हिमाचल ने किया कमाल, 100% साक्षरता के साथ शामिल हुआ इस खास लिस्ट में...जानिए कौन से और राज्य हैं 100% साक्षर
हिमाचल प्रदेश का "पूर्ण साक्षर राज्य" बनना यह दिखाता है कि जब सरकार, शिक्षक, स्वयंसेवक और आम जनता मिलकर काम करें, तो शिक्षा के क्षेत्र में चमत्कार किए जा सकते हैं.
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Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है. अब यह राज्य "पूर्ण साक्षर राज्य" बन चुका है, जिसका मतलब है कि यहां के 15 साल से ज्यादा उम्र के लगभग सभी लोग पढ़ना, लिखना और बुनियादी गणना करना जानते हैं. इस महत्वपूर्ण उपलब्धि की घोषणा राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को की. उन्होंने इसे न सिर्फ हिमाचल के लिए गर्व का विषय बताया, बल्कि यह भी कहा कि यह राज्य की शिक्षा व्यवस्था की मजबूत नींव और लोगों की जागरूकता का नतीजा है. शिक्षा को लेकर समाज और सरकार दोनों की सतत मेहनत ने आज हिमाचल को इस मुकाम तक पहुंचाया है.
क्या होता है "पूर्ण साक्षर राज्य"?
"पूर्ण साक्षर" राज्य वही कहलाता है, जहां की 15 वर्ष से अधिक आयु की 95% से ज़्यादा आबादी साक्षर हो. यानी ऐसे लोग जो न केवल पढ़ और लिख सकते हैं, बल्कि रोजमर्रा की बुनियादी गणनाएं भी कर सकते हैं. यह मान्यता केंद्र सरकार की ‘उल्लास योजना’ के तहत दी जाती है, जिसका मकसद है पूरे देश में वयस्कों और पिछड़े इलाकों तक शिक्षा पहुंचाना. इस योजना में स्वयंसेवकों की मदद से उन लोगों को पढ़ाया जाता है जो स्कूल जाने से छूट गए थे, ताकि वे भी समाज की मुख्यधारा में आ सकें.
हिमाचल की साक्षरता दर 99.30% तक पहुंची
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि आज हिमाचल प्रदेश की साक्षरता दर 99.30% तक पहुंच गई है, जो कि केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए 95% के मानक से कहीं अधिक है. उन्होंने कहा कि एक समय था जब हिमाचल की साक्षरता दर मात्र 7 प्रतिशत थी, लेकिन राज्य सरकार और समाज के साझा प्रयासों से अब यह आंकड़ा लगभग 100% तक पहुंच गया है. यह दिखाता है कि अगर सही दिशा और नीति के साथ काम किया जाए तो शिक्षा के क्षेत्र में कोई भी राज्य एक नई मिसाल कायम कर सकता है.
छात्र-शिक्षक अनुपात में भी हिमाचल सबसे आगे
केवल साक्षरता दर ही नहीं, हिमाचल प्रदेश छात्र-शिक्षक अनुपात में भी देश में अव्वल है. इसका मतलब है कि स्कूलों में एक शिक्षक के ऊपर ज्यादा छात्रों का बोझ नहीं होता, जिससे हर बच्चे को व्यक्तिगत और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है. इससे यह साफ पता चलता है कि राज्य सरकार ने केवल साक्षरता की संख्या नहीं बढ़ाई, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि पढ़ाई की गुणवत्ता भी बनी रहे. यही कारण है कि हिमाचल के छात्र देशभर में बेहतर प्रदर्शन करते हैं.
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दी बधाई
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हिमाचल प्रदेश को बधाई दी. उन्होंने हिमाचल के साथ-साथ त्रिपुरा, मिजोरम, गोवा और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को भी "पूर्ण साक्षर राज्य" बनने पर शुभकामनाएं दीं. उन्होंने इसे केंद्र, राज्य, समाज और स्वयंसेवकों के सामूहिक प्रयासों की जीत बताया. उन्होंने यह भी बताया कि देश की साक्षरता दर 2011 में 74% थी, जो अब बढ़कर 2023-24 में 80.9% हो गई है.
"उल्लास" योजना की बड़ी भूमिका
धर्मेंद्र प्रधान ने "उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम" की भी प्रशंसा की, जिसने इस उपलब्धि को हासिल करने में बड़ी भूमिका निभाई. उन्होंने बताया कि इस योजना के अंतर्गत अब तक 3 करोड़ से ज्यादा लोग शिक्षार्थी के रूप में जुड़ चुके हैं, और इनको पढ़ाने के लिए 42 लाख से ज्यादा स्वयंसेवक काम कर रहे हैं. इनमें से 1.83 करोड़ लोग बुनियादी साक्षरता और गणना सीख चुके हैं, जिनमें 90% ने सफलतापूर्वक मूल्यांकन पास किया है. यह कार्यक्रम अब 26 भारतीय भाषाओं में चलाया जा रहा है, जिससे भाषा कोई रुकावट न बने और हर कोई सीख सके.
शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल ने रचा इतिहास
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हिमाचल प्रदेश का "पूर्ण साक्षर राज्य" बनना यह दिखाता है कि जब सरकार, शिक्षक, स्वयंसेवक और आम जनता मिलकर काम करें, तो शिक्षा के क्षेत्र में चमत्कार किए जा सकते हैं. यह केवल आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को शिक्षित और सशक्त बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है. अब हिमाचल उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो गया है जहां लगभग हर व्यक्ति पढ़ना-लिखना जानता है और यह किसी भी समाज की सच्ची प्रगति का संकेत है.
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