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चट्टानों को चीरकर निकलेगा आस्था का रास्ता, केदारनाथ तक बनेगी 7 किलोमीटर सुरंग!

जमीन खोदकर, चट्टान काटकर केदारनाथ धाम की चौखट तक एक नया रास्ता बनाने की फुल प्लानिंग हो चुकी है. अब बाबा केदार के दर्शन तो होंगे, लेकिन सुरंग के रास्ते. और जब यही सुरंग बाबा केदार के जयकारों से गूंजेगी, तो देश के दो शिवभक्तों की शिव भक्ति का सबूत भी दिखेगा. इसी पर देखिए आज की हमारी ये स्पेशल रिपोर्ट.

24 Jul, 2025
( Updated: 24 Jul, 2025
11:12 AM )
चट्टानों को चीरकर निकलेगा आस्था का रास्ता, केदारनाथ तक बनेगी 7 किलोमीटर सुरंग!

श्रावण मास में शिव भक्तों के लिए एक बड़ी ख़ुशख़बरी आई है. या फिर यूं कहें कि श्रावण मास में दो शिव भक्तों की शिव भक्ति दिखी है. बाबा केदार के दर्शनों के लिए अब ना ही ज़्यादा लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा, ना ही सुरक्षा से कोई समझौता करना पड़ेगा और ना ही एक रास्ते पर निर्भरता रहेगी. क्योंकि ज़मीन खोदकर, चट्टान काटकर केदारनाथ धाम की चौखट तक एक नया रास्ता बनाने की फुल प्लानिंग हो चुकी है. अब बाबा केदार के दर्शन तो होंगे, लेकिन सुरंग के रास्ते. और जब यही सुरंग बाबा केदार के जयकारों से गूंजेगी, तो देश के दो शिव भक्तों की शिव भक्ति का सबूत भी दिखेगा. इसी पर देखिए आज की हमारी ये स्पेशल रिपोर्ट.

त्रिपुरारी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, केदार घाटी में विद्यमान केदारनाथ धाम हिंदुओं की आस्था का अलौकिक केंद्र है. यही वह दिव्य स्थान है, जहां पांडवों ने अपने भाइयों की हत्या के पाप से मुक्ति पाई. यही वह दिव्य धाम है, जहां पांडवों को जटाधारी महादेव ने साक्षात दर्शन दिए. यही वह पवित्र भूमि है, जहां आकर आदि शंकराचार्य ने समाधि ली और यही वह स्थल है, जहां नर-नारायण ऋषि और भगवान शिव का मिलन हुआ. यहाँ की महत्ता से अभिभूत होकर आदि शंकराचार्य ने न सिर्फ केदारनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया, बल्कि इसे एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित किया. इसी कारण केदारनाथ धाम आज चारधाम तीर्थों में गिना जाता है. हालांकि यहां तक पहुँचना आसान नहीं है. जैसे ही बाबा केदारनाथ के कपाट खुलते हैं, गौरीकुंड से 16 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय कर शिव भक्त अपनी मंज़िल तक पहुँचते हैं. इस मार्ग में गौरीकुंड से रामबाड़ा 9 किलोमीटर, रामबाड़ा से लिंचोली 2 किलोमीटर, और लिंचोली से केदार मंदिर 5 किलोमीटर दूर है. लेकिन क्या आप जानते हैं, इस कठिन यात्रा को आसान बनाने के लिए मोदी-गडकरी की जोड़ी ने एक नया रास्ता निकाल दिया है?

अब ना ही लैंडस्लाइड का ख़तरा होगा, ना ही लंबा इंतज़ार करना पड़ेगा और ना ही 11 किलोमीटर फ़ालतू चलना पड़ेगा. दरअसल, केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने केदारनाथ धाम के रास्ते को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए एक नया मार्ग तैयार करने की फाइनल प्लानिंग कर ली है. इस योजना के तहत करीब 7 किलोमीटर लंबी सुरंग (टनल) बनाई जाएगी. अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो आने वाले 4–5 वर्षों में केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के दो रास्ते उपलब्ध होंगे. अभी जिस मार्ग से श्रद्धालु बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए जाते हैं, उसकी तुलना में नया रास्ता और वह भी सुरंग वाला कितना अलग और सुविधाजनक होगा, आइए पहले उसे समझते हैं.

केदारनाथ तक जाने का नया रास्ता कैसा होगा?

फिलहाल गौरीकुंड से रामबाड़ा और लिंचोली होते हुए केदारनाथ धाम तक का पैदल मार्ग लगभग 16 किलोमीटर लंबा है. लेकिन सुरंग बन जाने के बाद यह दूरी घटकर मात्र 5 किलोमीटर रह जाएगी. यह टनल उत्तराखंड में समुद्र तल से करीब 6562 फीट की ऊंचाई पर बनाई जाएगी. सुरंग की शुरुआत कालीमठ घाटी के अंतिम गांव 'चौमासी' से होगी और इसका अंतिम सिरा लिंचोली तक पहुंचेगा. लिंचोली, केदारनाथ मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर पहले स्थित है. चौमासी तक पहले से ही पक्की सड़क मौजूद है, जहां तक गाड़ियों से पहुंचा जा सकता है. इसके बाद सुरंग के ज़रिए श्रद्धालु सीधे लिंचोली पहुंचेंगे. फिर वहां से 5 किलोमीटर का छोटा सा पैदल सफर तय करके बाबा केदारनाथ के दर्शन किए जा सकेंगे.

आसान शब्दों में समझें तो भविष्य का रूट कुछ ऐसा होगा, रुद्रप्रयाग–गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर ‘कुंड’ से ‘चुन्नी बैंड’ होते हुए रास्ता कालीमठ, कोटमा और फिर चौमासी तक जाएगा. कुंड से चौमासी की दूरी लगभग 41 किलोमीटर है. चौमासी से एक 7 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जाएगी, जो सीधे लिंचोली तक पहुंचेगी. इसके बाद लिंचोली से केदारनाथ मंदिर मात्र 5 किलोमीटर दूर रह जाएगा. गौर करने वाली बात यह है कि यह नया मार्ग चट्टानों और बुल्यालों (भूस्खलन क्षेत्रों) के नीचे से होकर गुजरेगा. इसी कारण यहां लैंडस्लाइडिंग का खतरा ना के बराबर होगा. इसलिए कहा जा सकता है कि भविष्य में यह मार्ग शिवभक्तों के लिए अत्यंत सुरक्षित साबित होगा. दरअसल, 2013 की आपदा से सीखा गया सबसे बड़ा सबक यही था कि प्रकृति के विरुद्ध नहीं, बल्कि उसके अनुसार चलना होगा. और अब उसी सीख के आधार पर सुरंग के रास्ते बाबा केदार की चौखट तक पहुंचने की योजना बन चुकी है और वो भी शिव भक्त मोदी–गडकरी की जोड़ी के नेतृत्व में. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि अब ‘ज़मीन खोदकर, चट्टान काटकर’ सुरंग के रास्ते पहुंचेंगे केदारनाथ धाम.

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