खौफ में चीन, 6 जुलाई को दलाई लामा चुनेंगे उत्तराधिकारी !
अब जब नया दलाई लामा चुने जाने का समय आया है, तो उसमें भी चीन ने अपनी दादागिरी दिखाने की कोशिश की, लेकिन उसी दादागिरी को मौजूदा दलाई लामा ने कुचलकर रख दिया है. यही कारण है कि 6 जुलाई से चीन की उलटी गिनती शुरू हो जाएगी. या फिर यूं कहें कि चीन के पाप का घड़ा अब भर चुका है, और जैसे ही यह घड़ा फूटेगा, आज का चीन टुकड़ों में बंट सकता है. तो क्या वाकई 6 जुलाई से चीन की 'कब्र' खुदनी शुरू हो जाएगी?

पूरी दुनिया को हड़पने में लगा शातिर ड्रैगन इन दिनों टेंशन में है, और उसकी इस टेंशन का नाम है दलाई लामा. अब जब नया दलाई लामा चुने जाने का समय आया है, तो उसमें भी चीन ने अपनी दादागिरी दिखाने की कोशिश की, लेकिन उसी दादागिरी को मौजूदा दलाई लामा ने कुचलकर रख दिया. इसी कारण 6 जुलाई से चीन की उलटी गिनती शुरू हो जाएगी. या फिर यूं कहें कि चीन के पाप का घड़ा अब भर चुका है, और इस घड़े के फूटते ही आज का चीन टुकड़ों में बंट सकता है. तो क्या वाकई 6 जुलाई से चीन की कब्र खुदनी शुरू हो जाएगी? इसी पर देखिए हमारी आज की ये खास रिपोर्ट.
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा इस नाम और इस चेहरे को सिवाय चीन के, पूरी दुनिया पसंद भी करती है और पूजती भी है. अतीत गवाह है, अपनी चालाकियों से चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया, जिसका विरोध तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने किया. चीन की दमनकारी नीतियों को उन्होंने विश्व पटल पर उजागर किया. नास्तिक चीन के असली चेहरे को सामने लाने का काम किया, यही कारण है कि भारत में दलाई लामा की मौजूदगी चीन को हमेशा खटकती रही. क्योंकि जिस दलाई लामा को दुनिया नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करती है, उसी में जिनपिंग सरकार को भिक्षु के वेश में भेड़िया नज़र आता है. आज के दलाई लामा को चीन अलगाववादी बताता है. और अब जब तिब्बत में अगले दलाई लामा के चुने जाने का समय आया है, तो उसमें भी चीन ने अपनी शातिरगिरी दिखानी शुरू कर दी है. दरअसल शातिर ड्रैगन दलाई लामा के पद पर खुद के प्यादे को खड़ा करना चाहता है, ताकि तिब्बत के विरोध को दबाया जा सके. जबकि मौजूदा दलाई लामा ने साफ़ कर दिया है कि उनका उत्तराधिकारी पुरानी बौद्ध परंपराओं के आधार पर ही चुना जाएगा, जिसमें चीन का कोई हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा. इसी के चलते एक बार फिर दलाई लामा और चीन के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है. और इसी तनाव के बीच 6 जुलाई को तिब्बत को अपना नया दलाई लामा मिलेगा, यानी दलाई लामा का अगला उत्तराधिकारी.
सौ बात की एक बात ये है कि तिब्बत पर कब्जा करने के बाद चीन तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु पर पूरा नियंत्रण चाहता है, ताकि उसके इशारों पर भविष्य के सारे दलाई लामा नाचें. हैरानी की बात ये है कि खुद को नास्तिक बताने वाला चीन, नए दलाई लामा के चयन को लेकर घरेलू मान्यता, स्वर्ण कलश प्रक्रिया और चीनी सरकार के अनुमोदन सिद्धांतों का हवाला देकर धमकी दे रहा है. चीन साफ शब्दों में कह चुका है कि हमारी मंजूरी के बिना नए दलाई लामा को मान्यता नहीं मिलेगी. लेकिन सवाल ये है क्या दलाई लामा के वारिस को ड्रैगन की मंजूरी की ज़रूरत है?
चीन की अब तक की चालाकियों पर पानी फेरते हुए बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने यह ऐलान कर दिया है कि चीन में पैदा हुआ व्यक्ति उनका उत्तराधिकारी नहीं बनेगा. दूसरी बात यह कि नया दलाई लामा 600 साल पुरानी तिब्बती बौद्ध परंपरा के अनुसार ही चुना जाएगा. इस परंपरा के अनुसार खोज और पहचान की प्रक्रिया गादेन फोडरंग ट्रस्ट द्वारा की जाएगी. आज आपको यह जान लेना चाहिए कि तिब्बती परंपरा के अनुसार, एक वरिष्ठ बौद्ध भिक्षु की आत्मा मृत्यु के बाद एक बच्चे के शरीर में पुनर्जन्म लेती है. वर्तमान दलाई लामा की पहचान भी इसी परंपरा के अनुसार हुई थी, जब वे मात्र 2 साल के थे. और अब, जब वे 6 जुलाई को 90 वर्ष के हो जाएंगे, तो उन्हीं के जन्मदिन पर तिब्बत को अपना नया दलाई लामा मिल सकता है. यही कारण है कि 6 जुलाई ने चीन की नींद उड़ा रखी है.
बहरहाल, जो भी नया चेहरा दलाई लामा का वारिस बनेगा.