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खरमास में क्यों शुभ और मांगलिक कार्य करना है वर्जित? अगले 1 महीने भूलकर भी ना करें ये गलती, वरना बनते काम भी बिगड़ जाएंगे

खरमास को हिंदू धर्म में विशेष माना जाता है. इसे सामान्य समय से अलग इसलिए माना गया है क्योंकि इस दौरान सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं और उनकी ऊर्जा सामान्य की तुलना में धीमी मानी जाती है.

खरमास में क्यों शुभ और मांगलिक कार्य करना है वर्जित? अगले 1 महीने भूलकर भी ना करें ये गलती, वरना बनते काम भी बिगड़ जाएंगे

खरमास को हिंदू धर्म में विशेष माना जाता है और इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन या किसी नए काम की शुरुआत वर्जित मानी जाती है. कहा जाता है कि इस दौरान किए गए कामों में कोई न कोई बाधा आ जाती है या अशुभ फल प्राप्त होता है.

खरमास में क्यों मांगलिक कार्य करना है वर्जित?

इसे सामान्य समय से अलग इसलिए माना गया है क्योंकि इस दौरान सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं और उनकी ऊर्जा सामान्य की तुलना में धीमी मानी जाती है. 

ज्योतिष के अनुसार, सूर्य की यह स्थिति ग्रहों और नक्षत्रों के शुभ प्रभाव को कम कर देती है. जब ग्रह और सूर्य की ऊर्जा मंद या स्थिर अवस्था में होती है, तो नए आरंभ का फल उतना सफल नहीं होता, जितना हम चाहते हैं. इसी वजह से शास्त्रों में विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन या किसी नए व्यवसाय और मांगलिक कार्यों को खरमास में आरंभ करने से बचने की सलाह दी गई है.

 ये समय देवताओं के विश्राम का समय भी है

धार्मिक मान्यताओं में कहा गया है कि यह समय देवताओं के विश्राम का समय भी है. पुराणों और ज्योतिष शास्त्रों में इसे भगवान सूर्य और अन्य देवताओं की ऊर्जा की स्थिरता का समय बताया गया है. इस दौरान यदि कोई नए कार्य की शुरुआत करता है, तो उसका प्रभाव स्थायी नहीं रह पाता. यही कारण है कि मांगलिक कार्यों को टालने की परंपरा चली आ रही है. शास्त्र बताते हैं कि इस समय ग्रहों का शुभ दृष्टि प्रभाव कम होता है और ग्रह दशा में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं.

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से शरीर और मन शुद्ध होता है

हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि यह समय निष्प्रभावी या बेकार है. खरमास आध्यात्मिक उन्नति, संयम और आत्मचिंतन का अवसर देता है. इस दौरान लोग बाहरी कार्यों की बजाय अपने अंदर की दुनिया पर ध्यान देते हैं. ध्यान, साधना, मंत्र-जप और योग करना इस समय अत्यंत लाभकारी माना गया है. ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से शरीर और मन शुद्ध होते हैं, जबकि सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करने से सकारात्मक ऊर्जा और जीवन-शक्ति बढ़ती है.

खरमास में दान और सेवा का विशेष महत्व है

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खरमास में दान और सेवा का विशेष महत्व है. तिल, गुड़, अन्न, वस्त्र या जरूरतमंदों की मदद करना इस समय अत्यंत पुण्यदायी माना गया है. यह सिर्फ धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि जीवन में करुणा, पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा लाने का माध्यम भी है. मानसिक और भावनात्मक स्थिरता बनाए रखने के लिए इस समय संयम रखना बहुत जरूरी है. नए काम टालने के बावजूद, आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक साधना से आने वाले समय के लिए शुभ आधार तैयार होता है. 

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