मेडिसिन नोबेल 2025: अमेरिका-जापान के तीन वैज्ञानिकों का दबदबा, कैंसर और ऑटोइम्यून बीमारियों पर रिसर्च के लिए मिला संयुक्त सम्मान
Nobel Prize 2025: इस पुरस्कार की जानकारी नोबेल पुरस्कार के आधिकारिक एक्स (Twitter) अकाउंट पर दी गई. पोस्ट में बताया गया कि यह पुरस्कार “परिधीय प्रतिरक्षा सहिष्णुता से जुड़ी खोजों” के लिए दिया गया है.
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Nobel Prize 2025: इस साल के नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत सोमवार, 6 अक्टूबर को हो गई है. सबसे पहले मेडिसिन (चिकित्सा) क्षेत्र में पुरस्कार का ऐलान किया गया. इस बार तीन वैज्ञानिकों को यह सम्मान संयुक्त रूप से दिया गया है.....
अमेरिका और जापान के वैज्ञानिकों को मिला संयुक्त सम्मान
अमेरिका से दो और जापान से एक वैज्ञानिक को नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है. इनमें शामिल हैं:-
मैरी ई. ब्रूंको (सिएटल, अमेरिका) – इंस्टीट्यूट ऑफ सिस्टम्स बॉयोलॉजी से जुड़ी हैं.
फ्रेड रैम्सडेल (सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका) – सोनोमा बायोथेरेपैटिक्स कंपनी से जुड़े हैं.
शिमोन साकागुची (जापान) – ओसाका यूनिवर्सिटी में कार्यरत हैं.
BREAKING NEWS
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 6, 2025
The 2025 #NobelPrize in Physiology or Medicine has been awarded to Mary E. Brunkow, Fred Ramsdell and Shimon Sakaguchi “for their discoveries concerning peripheral immune tolerance.” pic.twitter.com/nhjxJSoZEr
किस रिसर्च के लिए मिला नोबेल?
इन तीनों वैज्ञानिकों ने हमारी इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को लेकर अहम खोज की है. उन्होंने यह समझाया कि शरीर कैसे तय करता है कि किन चीजों से लड़ना है और किनसे नहीं. इसे ही “परिधीय प्रतिरक्षा सहिष्णुता” कहा जाता है. इसका मतलब है कि हमारा शरीर अपने ही स्वस्थ अंगों या कोशिकाओं पर हमला न करे, जिससे ऑटोइम्यून डिजीज
- (जैसे टाइप 1 डायबिटीज, ल्यूपस या आर्थराइटिस) न हों.
- कैंसर और गंभीर बीमारियों के इलाज में मिलेगी मदद
- नोबेल समिति के अनुसार, इस खोज ने मेडिकल साइंस में एक नया रास्ता खोल दिया है.
अब इसी रिसर्च की मदद से डॉक्टर:
- कैंसर के नए इलाज ढूंढ पा रहे हैं
- ऑटोइम्यून बीमारियों को समझकर उनका इलाज बेहतर बना रहे है
- इस रिसर्च ने दुनियाभर के मेडिकल रिसर्चर्स को नई दिशा और उम्मीद दी है.
नोबेल पुरस्कार का ऐलान कहां हुआ?
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इस पुरस्कार की जानकारी नोबेल पुरस्कार के आधिकारिक एक्स (Twitter) अकाउंट पर दी गई. पोस्ट में बताया गया कि यह पुरस्कार “परिधीय प्रतिरक्षा सहिष्णुता से जुड़ी खोजों” के लिए दिया गया है.
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