दुश्मनों को लगा तगड़ा झटका, भारत के इस कदम से बवाल
बढ़ते समय के साथ भारत की बढ़ती ताक़त का लोहा हर कोई मान रहा है…आज भारत की शक्ति हर कोई पहचान रहा है…भारत की तरफ़ टेढ़ी आंख कर देखने वाले जवाब मिल रहा है..आज पूरी दुनिया को भारत की ज़रूरत है…लेकिन अब भारत की शक्ति और ज़्यादा बढ़ गई है…भारत आधिकारिक तौर पर एक पर्यवेक्षक राष्ट्र के रूप में यूरोप के मल्टीनेशनल यूरोड्रोन कार्यक्रम में शामिल हो गया है…ये एक ऐसा प्रोग्राम है जिसमें घातक से घातक ड्रोन बनाए जा रहे हैं

Follow Us:
बढ़ते समय के साथ भारत की बढ़ती ताक़त का लोहा हर कोई मान रहा है।आज भारत की शक्ति हर कोई पहचान रहा है। भारत की तरफ़ टेढ़ी आंख कर देखने वाले जवाब मिल रहा है।आज पूरी दुनिया को भारत की ज़रूरत है।लेकिन अब भारत की शक्ति और ज़्यादा बढ़ गई है। भारत आधिकारिक तौर पर एक पर्यवेक्षक राष्ट्र के रूप में यूरोप के मल्टीनेशनल यूरोड्रोन कार्यक्रम में शामिल हो गया है।ये एक ऐसा प्रोग्राम है जिसमें घातक से घातक ड्रोन बनाए जा रहे हैं।भारत के इस प्रोग्रम में शामिल होने की घोषणा यह घोषणा ऑर्गनाइजेशन ऑफ ज्वाइंट आर्मामेंट कोऑपरेशन (OCCAR) ने की है। उसने अत्याधुनिक यूरोड्रोन मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस (MALE) रिमोटली पायलटेड एयर सिस्टम (RPAS) कार्यक्रम में भारत की भागीदारी का स्वागत किया है।
यूरोड्रोन में यूरोप की कई कंपनियां शामिल हैं। जो इस कार्यक्रम में शामिल देशों के लिए विनाशकारी और ख़तरनाक ड्रोन बनाने में लगी हैं। जिनकी ताक़त का लोहा दुनिया रूस-यूक्रेन जंग में देख चुकी है।जिनके दम पर यूक्रेनी सेना ने रूस की नाक में दम कर दिया था। अब जल्द ही ऐसे दमदार ड्रोन भारतीय सेना में शामिल होकर दुश्मन को धूल चटा देंगे।
इसलिए भारत का इस प्रोग्राम में शामिल होना एक गेम चेंजर कदम माना जा रहा है। साथ ही ये भारत के रक्षा क्षेत्र में भी बड़ा कदम है। भारत से पहले जापान इस प्रोग्राम में शामिल हो चुका है और भारत के बाद Indo-pacific क्षेत्र में इस प्रोग्राम में शामिल होने वाला दूसरा देश बन चुका है।नवंबर 2023 में जापान के आने के बाद पिछले साल अगस्त में आवेदन स्वीकार होने के बाद भारत भी इसमें शामिल हो गया..ये प्रोजेक्ट कोई छोटा मोटा नहीं है बल्कि 2016 में शुरू किए गए यूरोड्रोन कार्यक्रम का अनुमानित क़ीमत 7.3 बिलियन डॉलर है और इस प्रोजेक्ट को लीड करने वाले देशों में फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन शामिल है। इस प्रोग्राम का महत्व गैर यूरोपीय सिस्टम पर यूरोप की निर्भरता को कम करना है। हालांकि, यूरोड्रोन कार्यक्रम में देरी और बढ़ती लागत की समस्या रही है।