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एसटीडी का बढ़ रहा खतरा, युवतियां हो रहीं शिकार, विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बताए इसके कारण और बचाव के उपाय

एसटीडी होने के अलग अलग कारण हो सकते हैं जिन्हें जानना ज़रूरी है ताकि आप इन बातों का ध्यान रख सकें. अपने पार्टनर से भी एक-दूसरे की सेक्शुअल हेल्थ के बारे में बात करने से शर्माना नहीं चाहिए. इससे आपको एसटीडी से बचने में मदद मिलती है.

एसटीडी यानी सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज unsafe physical relation बनाने की वजह से होता है. अलग अलग पार्टनर्स के साथ सेक्शुअली इन्वॉल्व होने से भी STD हो सकता है. यह एक ऐसी बीमारी है जो किसी वायरस या बैक्टीरिया के कारण होती है. लेकिन कई मामलों में यह मां से बच्चे में आ सकती है जिससे जन्म से ही बच्चा इसकी चपेट में आ सकता है. इससे बचने के लिए सेफ सेक्स बहुत ज़रूरी है लेकिन कई लोग सेफ सेक्स को गंभीरता से लेने के लिए तैयार नहीं हैं। यौन रोग को गंभीरता से न लेना आपके लिए बहुत खतरनाक हो सकता है. इससे आपकी जान भी जा सकती है. आइए जानते हैं किन लोगों को एसटीडी होने का खतरा रहता है और किन वजहों से हो सकता है यह संक्रमण 

किन लोगों को हो सकता है STD?

स्त्री रोग विशेषज्ञ रीना श्रीवास्तव का कहना है कि यौन रूप से सक्रिय कोई भी व्यक्ति एसटीडी से संक्रमित हो सकता है, जिनके सामान्य कारणों में बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी और फंगस शामिल हैं. डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, हर दिन दस लाख से अधिक लोग एसटीडी से प्रभावित होते हैं.

STD होने के क्या कारण हो सकते हैं? 

एसटीडी होने के अलग अलग कारण हो सकते हैं जिन्हें जानना ज़रूरी है ताकि आप इन बातों का ध्यान रख सकें. अपने पार्टनर से भी एक-दूसरे की सेक्शुअल हेल्थ के बारे में बात करने से शर्माना नहीं चाहिए. इससे आपको एसटीडी से बचने में मदद मिलती है. 

-एसटीडी, रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी और फंगस के कारण होते हैं
-यह वेजाइनल, एनल और ओरल सेक्स के साथ-साथ यौन संपर्क से फैलते हैं
-कुछ एसटीडी, जैसे एचआईवी और हेपेटाइटिस बी और सी, ब्लड और इंजेक्शन को शेयर करने से फैलते हैं. इसीलिए ज़रूरी है की इंजेक्शन लगवाने से पहले नीडल की जांच कर लें. इस्तेमाल की गई सुई न लगवाएं. 

यह संक्रमण किसी को भी हो सकता है. लेकिन सबसे ज़्यादा जो लोग इससे प्रभावित होते हैं वो हैं एक से ज्यादा लोगों के साथ फिजिकल रिलेशन बनाने वाले लोग. 15 से 24 वर्ष के बीच के लोगों को भी एसटीडी होने का खतरा ज्यादा होता है.

लक्षण

कुछ STD में लक्षण दिखाई देते हैं वहीं कुछ में नहीं दिखाई देते. ऐसे में इन सामान्य लक्षणों पर ध्यान देने की आवश्यकता है. अगर आपको इनमें से कुछ भी हो रहा है तो तुरंत जांच करवाएं.

-यूरिन के दौरान दर्द होना 
-बार-बार यूरिन आना
-सेक्स के दौरान दर्द
-जेनिटल में घाव या फफोले
-जेनिटल एरिया में खुजली या जलन
-पेट दर्द या बुखार
-असामान्य वेजाइनल डिसचार्ज
-थकान 
-लिम्फ नोड्स में सूजन

STD से कैसे बचें?

एसटीडी से बचने के लिए आपको कई बातों का ध्यान रखना होगा. जैसे सुरक्षित यौन संबंध, रेगुलर चेकअप, वैक्सीनेशन और हेल्दी लाइफस्टाइल. एसटीडी का उपचार संक्रमण के प्रकार पर निर्भर करता है. बैक्टीरियल एसटीडी, जैसे क्लैमाइडिया, गोनोरिया और सिफलिस का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जा सकता है.

STD को रोकने का उपाय 

सुरक्षित यौन संबंध बनाकर एसटीडी को रोका जा सकता है. सुरक्षित यौन संबंध के लिए कंडोम का सही और हमेशा इस्तेमाल करें ताकि यह संक्रमण न फैले. इसके अलावा आपके सेक्सुअल पार्टनर्स की सीमित संख्या होनी चाहिए और एसटीडी के लिए नियमित रूप से टेस्ट करवाना भी ज़रूरी है. 

डा. अराधना सिंह, प्रसूति-स्त्री रोग विशेषज्ञ (एम्स) कहती हैं, "सेक्सुअली एक्टिव रहने पर ये ज्यादा फैलता है. हमारे पास हर रोज जितने भी पेशेंट आते है उसमें 60 प्रतिशत मरीज एसटीडी से संक्रमित होते है. कई बार तो ये इतना खतरनाक हो जाता है की एबॉर्शन तक की नौबत आ जाती है. प्रेग्नेंसी में भी महिलाओं को एसटीडी हो जाता है और फिर ये बच्चे में भी होने की संभावना रहती है." 

वहीं बीआरडी प्रसूति-स्त्री रोग विशेषज्ञ, डा. सुधीर कुमार का कहना है, "ये एक पार्टनर से दूसरे पार्टनर में फैलता है कई बार तो ये बहुत ही गंभीर रोग का कारण भी बन जाता है और इस वजह से बच्चेदानी के मुंह का कैंसर हो जाता है इसको रोकने के लिए वैक्सीन लगाते है जो 9 से 26 साल की युवतियों को लगाया जाता है जिससे ये खतरा कम हो जाएं."

इसीलिए समय रहते सावधान हो जाएं और इस संक्रमण को आप तक पहुँचने से रोकें. अगर आपको ऐसे कोई लक्षण दिखते हैं तो बिना शर्माए जल्दी से जल्दी डॉक्टर से संपर्क करें और इस संक्रमण को फैलने से रोकें. 

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