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भगवान शिव से कनेक्शन,120 KM रेंज, फ्रांस की दिलचस्पी...पिनाका लॉन्ग रेंज रॉकेट की टेस्टिंग सफल, मारक क्षमता अचूक

देश की रक्षा क्षमता और सशक्त हो गई है. ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट (LRGR 120) का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. रॉकेट ने लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा. चीन से मिल रही चुनौतियों और फ्रांस की इसकी खरीद में दिलचस्पी को देखते हुए ये काफी अहम साबित होने वाली है.

Pinaka Rocket Launcher Test Successful/ X/@DefenceMinIndia

भारतीय सेना की ताकत दिन प्रतिदिन ना सिर्फ बढ़ रही है बल्कि वो मारक के साथ-साथ अभेद्य भी होती जा रही है. इसी कड़ी मे सोमवार को ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) में पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट (एलआरजीआर 120) का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. इस रॉकेट की अधिकतम 120 किलोमीटर की रेंज के लिए परीक्षण किया गया, जिसमें इसने निर्धारित लक्ष्य पर अत्यंत सटीक निशाना साधते हुए सभी तकनीकी और परिचालन मापदंडों को सफलतापूर्वक पूरा किया. आपको बताएं कि चीन की ओर से लंबी दूरी के रॉकेट सिस्टम तैनात किए जाने के बाद इस तरह की प्रणाली की आवश्यकता और भी अधिक अहम हो गई थी.

बढ़ी पिनाका की रेंज, मारक क्षमता अचूक!

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, परीक्षण के दौरान रेंज पर तैनात सभी उन्नत ट्रैकिंग और निगरानी उपकरणों ने रॉकेट की पूरी उड़ान पथ (ट्रैजेक्टरी) पर बारीकी से नजर रखी. पिनाका एलआरजीआर 120 पारंपरिक पिनाका मल्टी-बैरेल रॉकेट सिस्टम का उन्नत संस्करण है. शुरुआत में पिनाका एक अनगाइडेड रॉकेट लॉन्चर था, जिसकी मारक क्षमता लगभग 40 किलोमीटर थी, लेकिन अब इसके गाइडेड स्वरूप विकसित किए जा रहे हैं, जिनकी रेंज 120 किलोमीटर तक पहुंच गई है. 

इसमें अत्याधुनिक गाइडेंस सिस्टम, उन्नत नेविगेशन और उच्च सटीकता जैसी क्षमताएं शामिल हैं, जो इसे कठिन युद्ध परिस्थितियों में भी प्रभावी बनाती हैं और भारतीय थलसेना की आर्टिलरी क्षमता में बड़ा परिवर्तन ला सकती हैं.

DRDO ने किया विकसित, ये है खासियत

पिनाका एलआरजीआर 120 को डीआरडीओ की कई प्रयोगशालाओं ने मिलकर विकसित किया है. इसमें पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (एआरडीई) की प्रमुख भूमिका रही है, जबकि हैदराबाद की डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब (डीआरडीएल), रिसर्च सेंटर इमारत और हाई एनर्जी मैटेरियल्स रिसर्च लेबोरेटरी (एचईएमआरएल) का तकनीकी सहयोग प्राप्त हुआ. परीक्षण का समन्वय इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) और प्रूफ एंड एक्सपेरिमेंटल एस्टैब्लिशमेंट द्वारा किया गया. खास बात यह रही कि एलआरजीआर को सेना में पहले से सेवा में मौजूद मानक पिनाका लॉन्चर से दागा गया, जिससे यह सिद्ध हुआ कि एक ही लॉन्चर से अलग-अलग रेंज वाले पिनाका वेरिएंट को प्रक्षेपित किया जा सकता है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी बधाई

परीक्षण की सफलता पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और इससे जुड़े सभी वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और साझेदार संगठनों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि लंबी दूरी के निर्देशित रॉकेटों का सफल डिजाइन और विकास भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा और सशस्त्र बलों की मारक क्षमता को और अधिक मजबूत बनाएगा. रक्षा मंत्री ने इस उपलब्धि को ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताते हुए इसे भारतीय रक्षा प्रणाली के लिए गेम चेंजर करार दिया.

