स्कूल-कॉलेज छात्रों को बस किराये में 50% छूट, महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला, जानें पूरी डिटेल
सरकार की कोशिश है कि छात्रों को महाराष्ट्र के प्रमुख ऐतिहासिक किले, संग्रहालय, धार्मिक स्थल, और प्राकृतिक सुंदरता वाले स्थान देखने का मौका मिले. अधिकारियों को यह भी कहा गया है कि वे स्कूलों को यात्राओं की प्रक्रिया सरल तरीके से समझाएँ, ताकि कोई भी स्कूल बस बुक करने में मुश्किल महसूस न करे.
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Maharashtra Yojana: महाराष्ट्र सरकार ने स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले सभी छात्रों के लिए एक बेहद अच्छी पहल शुरू की है. परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने घोषणा की है कि इस साल शैक्षणिक यात्राओं यानी एजुकेशनल टूर के लिए राज्य परिवहन निगम की ओर से बड़ी संख्या में नई बसें उपलब्ध कराई जाएंगी. सरकार चाहती है कि बच्चे कम खर्च में, आरामदायक और सुरक्षित तरीके से राज्य के ऐतिहासिक, धार्मिक और महत्वपूर्ण स्थानों को देख सकें. दीपावली की छुट्टियों के बाद आमतौर पर स्कूल और कॉलेज अपने शैक्षणिक भ्रमण शुरू करते हैं, इसलिए सरकार ने पहले से ही सारी तैयारियां शुरू कर दी हैं.
शैक्षणिक यात्राओं पर अब किराये में 50% की छूट
सरकार की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि जो छात्र स्कूल या कॉलेज की ओर से किसी शैक्षणिक यात्रा पर जाएंगे, उन्हें यात्रा का किराया अब आधी कीमत में देना होगा। यानी अगर बस का किराया 100 रुपये है, तो छात्र केवल 50 रुपये ही देंगे. इस फैसले का सीधा फायदा हजारों छात्रों को मिलेगा. यह छूट इसलिए दी जा रही है ताकि किसी भी बच्चे का आर्थिक कारणों से शैक्षणिक यात्रा में शामिल होने से मन न टूटे. सरकार मानती है कि ऐसी यात्राएँ बच्चों के ज्ञान को बढ़ाती हैं और उन्हें पढ़ाई से जुड़ी नई चीज़ें जानने का मौका देती हैं.
हर दिन 800–1000 नई बसें उपलब्ध कराई जाएंगी
महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) ने बताया है कि राज्य के 251 डिपो से रोज़ाना लगभग 800 से 1000 नई बसें स्कूल और कॉलेजों को दी जाएंगी. इससे स्कूलों को बसें बुक कराने में कोई परेशानी नहीं होगी और बच्चों की यात्राएँ आसानी से हो सकेंगी. इतना बड़ा इंतज़ाम पहली बार इतने बड़े स्तर पर किया जा रहा है, ताकि हर स्कूल को समय पर बसें मिल सकें और छात्रों को लंबा इंतज़ार न करना पड़े.
पिछले साल 19,624 बसें उपलब्ध कराकर 92 करोड़ रुपये की आय
पिछले साल यानी नवंबर 2024 से लेकर इस साल फरवरी तक MSRTC ने कुल 19,624 बसें शैक्षणिक यात्राओं के लिए दी थीं. इन यात्राओं से महाराष्ट्र सरकार को करीब 92 करोड़ रुपये की आय भी हुई. इससे यह साफ दिखता है कि विद्यार्थी यात्राओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और स्कूल-कॉलेज भी राज्य के अलग-अलग ज्ञानवर्धक स्थानों पर उन्हें ले जाते हैं.
डिपो और स्टेशन अधिकारी स्कूलों से मिलकर यात्राएँ प्लान करेंगे
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परिवहन मंत्री ने डिपो प्रबंधकों और स्टेशन प्रमुखों को यह निर्देश दिया है कि वे सीधे स्कूल और कॉलेज के प्राचार्यों से मिलकर यात्राओं की योजना बनाने में उनकी मदद करें.सरकार की कोशिश है कि छात्रों को महाराष्ट्र के प्रमुख ऐतिहासिक किले, संग्रहालय, धार्मिक स्थल, और प्राकृतिक सुंदरता वाले स्थान देखने का मौका मिले. अधिकारियों को यह भी कहा गया है कि वे स्कूलों को यात्राओं की प्रक्रिया सरल तरीके से समझाएँ, ताकि कोई भी स्कूल बस बुक करने में मुश्किल महसूस न करे.
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