अहमदाबाद विमान हादसा: जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा... दोनों इंजन बंद होने की वजह आई सामने, किसने की थी कटऑफ स्विच से छेड़छाड़?
12 जून 2025 को एअर इंडिया की फ्लाइट AI171 टेकऑफ के 32 सेकंड बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई. शुरुआती जांच में सामने आया कि विमान के दोनों इंजनों में ईंधन सप्लाई स्विच कटऑफ की स्थिति में चला गया, जिसके चलते दोनों इंजन अचानक बंद हो गए और विमान हवा में नहीं टिक सका. अब बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर ईंधन सप्लाई के स्विच को किसने छुआ?

12 जून 2025 को देश उस वक्त गहरे सदमे में डूब गया जब एअर इंडिया की लंदन जाने वाली फ्लाइट AI171 टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई. यह विमान अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भर रहा था, जिसमें 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर्स सवार थे. हादसे में कुल 241 लोगों की मौत हुई, साथ ही मेडिकल हॉस्टल में मौजूद 19 लोगों की जान भी चली गई थी. इस भयावह दुर्घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) द्वारा जारी की गई, जिसमें कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.
दोनों इंजन कैसे हुए बंद?
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उड़ान भरने के मात्र 32 सेकंड बाद ही विमान के दोनों इंजन पूरी तरह से बंद हो गए. 08:08:42 UTC पर विमान ने जब 180 नॉट्स की अधिकतम रफ्तार पकड़ी, उसी समय दोनों इंजन के फ्यूल कटऑफ स्विच "RUN" से "CUTOFF" की स्थिति में चले गए. इसका मतलब था कि इंजन को मिलने वाला ईंधन अचानक रुक गया और दोनों इंजन बंद हो गए. यह स्थिति बेहद खतरनाक होती है, खासकर तब जब विमान टेकऑफ की शुरुआती स्थिति में होता है. बिना इंजन पावर के विमान हवा में टिक नहीं सकता. इससे पहले कि कोई पायलट संभल पाते, विमान 32 सेकंड की उड़ान के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया.
क्या इंसानी गलती थी या तकनीकी चूक?
रिपोर्ट के मुताबिक, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में एक पायलट को यह कहते हुए सुना गया कि "फ्यूल स्विच क्यों बंद कर दिए गए?" और दूसरा पायलट जवाब देता है कि "मैंने ऐसा नहीं किया." यह बातचीत इस दुर्घटना के पीछे किसी मानवीय चूक, भ्रम या मसल मेमोरी की आशंका को जन्म देता है. जानकारों का मानना है कि फ्यूल कटऑफ स्विच ऐसे डिज़ाइन किए जाते हैं कि उन्हें गलती से छूना तक मुश्किल होता है. इसके बावजूद, दोनों स्विच एक-एक सेकंड के अंतर से खुद से बंद हो जाना एक असामान्य घटना है.
FAA की चेतावनी को नजरअंदाज किया गया?
रिपोर्ट में एक और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया. दरअसल, 2018 में अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने एक सलाह जारी की थी, जिसमें बोइंग 787 के फ्यूल कटऑफ स्विच के लॉकिंग मैकेनिज्म में ढील आने की संभावना बताई गई थी. हालांकि यह सलाह अनिवार्य नहीं थी, और एअर इंडिया ने अपने विमानों में इसकी जांच नहीं करवाई थी. अब यह सवाल उठता है कि क्या यह चूक इस त्रासदी का एक कारण बनी?
ईंधन की गुणवत्ता ठीक पाई गई
अक्सर विमान दुर्घटनाओं में ईंधन की गुणवत्ता या पक्षियों की टक्कर (बर्ड स्ट्राइक) एक आम कारण होती है. लेकिन इस मामले में जांचकर्ताओं ने स्पष्ट किया है कि ईंधन पूरी तरह से शुद्ध था और टैंकर से लेकर विमान के टैंक तक लिए गए सभी नमूने संतोषजनक पाए गए. इससे पहले हवाई अड्डे के CCTV फुटेज से यह भी स्पष्ट हुआ कि उड़ान मार्ग में कोई पक्षी से विमान नहीं टकराया था.
विमान के पायलट थे अनुभवी पायलट
जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि फ्लाइट के कैप्टन सुमीत सभरवाल के पास 15,000 से अधिक घंटे की उड़ान का अनुभव था, जिनमें से करीब 8,600 घंटे उन्होंने इसी मॉडल यानी बोइंग 787 पर बिताए थे. को-पायलट क्लाइव कुंदर के पास भी 3,400 घंटे का अनुभव था, और दोनों ने उड़ान से पहले ब्रेथ एनालाइज़र टेस्ट पास किया था. यानी शारीरिक या मानसिक रूप से दोनों पूरी तरह फिट थे. साथ ही सभी 10 केबिन क्रू मेंबर्स भी योग्य और ट्रेंड थे. इससे यह पता चलता है कि इस दुर्घटना में पायलटों की कोई लापरवाही या नशे की हालत में होने की बात नहीं थी. अब जांच टीम के सामने यह सवाल उठता है कि यदि तकनीक भी सही थी और इंसानी टीम भी तैयार थी, तो आखिर गलती कहां हुई?
जांच का अगला चरण क्या होगा?
AAIB ने यह साफ किया है कि यह रिपोर्ट केवल प्रारंभिक निष्कर्ष है. अभी जांच पूरी नहीं हुई है. इस जांच में अमेरिका की NTSB, विमान निर्माता बोइंग, इंजन निर्माता GE और यूके, पुर्तगाल, कनाडा जैसे देशों के विशेषज्ञ भी शामिल हैं. ब्लैक बॉक्स से कुछ डेटा निकाल लिया गया है, लेकिन पिछला रिकॉर्डिंग यूनिट (EAFR) आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त होने से पूरा डेटा नहीं मिल पाया है. अब जांचकर्ता थ्रॉटल क्वाड्रंट, फ्यूल कटऑफ स्विच के डिजाइन और कॉकपिट की पूरी संरचना की बारीकी से जांच कर रहे हैं. साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि कहीं यह गलती किसी मैनुअल ऑपरेशन की वजह से तो नहीं हुई, या जानबूझकर किसी ने यह हरकत की हो. फिलहाल बोइंग 787-8 या GE GEnx-1B इंजन को लेकर कोई नई सुरक्षा चेतावनी जारी नहीं की गई है. इस जांच प्रक्रिया की अंतिम और फ़ाइनल रिपोर्ट आने में एक साल का समय लग सकता है.
बताते चलें कि AI171 की यह दुर्घटना न सिर्फ एक तकनीकी गुत्थी है बल्कि यह भारत के एविएशन इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक बन गई है. इतने बड़े हादसे के बावजूद यदि तकनीकी खामी, ईंधन दोष, या मौसम कारण नहीं है, तो सवाल उठता है. क्या सुरक्षा प्रक्रियाएं इतनी कमजोर हैं कि एक मामूली चूक 260 से ज्यादा जिंदगियों को खत्म कर सकती है?