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मध्यप्रदेश के उज्जैन में शराबबंदी के बाद कैसे लगेगा काल भैरव को भोग ?

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है एक ऐसा मंदिर जहां बिना शराब चढ़ाए पूजा अधूरी मानी जाती है। ये मंदिर अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है। मध्य प्रदेश में हाल ही में हुई शराबबंदी के कारण इस मंदिर में भी इसका असर देखने को मिल रहा है, क्योंकि मंदिर के बाहर लगने वाली शराब की दुकानों को मध्य प्रदेश सरकार ने बंद कर दिया है, जिससे भक्तों को बाबा को भोग लगाने में परेशानी हो रही है। लेकिन अब सरकार ने भक्तों की सुविधा का ध्यान रखते हुए इस नियम में नए बदलाव किए हैं।

Created By: NMF News
06 Apr, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
03:02 AM )
मध्यप्रदेश के उज्जैन में शराबबंदी के बाद कैसे लगेगा काल भैरव को भोग ?

भारत वैसे तो विविधता में एकता का केंद्र है, यहां समय-समय पर कई सतों ने जनम लिया, कई राजाओं ने युगों-युगों तक राज किया और कई महानपुरुषों ने भारत की सनातन संस्कृति को बचायें रखने के लिए ऐसे रहस्यमयी मंदिरों का निर्माण किया जिसका रहस्य आज तक नही सुलझ पाया है, जैसे कि मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है एक ऐसा मंदिर, जहां रोजाना लगभग सैकड़ों भक्त महाकाल के दर्शन करने के लिए आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर में आए भक्त भगवान को प्रसाद के रूप में शराब जैसी चीजें क्यों चढ़ाते हैं? क्या आप ये जानते हैं कि इस मंदिर में भगवान को शराब चढ़ाने का रिवाज कैसे शुरू हुआ? क्या आप ये जानते हैं कि मध्यप्रदेश के धार्मिक शहरो में शराबबंदी करने से उज्जैन के काल भैरव मंदिर पर इसका क्या प्रभाव पड़ा है, और सरकार के शराबबंदी के फैसले को लेकर लोगों का इस पर क्या कहना है ?

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित इस मंदिर का नाम है काल भैरव मंदिर, जो इस शहर के देवता काल भैरव को समर्पित है। उज्जैन की शिप्रा नदी के किनारे स्थित ये मंदिर अपनी एक अनोखी परंपरा के कारण भी पूरे देश में मशहूर है, यहां रोजाना सैकड़ों भक्त इस मंदिर में भगवान काल भैरव के दर्शन कर उन्हें शराब का प्रसाद चढ़ाते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि कोई मूर्ति शराब का पान कैसे कर सकती है, मान्यताओं के अनुसार, भगवान काल भैरव तामसिक प्रवृत्ति के देवता है साथ ही उन्हें मदिरा का भोग लगाना सकंल्प और शक्ति का प्रतीक माना जाता है , एक बार राजा विक्रमादित्य की पूजा में विघ्न डालने के लिए किसी ने राजा के प्रसाद में शराब मिला दी इसके बाद जब मंदिर में भोग लगाया गया तो भगवान काल भैरव क्रोधित हो गयें फिर राजा ने भगवान को प्रसन्न करनेकेलिए विशेष पूजा की जिसके बाद भगवान प्रसन्न हुए और उनको शराब का भोग लगने लगा, इसके अलावा आपको ये भी बता दे कि ये मंदिर एक वाम मार्गी मंदिर है, वाम मार्गी के मंदिरों में शराब, मदिरा का प्रसाद चढ़ाया जाता है। हजारों वर्षों पहले यहां सिर्फ तांत्रिकों को ही आने की अनुमति थी, तांत्रिक ही यहां आकर क्रियाएं करते और कुछ विशेष अवसरों पर भगवान काल भैरव को मदिरा अर्पित करते थे। भगवान काल भैरव को शराब पिलाने का ये सिलसिला कई वर्षों से चला आ रहा है, लेकिन अब मध्य प्रदेश के उज्जैन के साथ 18 धार्मिक शहरों में 1 अप्रैल से शराबबंदी लागू कर दी गई है। इसी शराबबंदी के चलते हर दुकान के बाहर एक पुलिसकर्मी को तैनात किया गया है ताकि कोई भी कानून को न तोड़ पाए। साथ ही आने-जाने वाले वाहनों की भी चेकिंग की जाएगी। अब ऐसे में लोगों के दिमाग में एक सवाल चल रहा है कि…भगवान काल भैरव को प्रसाद रूपी शराब का भोग कैसे लगेगा? 


शराबबंदी का असर अब उज्जैन के प्रसिद्ध मंदिर काल भैरव में भी देखने को मिल रहा है, क्योंकि करीब छह हजार वर्षों से भगवान काल भैरव के इस मंदिर में रोजाना सैकड़ों भक्त पूजा-अर्चना कर भगवान को शराब का भोग लगाते हैं। इसलिए इस मंदिर के बाहर शराब की दो दुकानें थीं, लेकिन अब ये दोनों ही दुकानें बंद कर दी गई हैं। ऐसे में बाबा के दर्शन करने वाले भक्तों को शराब बाहर से खरीदकर लानी होगी। इसी के साथ काल भैरव मंदिर में सरकार ने दो दिनों तक स्टॉक रखने की अनुमति दे दी है। हालांकि भक्त बाहर से भी बाबा को भोग लगाने के लिए चार बोतल तक शराब ला सकते हैं, इसमें कोई रोक नहीं है। इसके अलावा आपको जानकारी देते चलें कि बंद हुई दुकानें कहां होंगी शिफ्ट ? 


शराब की ये दुकानें अब गांवों में शिफ्ट हो चुकी है । जिला कलेक्टर नीरज कुमार सिंह का इसपर कहना है कि यहां 17 शराब दुकानों से करीब 262 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता था, इन दुकानों को अब शहर के बाहर ग्रामीण क्षेत्रों में शिफ्ट कर दिया गया है, जिसके कारण राजस्व का नुकसान नहीं होगा। शराबबंदी पूरी तरह लागू हो, इस बात को लेकर पुलिस प्रशासन का अमला तैनात किया गया है।


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मंदिर के आसपास जहां-जहां शराब की दुकानें थीं, वहां के निवासियों ने सरकार के इस फैसले की बढ़ी सराहना की है। लोगों ने बताया कि शराब की दुकानों के कारण वे काफी ज्यादा परेशान थे। कई शराबी तो मंदिर के बाहर ही शराब पीते थे, इससे महिलाएं और युवतियां काफी परेशानियों का सामना करती थीं। हम मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के इस निर्णय की सराहना करते हैं ।जिस तरह से मध्यप्रदेश में धार्मिक स्थलों के बाहर सभी शराब की दुकानों को बंद कराया गया है।

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