अहमदाबाद विमान हादसा: एअर इंडिया के ड्रीमलाइनर में दो बार बदला गया TCM, फिर भी क्यों फेल हुआ फ्यूल सिस्टम?
12 जून 2025 को एअर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर (VT-ANB) अहमदाबाद में टेक ऑफ के तुरंत बाद बी.जे. मेडिकल कॉलेज की इमारत पर गिर गया. एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AIIB) की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि टेक ऑफ के कुछ सेकेंड बाद दोनों इंजन के फ्यूल कंट्रोल स्विच ‘रन’ से ‘कट-ऑफ’ मोड में चले गए. कॉकपिट में सीनियर पायलट ने जूनियर से पूछा कि स्विच क्यों बंद किया, लेकिन उसने इंकार किया. ये गड़बड़ी Throttle Control Module (TCM) से जुड़ी मानी जा रही है, जिसे एयर इंडिया पहले ही 2019 और 2023 में बदल चुकी थी. फिर भी हादसा क्यों हुआ, यह जांच का विषय बना हुआ है.

12 जून 2025 को अहमदाबाद प्लेन क्रैश की घटना ने देश को गहरा सदमा दिया. एअर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान VT-ANB टेक ऑफ के कुछ ही सेकेंड बाद अहमदाबाद के मेघाणी नगर में स्थित बी.जे. मेडिकल कॉलेज की इमारत पर जा गिरा. इस भीषण हादसे में कुल 260 लोगों की जान गई. अब इस मामले में एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AIIB) की रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं.
TCM फेलियर और फ्यूल कंट्रोल स्विच का रहस्य
AIIB की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, टेक ऑफ के बाद विमान के दोनों इंजन के फ्यूल कंट्रोल स्विच अचानक 'रन' से 'कट-ऑफ' की स्थिति में चले गए. वह भी एक सेकेंड के अंतराल में. यह वो पल था जब कॉकपिट में बैठे सीनियर पायलट ने अपने जूनियर से पूछा, "तुमने फ्यूल कंट्रोल स्विच क्यों ऑफ किया?" जवाब मिला,"मैंने ऐसा कुछ नहीं किया." यहीं से हादसे की बुनियाद पड़ी. ये वही TCM (Throttle Control Module) है, जिसमें फ्यूल कंट्रोल स्विच जैसे अहम हिस्से शामिल होते हैं. एअर इंडिया ने इस मॉड्यूल को साल 2019 और फिर 2023 में बदला था. बावजूद इसके, ऐसा हादसा क्यों हुआ, यह अब भी एक बड़ा सवाल है.
क्या बचाया जा सकता था यह हादसा?
रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात यह है कि अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने दिसंबर 2018 में ही बोइंग 787 विमानों में फ्यूल स्विच की संभावित समस्या को लेकर चेतावनी जारी कर दी थी. FAA ने कहा था कि लॉकिंग फीचर में तकनीकी गड़बड़ी संभावित खतरा पैदा कर सकती है. इसके बावजूद एअर इंडिया ने इस सुझाव को “अनिवार्य नहीं” मानकर नजरअंदाज कर दिया. AIIB की रिपोर्ट में कहा गया कि फ्यूल कंट्रोल स्विच के कट-ऑफ में जाने के बाद पायलटों ने उन्हें फिर से ऑन करने की कोशिश की. लेकिन तब तक विमान न तो ऊँचाई पकड़ सका और न ही गति. कुछ ही सेकेंड में यह विमान ज़मीन से टकरा गया. इस दुर्घटना में सिर्फ एक शख्स ज़िंदा बचा. शेष 259 यात्रियों और क्रू की मौत हो गई. रिपोर्ट बताती है कि दुर्घटनाग्रस्त विमान के पास वैध उड़ान योग्यता प्रमाणपत्र भी था और हालिया निरीक्षण भी किए गए थे. बोइंग की तरफ से 2019 में जो MPD (Maintenance Planning Document) जारी हुआ था, उसमें स्पष्ट निर्देश था कि हर 24,000 घंटे की उड़ान के बाद TCM को बदला जाए. एअर इंडिया ने इस निर्देश का पालन तो किया, लेकिन FAA की चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया. यही बात इस हादसे को सिर्फ "तकनीकी विफलता" नहीं बल्कि “लापरवाही” का उदाहरण बनाती है.
बताते चलें कि एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 की यह दुर्घटना सिर्फ एक तकनीकी फेलियर नहीं थी, बल्कि यह सिस्टम में मौजूद कई कमियों का परिणाम थी. एक ऐसा विमान, जो दुनिया की सबसे आधुनिक तकनीकों में गिना जाता है, वह चंद सेकेंड में जमीन से टकरा जाता है, तो सवाल उठते ही हैं क्या यात्रियों की सुरक्षा से बड़ा कोई एजेंडा है? क्या FAA जैसे वैश्विक रेगुलेटर्स की चेतावनियों को यूँ ही अनदेखा किया जा सकता है? अब जांच एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि वे इस हादसे की तह तक जाएं और भविष्य में ऐसा कोई मंजर दोबारा न हो, इसका पुख्ता इंतज़ाम किया जाए. क्योंकि अगर एक जान भी सिस्टम की गलती से जाती है, तो वह आंकड़ा नहीं, इंसानियत की हार होती है.