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कट्टरपंथी ताक़तों को ठेंगा दिखाने वाला America जेल के रास्ते बना Islamic Country !

विश्व शक्तियों में शुमार भारत से कोसो मील दूर बैठा अमेरिका ईसाई बहुल मुल्क है, 1 फ़ीसदी के आसपास मुस्लिम आबादी है, फिर भी इस्लाम की चौखट पर खड़ा है, क्योंकि सलाख़ों के पीछे से अमेरिका का इस्लामीकरण किया जा रहा है। ट्रंप की नाक के नीचे से एक बड़ी तादाद में अमेरिकी इस्लाम क़बूल कर रहे हैं। इसके पीछे की वजह क्या है? अब क्या ट्रंप भी मुस्लिम टोपी पहनेंगे? मज़हबी शिक्षा क्या अमेरिका को इस्लामिक कंट्री बनाकर छोड़ेगी? क्या है ये पूरा मामला, देखिए इस पर हमारी ये ख़ास रिपोर्ट।

19 Mar, 2025
( Updated: 03 Dec, 2025
05:12 PM )
कट्टरपंथी ताक़तों को ठेंगा दिखाने वाला America जेल के रास्ते बना Islamic Country !

अमेरिकी सत्ता पर क़ाबिज़ मुल्क के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, इस्लामिक वर्ल्ड में ज़्यादा पसंद नहीं किए जाते हैं क्योंकि ये वही ट्रंप हैं, जिन्होंने अपने पहले कार्यकाल में 7 मुस्लिम देशों पर ट्रैवल बैन लगा दिया था और अब एक बार फिर मुस्लिमों के टार्गेट पर हैं क्योंकि अबकी बार 41 देशों के निवासियों को अमेरिकी वीज़ा के नाम पर ठेंगा दिखाने वाले हैं। व्हाइट हाउस 41 देशों पर ट्रैवल बैन लगाने की तैयारी कर रहा है। भारत से सटे मुस्लिम देश भी ट्रंप की आँखों में खटक रहे हैं। ट्रंप के रूढ़िवादी रूख ने मुस्लिमों को प्रभावित तो किया है, लेकिन अपना वोटर बनाने में वो कितने कामयाब हुए, ये तो मालूम नहीं। फिलहाल ट्रंप की नाक के नीचे अमेरिका का इस्लामीकरण चल रहा है। अमेरिकी खुद से इस्लाम क़बूल कर रहे हैं। जेल में सज़ा काट रहे अमेरिकी क़ैदी मज़हबी शिक्षा के सहारे इस्लाम क़बूल कर रहे हैं। आइये आपको बताते हैं, इस पूरे मामले की ABC

सीबीएस न्यूज़ की रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है, रिपोर्ट कहती है हर साल सलाख़ों के पीछे से इस्लाम क़बूल किया जा रहा है। एक बड़े पैमाने पर अमेरिकी जेल में बंद क़ैदी अपनी धार्मिक आस्था में बदलाव कर रहे हैं, इस्लामी शिक्षा संगठनों से संपर्क कर रहे हैं, ताकि इस्लामी आध्यात्मिक मार्गदर्शन पा सकें। बताया जा रहा है कि इस्लामिक शिक्षा के लिए बकायदा कॉरेस्पोंडेंस कोर्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस मसले में इस्लामी शिक्षा दे रही नसूर तैयबा फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक रामी नसूर का ये दावा है कि जेल में बंद अमेरिकी क़ैदी इस्लामी आध्यात्मिक मार्गदर्शन और इस्लामी शिक्षा संसाधनों की मांग करते हैं। सौ बात की एक बात ये कि, जेलों में इस्लाम तेज़ी से बढ़ रहा है।

90 फ़ीसदी क़ैदियों ने सलाख़ों के पीछे रहते हुए धर्म परिवर्तन किया है। ख़ुद को मुसलमान बनाया है। इसके पीछे के कारण है, शारीरिक और आध्यात्मिक बंधन से मुक्ति। रामी नसूर ये बताते हैं कि इस्लाम लोगों को आध्यात्मिक आज़ादी महसूस कराता है। इसी के चलते जेल में बंद क़ैदी 5 वक्‍त की नमाज़ पढ़ते हैं और मजहबी चर्चाएं करते हैं। गौर करने वाली बात ये कि जो लोग बंद सलाख़ों के पीछे इस्लाम क़बूलते हैं, वो जेल से बाहर आने के बाद भी इस्लाम को मानते हैं। मतलब ये कि धीरे-धीरे ही सही, लेकिन दिनों दिन अमेरिकी इस्लाम की तरफ़ बढ़ते जा रहे हैं। अब अगर इस्लामीकरण का नाम दिया जाए, तो क्या आज का अमेरिका कल की इस्लामिक कंट्री बन जाएगी?

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