जोड़ने का अभियान चलेगा जो 30 अक्टूबर तक चलेगा।
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ग़ौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बाद से भले ही राज्य में कोई चुनाव नज़दीक नहीं है लेकिन 10 सीट पर उपचुनाव को लेकर राज्य की सियासी पारा हाई चल रहा है। इसी कड़ी में सीएम योगी आदित्यानाथ और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच ज़ुबानी जंग भी देखने को मिल रही है।