जिस मेधा रूपम को CEC ज्ञानेश कुमार से कनेक्शन होने को लेकर ट्रोल कर रहे कांग्रेस नेता, एक बार उनकी उपलब्धियां जान लें, शायद ही खुद से नजर मिला पाएं
कहीं पे निगाहें कहीं पर निशाना! अव्वल एथलीट, पढ़ाई में टॉप, जेवर एयरपोर्ट, फिल्म सिटी परियोजना के निगरानी का अनुभव...जिस मेधा रूपम को CEC ज्ञानेश कुमार से कनेक्शन होने को लेकर ट्रोल कर रहे कांग्रेस नेता, एक बार उनकी उपलब्धियां जान लें, शायद ही खुद से नजर मिला पाएं.
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भारत में एक समय था जब उद्योगपति, व्यापारी, बनिया होना एक तरह से क्राइम बना दिया गया था. पहले टाटा-बिड़ला और अब अडानी-अंबानी के नारे लगने लगे हैं. ठीक इसी तरह अगर आपके पिता किसी बड़े पद पर हैं, उनका नाम है तो आपका करियर में, निजी जिंदगी में आगे बढ़ना एक तरह से अपराध बना दिया जा रहा है. भले ही आप में टैलेट हो, आप अपने बूते आगे बढ़े हों, लेकिन उसे इस तरह विवादित किया जाएगा कि वो आपने अपने पिता की बदौलत, परिवार की बदौलत हासिल किया है.
ये अलग बात है कि इस बात को इनकार कर दिया जाता है कि पढ़ाई का माहौल से बहुत लेना देना होता है और अगर आपके घर में कोई किसी बड़े पद पर हों तो आपकी परवरिश उसी माहौल में होती है, आपकी सोच उसी आधार पर तैयार हो जाती है, जिससे आपको परीक्षा से लेकर साक्षात्कार में काफी फायदा होता.
खैर ये बातें हम क्यों कह रहे हैं? इसकी जरूरत इसलिए आन पड़ी है कि सोशल मीडिया पर, भारत का विपक्ष इन दिनों नोएडा की नवनियुक्त DM की नियुक्ति को आधार बनाकर भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को टार्गेट करने में लगा है, नेपोटिज्म का आरोप लगा रहा है, जिलाधिकारी के पूरे करियर को ही विवादास्पद करने पर तुला है, बिना ये जाने कि उनकी प्रोफाइल कैसी है, उन्होंने अपने जीवन में, पढ़ाई में क्या-क्या और कैसे हासिल किया है और उसका कितना महत्व है.
मामला कुछ ये है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते दिनो अपने प्रशासनिक फेरबदल से राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी. सरकार ने रूटनी के तहत ही एक साथ 23 IAS अधिकारियों का तबादला किया, जिनमें दस जिलों के जिलाधिकारी भी शामिल हैं. खास तौर पर नोएडा यानी गौतमबुद्ध नगर में हुए बदलाव को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. सरकार ने तल्कालीन डीएम मनीष कुमार वर्मा को हटाकर IAS अधिकारी मेधा रूपम को नया जिलाधिकारी नियुक्त किया.
कौन हैं मेधा रूपम ?
मेधा मूल रूप से आगरा की रहने वाली हैं, उनका जन्म भी वहीं हुआ था. उनके पिता केरल में तैनात थे, जिसके चलते मेधा की प्रारंभिक पढ़ाई केरल से हुई थी. मेधा साल 2014 में परीक्षा पास कर प्रशासनिक सेवा में चयनित हुईं. मेधा रूपम पहले एक शूटिंग खिलाड़ी थीं. मेधा केरल स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में तीन गोल्ड मेडल ला चुकी हैं. शूटिंग के खेल में अपना नाम ऊंचा करने के बाद उन्होंने सिविल सर्विस में आने का मन बनाया .फिर यूपीएससी परीक्षा पास कर आईएएस बनीं. पहली बार तैनाती बरेली में सहायक मजिस्ट्रेट के रूप में मिली थी. मेरठ और उन्नाव में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट भी रहीं.
यह फैसला ऐसे वक्त में लिया गया है जब जिले में कई बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, जैसे जेवर एयरपोर्ट और फिल्म सिटी, अपने निर्णायक दौर में हैं. विपक्ष का आरोप है कि यह बदलाव विकास परियोजनाओं को "राजनीतिक एजेंडे" के अनुरूप ढालने की कोशिश है और सत्ता पक्ष की सुविधा के हिसाब से अधिकारियों की तैनाती की जा रही है. कुछ विपक्षी नेताओं का कहना है कि बार-बार अफसरों को बदलना प्रशासनिक स्थिरता को नुकसान पहुंचाता है. हालांकि, सरकार ने इसे एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया बताया है.
काम में तेज तर्रार, सीएम योगी की खास, नोएडा की डीएम मेधा रूपम कौन हैं?
