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महाकुंभ खत्म होते ही योगी ने कैसे जीत लिया चारों शंकराचार्य का दिल?

जिन्होंने महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए। जिन्होंने संगम के जल पर संदेह किया और जिन्होंने पूर्णिमा के बाद के महाकुंभ को सरकारी कुंभ बताया। उनके लिए योगी बाबा की ज़ुबान से ऐसा क्या निकला है, जिसे सुनकर आपके कान भी खड़े हो जाएँगे।

01 Mar, 2025
( Updated: 01 Mar, 2025
12:30 PM )
महाकुंभ खत्म होते ही योगी ने कैसे जीत लिया चारों शंकराचार्य का दिल?

टिट फ़ॉर टैट' अंग्रेज़ी की कहावत है, मतलब है 'जैसे को तैसा लेकिन क्या यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की डिक्शनरी में टिंट फ़ॉर टैट में अस्तित्व रखता है। आज ये सवाल आप ख़ुद से कीजिये। दरअसल महाकुंभ के खत्म होते ही मठाधीश योगी आदित्यनाथ के एक बयान ने देश के चारों शंकराचार्यों को गद्गद कर दिया है। महाकुंभ हादसे को लेकर योगी को जिनके क्रोध का शिकार होना पड़ा। जिन्होंने महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए..जिन्होंने संगम के जल पर संदेह किया और जिन्होंने पूर्णिमा के बाद के महाकुंभ को सरकारी कुंभ बताया। उनके लिए योगी बाबा की ज़ुबान से ऐसा क्या निकला है, जिसे सुनकर आपके कान भी खड़े हो जाएँगे। 

देश के सबसे बड़े धार्मिक समागम में सनातन के महा पर्व में, मानवता के सबसे बड़े जमावड़े में  देश के चारों शंकराचार्य संगम नगरी प्रयागराज पहुंचे। 45 दिनों के महाकुंभ में पुरी से लेकर ज्योतिष पीठ द्वारिका और श्रृंगेरी मठ चारों शंकराचार्य की एक साथ मौजूदगी और उनके दर्शन महाकुंभ आने वाले श्रद्धालुओं ने किये। यूँ तो प्रत्येक शंकराचार्य की अपने-अपने मठ से जुड़ी अहमियत है..लेकिन इस पूरे महाकुंभ में दो शंकराचार्य अपने बयानों के चलते छायेंगीं रहे। पहले नंबर पर पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्लचलानंद सरस्वती महाराज, जिन्होंने महाकुंभ के बीच मोदी-योगी की मिली भगत पर बड़ा बयान दिया था। मोदी-योगी दोनों पर कटाक्ष करते हुए स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा था कि जैसे मोदी हैं वैसे ही योगी हैं।बयान दिया था कि बटोगे तो कटोगे और नरेन्द्र मोदी कहते हैं सबका विकास। हिन्दूओं का वोट नहीं कटे इसलिए एक हिन्दू का पक्षधर हो जाता है। दोनों की मिली भगत है। जेसे मोदी हैं वैसे ही योगी हैं।


हालाँकि महाकुंभ के समापन तक निश्लचलानंद सरस्वती महाराज का सुर बदला-बदला नजर आया, महाकुंभ के आख़िरी दिनों में डबल इंजन सरकार की तारीक करते दिखे। ख़ुद ये माना कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में अच्छा तालमेल है। जिसके परिणाम वश सफल महाकुंभ का आयोजन हुआ है। अब बात अगर ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज की करें, तो इन्होंने डे वन से योगी सरकार को आगाह किया। सबसे पहले त्रिवेणी के जल पर सवाल उठाए…पूछा क्या गंगा आचमन और स्नान करने लायक़ है ?  फिर मौनी अमावस्या पर हुए हादसे को लेकर योगी सरकार पर मृतकों का आँकड़ा छुपाये जाने का आरोप लगाया। प्रशासनिक व्यवस्थाओं से इस कदर क्रोधित हुए कि सीधे योगी को गद्दी से हटाए जाने की माँग कर डाली। ये भी कहा कि अपना किया भोगना पड़ेगा, 2027 में योगी आदित्यनाथ को नहीं जिताएंगे और जब पूर्णिमा बीत गई, उसके बाद के महाकुंभ को सरकारी महाकुंभ बता दिया। मतलब साफ़ है कि इस पूरे महाकुंभ में योगी बाबा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज के निशाने पर रहे लेकिन अब जब महाकुंभ ख़त्म हो चुका है, अविमुक्तेश्वरानंद महाराज अपने धाम लौटे गये है। ऐसे में प्रयागराज की धरती से बोलते हुए योगी बाबा ने देश के चारों शंकराचार्य का आभार व्यक्त किया है। ये बताने की कोशिश की  जो कभी नहीं हुआ , वो इस बार महाकुंभ में हुआ। बक़ायदा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज का नाम लेकर कितनी बड़ी बात कही है। 

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