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‘पाकिस्तान या नरक में से च्वॉइस मिले तो नरक जाना पसंद करूंगा’, जावेद अख्तर के बयान ने मचाया हड़कंप, कट्टरपंथियों को दिया करारा जवाब!

जावेद अख्तर ने एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान कहा कि मुझे दोनों ओर से गालियां मिलती हैं. कोई मुझे काफिर कहता है कि मैं नरक जाऊंगा, तो कोई मुझे जिहादी कहकर पाकिस्तान भेजने की बात करता है. अगर इन दोनों में से ही चुनना पड़े, तो मैं नरक जाना पसंद करूंगा.

18 May, 2025
( Updated: 19 May, 2025
08:21 AM )
‘पाकिस्तान या नरक में से च्वॉइस मिले तो नरक जाना पसंद करूंगा’, जावेद अख्तर के बयान ने मचाया हड़कंप, कट्टरपंथियों को दिया करारा जवाब!
बॉलीवुड के जाने माने गीतकार और लेखक जावेद अख्तर हमेशा ही अपने बयानों की वजह से चर्चाओं में बने रहते हैं, जावेद अख्तर अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं, वो हर मुद्दे पर खुलकर बात करते हैं और बेबाकी से अपनी राय रखते हैं. 

जावेद अख़्तर अपने बयानों की वजह से हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के कट्टरपंथियों के निशाने पर रहते हैं, दोनों ही धर्म के कट्टरपंथी उनकी आलोचना करते हैं. ऐसे में अब उन्होंने मुंबई के एक कार्यक्राम में आलोचना करने वाले दोनों ही धर्मों के कट्टरपंथियों को करारा जवाब दिया है. अख्तर ने पाकिस्तान और नरक जाने के ट्रोल्स के हमले का जवाब दिया और कहा कि अगर उन्हें पाकिस्तान और नरक में से किसी एक को चुनना पड़े तो वो नरक को ही चुनेंगे. 

'पाकिस्तान नहीं नरक जाना पसंद करूंगा'

बता दें कि जावेद अख्तर ने शिवसेना UBT के नेता संजय राउत की पुस्तक 'नरकातला स्वर्ग' के लॉन्च इवेंट के दौरान ये बयान दिया था. इस इवेंट में शरद पवार और उद्धव ठाकरे जैसे बड़े नेता भी मौजूद थे. उन्होंने इस इवेंट के दौरान कहा कि “मुझे दोनों ओर से गालियां मिलती हैं. कोई मुझे काफिर कहता है कि मैं नरक जाऊंगा, तो कोई मुझे जिहादी कहकर पाकिस्तान भेजने की बात करता है. अगर इन दोनों में से ही चुनना पड़े, तो मैं नरक जाना पसंद करूंगा.”

जावेद अख़्तर ने आगे कहा कि -“अगर आप एक तरफ से बात कर रहे हैं तो एक ही तरफ के लोगों को नाखुश करेंगे, लेकिन अगर आप दोनों तरफ से बात कर रहे हैं तो बहुत ज्यादा लोगों को नाखुश करेंगे. कभी मिलिएगा तो मैं दिखाऊंगा अपना व्हाट्सऐप और ट्विटर, जिसमें मुझे दोनों तरफ से गालियां आती हैं. ऐसा नहीं है, बहुत से लोग तारीफ भी करते हैं, लेकिन सच ये भी है कि मुझे इधर के कट्टरपंथी भी गाली देते हैं और उधर के कट्टरपंथी भी गाली देते हैं. यह सही है, अगर इनमें से एक ने गाली देना बंद कर दिया तो मुझे परेशानी हो जाएगी कि मैं क्या गड़बड़ कर रहा हूं. एक कहते हैं कि तुम तो काफिर हो जहन्नुम में जाओगे. दूसरे कहते हैं कि तुम जिहादी हो और पाकिस्तान जाओ...अब अगर मेरे पास च्वॉइस पाकिस्तान या जहन्नुम यानि नरक की हो तो नरक ही जाना पसंद करुंगा.”


आंतकी हमले पर भड़के थे जावेद अख़्तर!

देश के जाने माने लेखक जावेद अख़्तर ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की थी. उन्होंने दोषियों के ख़िलाफ़ एक्शन लेने की बात की थी. उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा था “चाहे कुछ भी हो, चाहे जो भी कीमत चुकानी पड़े, चाहे जो भी परिणाम हों, पहलगाम के आतंकियों को बचकर भागने नहीं दिया जा सकता. इन हत्यारों को अपने अमानवीय कृत्यों के लिए अपनी जान देकर इसका भुगतान करना होगा.”

