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कोल्हापुर के अंबाबाई मंदिर में दिवाली पर जलता है ऐसा रहस्यमयी दीया, जो करता है भक्तों की हर मुराद पूरी!

दिवाली के शुभ अवसर पर कोल्हापुर के अंबाबाई मंदिर में एक ऐसा रहस्यमयी दीया जलाया जाता है, जो अगली अमावस्या तक लगातार जलता रहता है. कहा जाता है कि इस दीए की रोशनी से मां लक्ष्मी हर भक्त की मनोकामना पूरी करती हैं. आखिर क्या है इस दीए का रहस्य आइये जानते हैं…

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20 Oct 2025
( Updated: 11 Dec 2025
02:09 PM )
कोल्हापुर के अंबाबाई मंदिर में दिवाली पर जलता है ऐसा रहस्यमयी दीया, जो करता है भक्तों की हर मुराद पूरी!

इस वर्ष 20 अक्टूबर को दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भगवान कुबेर के साथ उनकी पूजा होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाराष्ट्र के कोल्हापुर में मां लक्ष्मी का ऐसा मंदिर है, जहां मां लक्ष्मी आर्थिक समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए जानी जाती हैं? यह मंदिर बहुत प्राचीन है, उसी वजह से मंदिर की मान्यता बहुत ज्यादा है. दिवाली के समय मंदिर में मां अंबाबाई को विशेष तौर पर सुंदर सोने के गहनों से सजाया जाता है और मंदिर की रौनक देखते ही बनती है. भक्त दूर-दूर से मां अंबाबाई के दर्शन के लिए आते हैं. कर्ज और पैसों की तंगी से निजात पाते हैं. भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मुराद मां अंबा पूरी करती हैं और भक्तों की झोली धन-धान्य से भरती हैं. इसके अलावा दिवाली की रात को मंदिर के शिखर पर एक दीया जलाया जाता है, जो अगली अमावस्या तक लगातार जलता है.

कितना पुराना है मां अंबाबाई का मंदिर?

मां अंबाबाई मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है. कहा जाता है कि मंदिर को 1700-1800 साल पहले बनाया गया था. मंदिर का बनाव भी अनोखा है. मंदिर की दीवारों पर अनोखी नक्काशी की गई है, जो मंदिर को अद्भुत बनाती है. माना जाता है कि मंदिर को चालुक्य वंश के राजा कर्णदेव ने बनवाया था और आक्रमणकारियों की वजह से कई बार मंदिर को पुनर्स्थापित किया गया. इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां साल में 3 दिन ही सूर्य की रोशनी मां पर सीधी पड़ती है. माना जाता है कि पहले दिन सूर्य की किरण मां के मस्तक पर, फिर अगले दिन कमर पर, और फिर उनके चरणों पर पड़ती है. इस मौके पर मंदिर की सारी लाइट बंद कर दी जाती है.

मां अंबाबाई और भगवान तिरुपति का क्या है कनेक्शन?

पौराणिक किंवदंतियों को मानें तो कोल्हापुर के मां अंबा के मंदिर का जुड़ाव तिरुपति के विष्णु भगवान के मंदिर से है. माना जाता है कि भगवान विष्णु से किसी बात पर नाराज होकर मां अंबा ने कोल्हापुर में अपना स्थान बना लिया था. इसलिए हर साल मां के लिए तिरुपति से शॉल अर्पित की जाती है. इस मंदिर के कपाट रात को 9 बजे बंद कर दिए जाते हैं.

मंदिर में मौजूद खंभे हैं बेहद रहस्यमयी

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मां अंबाबाई मंदिर में मौजूद खंभे भी इस मंदिर को खास बनाते हैं. कहा जाता है कि मंदिर के चारों कोनों पर खास तरीके के खंभे हैं, जिन्हें आज तक कोई भी गिन नहीं पाया. माना जाता है कि जब भी कोई खंभों की गिनती करता है, तो उसके साथ कुछ न कुछ बुरा हो जाता है.

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