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क्या है 24 कैरेट गोल्ड वाली ऑस्कर ट्रॉफी की आइकॉनिक कहानी?

ऑस्कर ट्रॉफी केवल एक अवॉर्ड नहीं, बल्कि सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित पहचान है। इस ट्रॉफी का डिजाइन 1927 में तय किया गया था और इसे मैक्सिकन अभिनेता एमिलियो फर्नांडीज की प्रेरणा से बनाया गया। पहली बार यह ट्रॉफी 1929 में ऑस्कर समारोह में दी गई।
क्या है 24 कैरेट गोल्ड वाली ऑस्कर ट्रॉफी की आइकॉनिक कहानी?
दुनिया के हर फिल्ममेकर और कलाकार का सपना होता है ऑस्कर ट्रॉफी को अपने हाथों में थामना। यह केवल एक अवॉर्ड नहीं है, बल्कि सिनेमा के इतिहास और उत्कृष्टता की पहचान है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह चमचमाती ट्रॉफी आखिर किसकी मूर्ति है? इसकी कहानी में वो सबकुछ है जो इसे और भी दिलचस्प बनाता है। आइए, इस प्रतिष्ठित ट्रॉफी के पीछे की कहानी को विस्तार से समझते हैं।

कैसे शुरू हुआ ऑस्कर?

ऑस्कर अवॉर्ड्स का पहला आयोजन 16 मई, 1929 को हुआ था। यह इवेंट कैलिफोर्निया के प्रसिद्ध रूजवेल्ट होटल में आयोजित किया गया। इसे "अकादमी पुरस्कार ऑफ मेरिट" भी कहा जाता है। इस आयोजन से दो साल पहले, 1927 में, अकादमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट्स एंड साइंसेज ने एक ट्रॉफी डिजाइन करने का फैसला लिया। लॉस एंजेल्स में हुई एक बैठक के दौरान, कई कलाकारों को अपने-अपने डिजाइनों को पेश करने का मौका दिया गया। इनमें से मूर्तिकार जॉर्ज स्टैनली का डिजाइन चुना गया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मूर्ति के पीछे एक व्यक्ति की प्रेरणा छिपी हुई है?

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस ट्रॉफी की प्रेरणा मैक्सिकन फिल्ममेकर और एक्टर एमिलियो फर्नांडीज से ली गई थी। 1904 में मैक्सिको के कोआहुइलिया में जन्मे फर्नांडीज का जीवन संघर्षों से भरा था। एक हाई स्कूल ड्रॉपआउट, फर्नांडीज ने मैक्सिकन क्रांति के दौरान विद्रोहियों के साथ काम किया और बाद में हॉलीवुड में एक्स्ट्रा के तौर पर काम करने लगे। फर्नांडीज की कहानी तब और दिलचस्प हो जाती है, जब वे हॉलीवुड की मशहूर साइलेंट फिल्म स्टार डोलोरेस डेल रियो के संपर्क में आए। डेल रियो, उस समय "मेट्रो गोल्डविन मेयर स्टूडियो" के आर्ट डायरेक्टर और अकादमी के सदस्य कैड्रिक गिबॉन्स की पत्नी थीं। गिबॉन्स उस समय ऑस्कर ट्रॉफी के डिजाइन पर काम कर रहे थे।

डेल रियो ने फर्नांडीज को गिबॉन्स से मिलवाया, जिन्होंने उनसे ट्रॉफी के स्केच के लिए पोज देने को कहा। फर्नांडीज ने अनिच्छा से पोज दिया, और यही पोज ऑस्कर ट्रॉफी का आधार बना। जॉर्ज स्टैनली ने इस डिजाइन को मूर्त रूप दिया, और पहली बार यह ट्रॉफी 1929 में ऑस्कर समारोह में दी गई।

ट्रॉफी की खासियत

ऑस्कर ट्रॉफी की ऊंचाई 13.5 इंच और वजन लगभग 8.5 पाउंड है। इसे 24 कैरेट गोल्ड प्लेटिंग से बनाया जाता है, जो इसे एक शाही रूप देता है। यह ट्रॉफी पीतल और ब्रिटेनियम से तैयार होती है, जिसे गोल्ड प्लेटिंग के जरिए चमकदार रूप दिया जाता है। वैसे आपको बता दें कि ऑस्कर ट्रॉफी केवल एक प्रतीकात्मक पुरस्कार है। इसके मालिकाना हक के नियम बहुत सख्त हैं। ऑस्कर विजेता इस ट्रॉफी को चाहकर भी बेच नहीं सकता। यदि कोई विजेता इसे बेचना चाहता है, तो सबसे पहले इसे अकादमी को सिर्फ 1 डॉलर में वापस बेचना होगा। हालांकि, ऑस्कर की कीमत तकनीकी रूप से केवल 1 डॉलर मानी जाती है, लेकिन इसे बनाने में बहुत मेहनत और खर्चा होता है। यह ट्रॉफी न केवल उत्कृष्टता का प्रतीक है, बल्कि सिनेमा के इतिहास और कला की सराहना का प्रमाण है।

जैसे-जैसे 97वें ऑस्कर अवॉर्ड्स की तैयारी शुरू हो चुकी है, भारतीय-अमेरिकी फिल्म ‘Anuja’ ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार कौन इस प्रतिष्ठित ट्रॉफी को अपने घर ले जाएगा। ऑस्कर ट्रॉफी की कहानी न केवल सिनेमा की सफलता की गवाही देती है, बल्कि इसके पीछे छिपी मेहनत, संघर्ष और कला की समर्पण की भी दास्तान है। यह ट्रॉफी न केवल एक पुरस्कार है, बल्कि उन सपनों का प्रतीक है, जिन्हें हर फिल्ममेकर और कलाकार संजोता है।
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