‘ये सवाल ही पैदा नहीं होता, ये मुमकिन नहीं है’

कुछ दिनों पहले जावेद अख़्तर ने पाकिस्तान कलाकारों को भारत में काम करने देना चाहिए या नहीं, इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी. लेखक ने इस मामले को लेकर एक बातचीत में कहा था “पहलगाम में जो हुआ, उसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच कोई दोस्ताना माहौल नहीं है. ऐसे में यह पूछना कि क्या पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में काम करने देना चाहिए, गलत है. यह सवाल बेहतर समय में उठाया जा सकता है, जब दोनों देशों के रिश्ते सुधरें, लेकिन फिलहाल ये सवाल ही पैदा नहीं होता, ये मुमकिन नहीं है.”
 
जावेद अख़्तर ने आगे कहा था “खास तौर पर हाल में जो कुछ भी हुआ, उसके बाद यह इस वक्त चर्चा का विषय भी नहीं होना चाहिए, पहलगाम में जो कुछ हुआ है, उसके कारण शायद ही कोई दोस्ताना भावना या गर्मजोशी है. सवाल ये होना चाहिए कि क्या हमें पाकिस्तानी कलाकारों को यहां काम करने की इजाजत देनी चाहिए? पहला सवाल यह होना चाहिए कि क्या हमें पाकिस्तानी कलाकारों को यहां आने देना चाहिए. इसके दो जवाब हैं, दोनों ही समान रूप से लॉजिकल हैं. ये हमेशा एकतरफा रहा है. नुसरत फतेह अली खान, गुलाम अली, नूरजहां भारत आए, हमने उनका बहुत अच्छा स्वागत किया, लेकिन पाकिस्तान की ओर से ऐसा रवैया कभी नहीं दिखा. फैज अहमद फैज, जो महान कवि हैं, वह पाकिस्तान में रहते थे. जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान वह भारत आए, तो उनके साथ एक राष्ट्राध्यक्ष जैसा व्यवहार किया गया, सरकार द्वारा बहुत सम्मान दिया गया, लेकिन मुझे नहीं लगता का पाकिस्तान ने कभी पलटकर इसका जवाब दिया हो.”

हम पाकिस्तान में किसे खुश कर रहे हैं?
जावेद अख़्तर यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा था “मुझे पाकिस्तान के लोगों से कोई शिकायत नहीं है. पाकिस्तान के बड़े-बड़े कवियों ने लता मंगेशकर के लिए गीत लिखे हैं.  60 और 70 के दशक में लता मंगेशकर भारत और पाकिस्तान की सबसे लोकप्रिय गायिका थीं, लेकिन पाकिस्तान में लता मंगेशकर का एक भी कार्यक्रम क्यों नहीं हुआ? मैं पाकिस्तान के लोगों से शिकायत नहीं करूंगा, उन्हें पाकिस्तानी आवाज ने खूब प्यार किया, लेकिन कुछ रुकावटें थीं, रुकावटें सिस्टम की थीं, जो मुझे समझ में नहीं आतीं. जब बर्ताव सिर्फ एकतरफा होता है, तो एक वक्त के बाद ऊब आ जाती है. ये बिल्कुल बराबरी का होना चाहिए. हमें आपसे कोई रिस्पॉन्स नहीं मिलता, लेकिन ये कब तक चलता रहेगा?”

जावेद अख़्तर ने कहा था “दूसरा सवाल भी उतना ही वैध है, अगर हम पाकिस्तानी कलाकारों को ब्लॉक करते हैं, तो हम पाकिस्तान में किसे खुश कर रहे हैं? सेना और कट्टरपंथी, यही तो वो चाहते हैं? वो दूरी चाहते हैं, ये उनके ही फायदे ही बात है. भारत और पाकिस्तान के बीच वो लंबी दीवार खड़ी करना चाहते हैं. जिससे वहां के लोगों को कभी पता ना चले कि भारत के नागरिकों को किस तरह की आजादी मिलती है. क्योंकि यहां से पाकिस्तानी कलाकार वापस जाएंगे तो बताएंगे कि भारत में किस तरह से लोगों को मौका और प्रिविलेज मिलता है. तो क्या हम उन्हें खुश कर रहे हैं उन्हें बैन करके? क्या हम उनकी मदद कर रहे हैं? ये भी सवाल है. दोनों सवाल सही हैं. लेकिन इस समय जो कुछ भी हुआ है उसके बाद तो ये टॉपिक भी नहीं होना चाहिए. पहलगाम में जो भी हुआ, उसके बाद ये सब सोचने का मतलब भी नहीं. इस समय ये सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए.”

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