इन सबके बीच चर्चा का केंद्र बनी हैं मेधा रूपम, जिन्हें गौतमबुद्ध नगर का नया और पहला महिला जिलाधिकारी नियुक्त किया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भरोसेमंद और तेजतर्रार अधिकारियों में शुमार मेधा रूपम को विकास और कानून-व्यवस्था के मामलों में सख्त और परिणाम देने वाले अफसर के तौर पर जाना जाता है. उनके कार्यभार संभालने के साथ ही यह उम्मीद जताई जा रही है कि नोएडा के बुनियादी ढांचे और परियोजनाओं को नई गति मिलेगी.
मेधा रूपम 2014 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और उत्तर प्रदेश कैडर में कार्यरत हैं. उन्होंने इससे पहले ग्रेटर नोएडा की अतिरिक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी के रूप में काम किया है, जहां वे जेवर एयरपोर्ट और इंटरनेशनल फिल्म सिटी जैसी परियोजनाओं की निगरानी कर चुकी हैं. इन परियोजनाओं की जटिलता और महत्व को देखते हुए उनकी नियुक्ति को प्रशासनिक अनुभव और स्थायित्व के लिहाज से भी जरूरी माना जा रहा है.
केरल से लेकर दिल्ली तक पढ़ाई में मेधा रूपम ने गाड़े झंडे
मेधा रूपम की शिक्षा और निजी जीवन भी उतना ही प्रेरणादायक है. वे मूल रूप से आगरा की रहने वाली हैं, लेकिन उनकी प्रारंभिक शिक्षा केरल के एर्नाकुलम और तिरुवनंतपुरम में हुई. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया और उसके बाद यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं. 2013 में उन्होंने मनोविज्ञान को वैकल्पिक विषय बनाकर सिविल सेवा परीक्षा दी और देशभर में 10वीं रैंक हासिल की.
अव्वल दर्जे की एथलीट रही हैं मेधा रूपम
उनकी एक खासियत यह भी है कि वे खेलों में भी अव्वल रही हैं. मेधा रूपम एक राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज हैं और 2009 में राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में तीन गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं. इसके अलावा वे केरल स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप और विश्वविद्यालय स्तर पर भी कई बार विजेता रही हैं. यह दिखाता है कि उनके भीतर अनुशासन, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और लक्ष्य को हासिल करने की दृढ़ता हमेशा से रही है.
पिता CEC, पति IAS, बहन IRS, जीजा IAS, चाचा IRS, फूफा IPS- पूरा परिवार सिविल सेवा से जुड़ा
मेधा रूपम का पारिवारिक परिवेश भी प्रशासनिक सेवाओं से गहराई से जुड़ा रहा है. उनके परिवार में कुल छह सदस्य यूपीएससी पास कर चुके हैं. उनके पति मनीष बंसल 2014 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उनकी बहन अभिश्री आईआरएस में हैं और बहन के पति अक्षय लाबरू आईएएस अधिकारी हैं. उनके चाचा मनीष कुमार आईआरएस में हैं, जबकि फूफा उपेंद्र कुमार जैन आईपीएस अधिकारी हैं. सबसे खास बात यह है कि उनके पिता ज्ञानेश कुमार गुप्ता 1988 बैच के आईएएस अधिकारी रह चुके हैं और वर्तमान में भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त हैं.
मेधा रूपम पर सवाल उठाने से पहले इन सवालों का जवाब दे विपक्ष?
ऐसे समय में जब नोएडा जैसे बड़े जिले में राजनीतिक, प्रशासनिक और विकास के मुद्दे आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं, मेधा रूपम की नियुक्ति से लोगों को काफी उम्मीदें हैं. सवाल विपक्ष से भी उठते हैं कि क्या किसी व्यक्ति का बड़े प्रशासनिक परिवार से होना गुनाह है? क्या सिर्फ इसलिए कि अधिकारी ने पूर्व में किसी बड़े प्रोजेक्ट में काम किया है, उसका तबादला राजनीतिक साज़िश माना जाए? ये सिर्फ एक व्यक्ति और अधिकारी की नियुक्ति पर सवाल नहीं बल्कि एक महिला के करियर पर सवाल है.
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क्या विपक्ष यह मानता है कि एक महिला अधिकारी, जिसने अपने टैलेंट का लोहा मनवाया है, जिसे बड़ी-बड़ी परियोजनाओं के नेतृत्व करने का अनुभव है, उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता? क्या बार-बार अफसरों को बदलने पर सवाल उठाने वाला विपक्ष, अफसरों की योग्यता और उनकी पिछली कार्यप्रणाली को भी देखता है या केवल राजनीतिक चश्मे से देखता है? क्या यह विरोध वास्तव में जनता के हित में है, या केवल सरकार को कठघरे में खड़ा करने की रणनीति? इन सवालों के जवाब आने वाले समय और मेधा रूपम के कामकाज से मिल सकते हैं. जनता अब केवल आरोपों से नहीं, परिणामों से संतुष्ट होती है. इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष इन सवालों का सामना कैसे करता है, और मेधा रूपम जिले में कैसी कार्यशैली अपनाती हैं.
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