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भारत बना महासागर का शेर! नौसेना की NASM-SR मिसाइल ने सटीक वार कर दुनिया को चौंकाया

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने 25 फरवरी को चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) से 'नेवल एंटी शिप मिसाइल शॉर्ट रेंज' (NASM-SR) का सफल परीक्षण किया। इस परीक्षण ने मिसाइल की 'मैन-इन-लूप' क्षमता को प्रमाणित किया, जिसमें उसने समुद्र में एक छोटे जहाज को अधिकतम रेंज पर सटीकता से निशाना बनाया।

भारत बना महासागर का शेर! नौसेना की NASM-SR मिसाइल ने सटीक वार कर दुनिया को चौंकाया
 भारत ने अपनी सैन्य ताकत को और भी ज्यादा मजबूत करते हुए समुद्री युद्धक क्षमता में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। मंगलवार को भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 'नेवल एंटी शिप मिसाइल शॉर्ट रेंज' (NASM-SR) का सफल परीक्षण किया। इस परीक्षण ने न केवल भारतीय रक्षा प्रणाली में एक नया आयाम जोड़ा बल्कि वैश्विक स्तर पर यह संदेश भी दिया कि हिंदुस्तान अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है।
समुद्र के सीने में दहाड़ती भारतीय तकनीक
चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) से इस मिसाइल का परीक्षण किया गया, और इसकी सटीक मारक क्षमता ने सभी को चौंका दिया। परीक्षण के दौरान मिसाइल ने समुद्र में एक छोटे जहाज को निशाना बनाया और अत्यधिक सटीकता के साथ उसे नष्ट कर दिया। यह मिसाइल अपने ‘मैन-इन-लूप’ (Man-in-the-Loop) फीचर के कारण बेहद खास है, जो इसे अन्य पारंपरिक एंटी-शिप मिसाइलों से अलग बनाता है।

क्या है ‘मैन-इन-लूप’ फीचर?

NASM-SR की सबसे बड़ी खासियत इसका ‘मैन-इन-लूप’ फीचर है। सामान्य मिसाइलें लॉन्च होने के बाद अपने निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचती हैं, लेकिन इस मिसाइल को रीयल-टाइम में नियंत्रित किया जा सकता है। यानी अगर कोई भी रणनीतिक बदलाव करना हो, तो इसे ऑपरेशन के दौरान ही एडजस्ट किया जा सकता है। इससे दुश्मन के जहाजों को चकमा देना और उन पर हमला करना और भी प्रभावी हो जाता है।
मंगलवार की सुबह चांदीपुर के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज पर सबकुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन अंदर ही अंदर भारत की सबसे घातक नौसेना मिसाइल के परीक्षण की तैयारियां चल रही थीं। वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की एक टीम इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने के लिए ब्रीफिंग रूम में जमा थी। जैसे ही मिसाइल को लॉन्च किया गया, पूरा परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
मिसाइल ने हवा में तेजी से उड़ान भरी और कुछ ही सेकंड्स में अपने लक्ष्य की ओर बढ़ गई। भारतीय नौसेना का एक छोटा युद्धपोत समुद्र में इस परीक्षण के लिए तैयार रखा गया था, जिसे इस मिसाइल ने पल भर में भेद दिया। इस दौरान मिसाइल ने 'समुद्र-स्किमिंग मोड' (Sea-Skimming Mode) में उड़ान भरी, जिससे यह पानी की सतह के बहुत करीब रहकर दुश्मन के रडार से बचते हुए निशाने पर वार कर सकी।

NASM-SR की तकनीकी विशेषताएँ 

यह मिसाइल आधुनिक तकनीक से लैस है और इसे भारत में ही विकसित किया गया है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
सटीक मारक क्षमता – यह मिसाइल दुश्मन के जहाजों को बेहद सटीक तरीके से निशाना बना सकती है।
समुद्र-स्किमिंग तकनीक – यह मिसाइल पानी की सतह के बेहद करीब रहकर उड़ान भरती है, जिससे दुश्मन के रडार इसे पकड़ नहीं पाते।
शॉर्ट रेंज मारक क्षमता – यह शॉर्ट रेंज की एंटी-शिप मिसाइल है, जो सीमित दूरी के अंदर घातक हमला करने में सक्षम है।
रीयल-टाइम कंट्रोल – 'मैन-इन-लूप' सिस्टम की वजह से इसे ऑपरेशन के दौरान नियंत्रित किया जा सकता है।
भारतीय नौसेना लगातार अपनी समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने में जुटी हुई है। चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की बढ़ती समुद्री गतिविधियों को देखते हुए भारत को अपनी नौसैनिक क्षमता में लगातार बढ़ोतरी करनी पड़ रही है। NASM-SR का परीक्षण इस दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे भारतीय नौसेना को छोटी और तेज़ गति वाली मिसाइलों की मदद से दुश्मनों को जवाब देने की ताकत मिलेगी।
इस मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद नौसेना के एक अधिकारी ने कहा, "यह परीक्षण हमारी रक्षा तकनीक के बढ़ते स्तर को दर्शाता है। इससे हमें युद्धक्षेत्र में नई रणनीतियाँ अपनाने का मौका मिलेगा और भारतीय नौसेना पहले से ज्यादा मजबूत होगी।"

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ती सैन्य ताकत

NASM-SR के सफल परीक्षण के साथ भारत ने यह साबित कर दिया कि वह न केवल आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली की ओर बढ़ रहा है, बल्कि समुद्री शक्ति के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना रहा है। वैश्विक रक्षा विशेषज्ञों की नजरें अब भारत पर टिकी हैं, क्योंकि यह परीक्षण हिंद महासागर में भारत की मजबूत स्थिति को दर्शाता है। अमेरिका, रूस और चीन पहले ही अपनी आधुनिक नौसैनिक मिसाइलें विकसित कर चुके हैं, लेकिन भारत का NASM-SR इन देशों की मिसाइलों से किसी भी मायने में कम नहीं है। खास बात यह है कि इसे पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से बनाया गया है, जो 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को साकार करता है।
अब सवाल यह उठता है कि भारतीय नौसेना इस मिसाइल का उपयोग किस तरह करेगी? विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में इसे नौसेना के जहाजों और हेलीकॉप्टरों से भी लॉन्च करने की योजना है। इसके अलावा, DRDO इस मिसाइल की रेंज को और बढ़ाने पर काम कर रहा है, जिससे यह लंबी दूरी तक दुश्मन के जहाजों को निशाना बना सके।
NASM-SR का सफल परीक्षण केवल एक मिसाइल का परीक्षण नहीं था, बल्कि यह भारत की सैन्य शक्ति में एक नया अध्याय जोड़ने जैसा है। यह मिसाइल भारतीय नौसेना को और भी मजबूत बनाएगी और देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। 
भारत की रक्षा तकनीक में यह एक सुनहरा अध्याय है, और इस सफलता के साथ एक नई उम्मीद भी जुड़ी है – कि आने वाले वर्षों में भारतीय सेना और नौसेना आत्मनिर्भर बनते हुए दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में शामिल हो जाएँगी।

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