PM मोदी की शिव भक्ति लाएगी रंग, कैलाश पर्वत का अदृश्य शहर होगा उनका ठिकाना !
जो कोई भी कैलाश पर्वत के नज़दीक तक गया, उसने ख़ुद को अलौकिक दुनिया में पाया। यहां से निकलने वाली ऊं की ध्वनी पूरी दुनिया को अपनी ओर खिंचती है. धर्म ग्रंथों में जिस शहर का ज़िक्र है, वो कहीं और नहीं बल्कि कैलाश पर्वत में मिलता है. शिव की नगरी में मिलने वाला ये एक ऐसा शहर है, जहां सिद्ध योगियों का बसेरा है. चीन के आगे ओझल हो जाने वाले कैलाश पर्वत के इस शहर की हिस्ट्री और मिस्ट्री को जानने का मौक़ा मिला, नेशनल क्रिएटर अवॉर्ड विनर अरिदमन जी से.

भारत को चोट पहुंचाने में चीन कभी पीछे नहीं रहा, 63 साल पुराना 1962 का युद्ध सबके सामने हैं और समय-समय पर हिंदुओं की आस्था से भी चीन खिलवाड़ करता आया है. आपको ये जानकर ताझुभ होगा कि पिछले 5 सालों से कैलाश मानसरोवर यात्रा बंद पड़ी है, जिसे अब जाकर हरी झंडी मिली है. लेकिन क्या आप जानते हैं, छोटे देशों को हड़पने में लगा चीन चाहकर भी कैलाश पर्वत का बाल भी बाँका नहीं कर पाया, बल्कि भीगी बिल्ली बन जाता है. रहस्यों से भरी कैलाश पर्वत की दुनिया ऐसी है कि यहाँ कदम रखने से चीन कतराता है. अब आप इसे डर कहें या फिर नाकामी, चीन के कदम कैलाश पर्वत को नाप नहीं पाए हैं. हालांकि तिब्बत को हड़प चुका चीन कैलाश पर्वत की पवित्रता का ख़्याल रखता है, तभी तो तीर्थ यात्रियों को छोड़कर सभी प्रकार की चढ़ाई पर प्रतिबंध लगा रखा है। दरअसल जो कोई भी कैलाश पर्वत के नज़दीक तक गया, उसने ख़ुद को अलौकिक दुनिया में पाया। यहां से निकलने वाली ऊं की ध्वनी पूरी दुनिया को अपनी ओर खिंचती है। धर्म ग्रंथों में जिस शहर का ज़िक्र है, वो कहीं और नहीं बल्कि कैलाश पर्वत में मिलता है. शिव की नगरी में मिलने वाला ये एक ऐसा शहर है, जहां सिद्ध योगियों का बसेरा है. चीन के आगे ओझल हो जाने वाले कैलाश पर्वत के इस शहर की हिस्ट्री और मिस्ट्री को जानने का मौक़ा मिला, नेशनल क्रिएटर अवॉर्ड विनर अरिदमन जी से .
आज जब देश में NDA की सत्ता है, फ़ुल एक्शन मोड से ऐतिहासिक फ़ैसले लिये जा रहे हैं. भारत के कोने-कोने में कमल खिल रहा है. तो इसके पीछे एक ही नाम की गूंज है. मोदी-मोदी, गुजरात मॉडल ने पीएम मोदी को दिल्ली पहुँचाया और दिल्ली से पीएम मोदी की करिश्माई व्यक्तित्व और काम करने की इच्छा शक्ति ने विश्व पटल पर भारत को उसकी खोयी हुई पहचान दिलाई. राजनीतिक पिच पर इतिहास रचने वाले पीएम मोदी को आज एक सफल ग्लोबल राजनीतिज्ञ को तौर पर देखा जाता है. आज भले ही राजधानी दिल्ली पीएम मोदी का ठिकाना है, लेकिन यही ठिकाना क्या कल तक रहेगा ? क्योंकि हम सभी जानते हैं कि राजनीति में आने से पहले पीएम मोदी का संन्यासी वाली बैकग्राउंड रहा है. पीएम मोदी ने कई मंचों से ख़ुद से स्वीकारा है कि हिमाचल की कंदराओं में एक लंबा समय साधना बिताया है. आज जब विरोधियों में पीएम मोदी के रिटायरमेंट को लेकर फुसफुसाहट होती है, तो उनकी वापसी आध्यात्मिक जीवन में देखी जाती है. बतौर प्रधानसेवक देश की सेवा करने वाले पीएम मोदी कल को अगर राजनीतिक संन्यास लेते हैं. तो क्या कैलाश पर्वत का अदृश्य शहर ही उनका अंतिम ठिकाना होगा ?