‘माहे’ भारतीय नौसेना में हुआ शामिल, स्वदेशी क्षमता और समुद्री सुरक्षा का नया अध्याय
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारतीय नौसेना के इस जहाज में इस्तेमाल की गई 80 प्रतिशत से अधिक सामग्री स्वदेशी है. माहे को अत्याधुनिक व उन्नत सेंसर्स से लैस किया गया है. इसके साथ ही इसमें हथियार और आधुनिक इंटीग्रेशन सिस्टम मौजूद हैं. थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी की मौजूदगी में सोमवार को यह जहाज नौसेना में शामिल किया गया.
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सोमवार को ‘साइलेंट हंटर’ यानी एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शेलो वॉटर क्राफ्ट ‘माहे’ भारतीय नौसेना में शामिल किया गया.नौसेना का यह एंटी-सबमरीन जहाज गोपनीय मिशन, सतर्कता और अटूट संकल्प का प्रतीक है.
जोखिम वाले मिशनों के लिए तैयार ‘माहे’
नौसेना के मुताबिक ‘माहे’ को तटीय इलाकों में उच्च जोखिम वाले मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है. इसकी क्षमताएं इसे एक शक्तिशाली व उथले पानी का बेहतरीन योद्धा बनाती हैं. यह जहाज पनडुब्बी रोधी जैसे बड़े व खतरनाक अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है.
80% से अधिक स्वदेशी सामग्री
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारतीय नौसेना के इस जहाज में इस्तेमाल की गई 80 प्रतिशत से अधिक सामग्री स्वदेशी है. माहे को अत्याधुनिक व उन्नत सेंसर्स से लैस किया गया है. इसके साथ ही इसमें हथियार और आधुनिक इंटीग्रेशन सिस्टम मौजूद हैं. थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी की मौजूदगी में सोमवार को यह जहाज नौसेना में शामिल किया गया.
⚓ Witness History at Sea 🇮🇳
— IN (@IndiannavyMedia) November 24, 2025
Join us LIVE as Mahe — an agile, indigenous shallow water combatant — is commissioned into the #IndianNavy 🚢✨
📅 24 November 2025
📍 Naval Dockyard, Mumbai
The ceremony will be presided over by General Upendra Dwivedi, Chief of the Army Staff.… pic.twitter.com/7aYsrWqnMv
ऐतिहासिक शहर ‘माहे’ से प्रेरित नाम
इस अवसर पर वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन समेत अन्य अधिकारी, कर्मचारी, वेटरन्स और अन्य अतिथि मौजूद रहे. भारतीय नौसेना के मुताबिक ‘माहे’ नाम मालाबार तट स्थित ऐतिहासिक नगर ‘माहे’ पर रखा गया है. माहे को सांस्कृतिक समृद्धि और समुद्री इतिहास के लिए जाना जाता है. 24 नवंबर को भारतीय नौसेना का यह पहला माहे क्लास, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शेलो वॉटर क्राफ्ट आधिकारिक रूप से नौसेना में शामिल किया गया.
यह स्वदेशी रक्षा निर्माण क्षमता का प्रतीक है.माहे का निर्माण भारत में ही कोचीन शिपयार्ड द्वारा किया गया है. यही कारण है कि ‘माहे’ ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का सशक्त उदाहरण भी पेश किया है. इस श्रेणी के कुल 8 एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शेलो वॉटर क्राफ्ट जहाज नौसेना में शामिल किए जाएंगे. माहे इनमें पहला है.
भारतीय नौसेना के स्वदेशी निर्माण इतिहास में नया अध्याय
नौसेना के ‘माहे’ को तटीय इलाकों में उच्च जोखिम वाले मिशनों के लिए विशेष तौर पर डिजाइन किया गया है. इसकी क्षमताएं इसे एक शक्तिशाली उथले जल का योद्धा बनाती हैं. इसकी मुख्य परिचालन भूमिकाओं की बात करें तो यह एंटी-सबमरीन वॉरफेयर में उथले समुद्र में दुश्मन पनडुब्बियों की खोज और उन्हें नष्ट करेगा. कोस्टल पेट्रोलिंग व तटीय सुरक्षा और निगरानी में तैनात किया जाएगा. इससे मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस में वृद्धि होगी. प्रमुख समुद्री मार्गों एवं बंदरगाहों की सुरक्षा बढ़ेगी. विशेष मिशनों के लिए त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित होगी.
इस शेलो क्राफ्ट के क्रेस्ट में ‘उरुमि’ कलारीपयट्टू की लचीली तलवार को दर्शाया गया है. यह क्रेस्ट काफी आकर्षक है. नौसेना के अनुसार यह फुर्ती, सटीकता, घातक क्षमता व समुद्री चुनौतियों से निपटने की दक्षता का प्रतीक है. सोमवार को माहे की कमीशनिंग के उपरांत विशेषज्ञों ने कहा कि माहे की कमीशनिंग सिर्फ एक जहाज का नौसेना में शामिल होना भर नहीं है.
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विशेषज्ञों के मुताबिक यह जहाज समुद्र में भारत की डिजाइन-टू-डिलीवरी क्षमता का प्रमाण है. यह तेज है, चपल है और आधुनिक स्वदेशी लड़ाकू समुद्री जहाजों के नए युग की शुरुआत है. विशेषज्ञ आज के इस दिन को भारतीय नौसेना के स्वदेशी युद्धपोत इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हैं.
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