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने भी मिशन की सफलता पर वैज्ञानिकों और तकनीकी टीमों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह परीक्षण मिशन के उद्देश्यों को पूरी तरह पूरा करता है और भारतीय स्वदेशी रक्षा अनुसंधान एवं विकास की एक बड़ी उपलब्धि है.

लंबी दूरी तक सटीक मार कर पाएगी सेना

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, पिनाका एलआरजीआर 120 के सफल परीक्षण से भारतीय सेना को लंबी दूरी की सटीक हमलावर शक्ति प्राप्त होगी, जो सीमा सुरक्षा और भविष्य के युद्ध परिदृश्यों के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है. प्रणाली के पूरी तरह विकसित होकर सेना में शामिल होने से आर्टिलरी की परिचालन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और सामरिक बढ़त सुनिश्चित की जा सकेगी.

कैसे हुई सफल टेस्टिंग?

गौरतलब है कि इससे पहले भी डीआरडीओ ने अनंतिम स्टाफ गुणात्मक आवश्यकताओं (पीएसक्यूआर) के सत्यापन के तहत निर्देशित पिनाका हथियार प्रणाली के उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किए थे. ये परीक्षण तीन चरणों में विभिन्न फायरिंग रेंजों पर किए गए थे, जिनमें मारक क्षमता, सटीकता, स्थिरता और एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने की क्षमता का आकलन किया गया था.

आत्मनिर्भर भारत का बड़ा उदाहरण पिनाका

आपको बता दें कि पिनाका आत्मनिर्भर भारत का एक बड़ा उदाहरण है. यह पूरी तरह मेड-इन-इंडिया प्रणाली है और रक्षा उत्पादन व निर्यात की दिशा में गेम चेंजर साबित हो सकती है. इस सिस्टम पर यूरोप के देशों की भी पैनी नजर है. यहां तक कि फ्रांस जैसे देश, जो स्वयं रक्षा उत्पादन और टेक्नोलॉजी के बड़े उत्पादक और निर्यातक हैं, उन्होंने भी पिनाका में गहरी दिलचस्पी दिखाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी की पेरिस यात्रा के दौरान भी फ्रांस में पिनाका रॉकेट सिस्टम को लेकर व्यापक चर्चा हुई थी.

यूरोप की भी पिनाका पर नजर

अपनी पेरिस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस से भारत के मल्टी-बैरेल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम पिनाका के उपयोग का आह्वान किया था. आर्मेनिया को किए जा रहे रक्षा निर्यात के बाद अब फ्रांस भी पिनाका की खरीद की तैयारी कर सकता है. बीते वर्ष नवंबर में भारत आए फ्रांसीसी सेना के ब्रिगेडियर स्तर के अधिकारी ने भी कहा था कि पिनाका सिस्टम का आकलन चल रहा है, क्योंकि फ्रांस की सेना के पास इस तरह का कोई समकक्ष रॉकेट सिस्टम नहीं है.

फ्रांस की पिनाका रॉकेट लॉन्चर सिस्टम में दिलचस्पी

भारत और फ्रांस की सेनाओं के बीच 20वें दौर की आर्मी-टू-आर्मी स्टाफ टॉक्स में भी रक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति बनी थी. फरवरी 2024 में भारत आए फ्रांसीसी सेनाध्यक्ष जनरल पियरे शिल ने पिनाका की फायरिंग का प्रत्यक्ष अवलोकन किया था. डीआरडीओ द्वारा विकसित पिनाका एक मल्टी-बैरेल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम है, जो मात्र 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागने की क्षमता रखता है. इसका नाम भगवान शिव के धनुष ‘पिनाका’ के नाम पर रखा गया है.

वर्तमान में पिनाका की ट्रेडिशनल रेंज लगभग 75 किलोमीटर तक है, जबकि इसके गाइडेड संस्करणों की रेंज 120 किलोमीटर तक पहुंच चुकी है. भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग पहले से ही मजबूत है. फ्रांस ने भारतीय नौसेना के लिए स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियां मझगांव डॉकयार्ड में तैयार की हैं. भारतीय वायुसेना के पास राफेल और मिराज लड़ाकू विमान हैं, जबकि भारतीय नौसेना के लिए भी करीब 26 मरीन राफेल विमानों की खरीद को लेकर बातचीत जारी है.

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