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IMF की दूसरी सबसे बड़ी अधिकारी गीता गोपीनाथ ने दिया इस्तीफा, अब हार्वर्ड में फिर बनेंगी प्रोफेसर

गीता गोपीनाथ का IMF से इस्तीफा देना सिर्फ एक नौकरी छोड़ना नहीं है, बल्कि एक नई शुरुआत भी है. अब वे दोबारा से शिक्षा और रिसर्च के काम में लगेंगी और नई पीढ़ी के अर्थशास्त्रियों को तैयार करेंगी. उनका ये कदम दिखाता है कि वो सिर्फ बड़े पदों पर काम करने में नहीं, बल्कि ज्ञान बांटने और सोच को आगे बढ़ाने में भी विश्वास रखती हैं.

22 Jul, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
10:46 AM )
IMF की दूसरी सबसे बड़ी अधिकारी गीता गोपीनाथ ने दिया इस्तीफा, अब हार्वर्ड में फिर बनेंगी प्रोफेसर

Geeta Gopinath: भारत मूल की और दुनिया की जानी-मानी अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला किया है. गीता अभी IMF की उप प्रबंध निदेशक (Deputy Managing Director) के पद पर हैं, लेकिन अब वे दोबारा शिक्षा और रिसर्च की दुनिया में लौटना चाहती हैं. उन्होंने बताया है कि वो फिर से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के तौर पर काम करेंगी. 1 सितंबर 2025 से वे हार्वर्ड में “ग्रेगरी और एनिया कॉफी प्रोफेसर” के रूप में पढ़ाना शुरू करेंगी.

IMF में बिताए सालों को बताया कीमती अनुभव

गीता गोपीनाथ ने अपने फैसले की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर दी. उन्होंने लिखा कि IMF में बिताए करीब 7 साल उनके लिए बहुत खास रहे. उन्होंने कहा कि अब वक्त है वापस अकादमिक दुनिया यानी पढ़ाई और रिसर्च की ओर लौटने का. गीता ने IMF में काम करने को “ज़िंदगी में एक बार मिलने वाला मौका” बताया और कहा कि इस दौरान उन्हें दुनिया भर की आर्थिक चुनौतियों से निपटने में काम करने का अनुभव मिला.

IMF में रचा इतिहास, बनी थीं पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री

जब गीता गोपीनाथ जनवरी 2019 में IMF में शामिल हुई थीं, तो वे मुख्य अर्थशास्त्री बनने वाली पहली महिला बनीं. ये IMF के इतिहास में एक बड़ा कदम था. फिर उन्हें जनवरी 2022 में प्रमोट करके डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया. उनके कार्यकाल में IMF को कोविड-19, रूस-यूक्रेन युद्ध और आर्थिक मंदी जैसी बड़ी समस्याओं से जूझना पड़ा और गीता इन सभी मौकों पर अहम भूमिका में रहीं.

हार्वर्ड और शिकागो यूनिवर्सिटी में भी पढ़ा चुकी हैं

IMF से पहले गीता गोपीनाथ कई सालों तक हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ा चुकी हैं. वे वहां 2005 से 2022 तक जॉन ज़्वानस्ट्रा प्रोफेसर थीं। उससे पहले, 2001 से 2005 तक उन्होंने शिकागो यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाया था. उनका खास विषय अंतरराष्ट्रीय व्यापार, मुद्रा विनिमय दरें और वैश्विक अर्थशास्त्र रहा है.

IMF प्रमुख ने की गीता की जमकर तारीफ

IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने गीता गोपीनाथ की तारीफ करते हुए उन्हें “बेहतरीन सोच रखने वाली, टीम के लिए समर्पित और एक शानदार लीडर” बताया. उन्होंने कहा कि गीता का काम हमेशा याद रखा जाएगा और उनके साथ काम करना प्रेरणादायक रहा.

पढ़ाई की दुनिया में नई पारी शुरू करेंगी गीता

गीता गोपीनाथ का IMF से इस्तीफा देना सिर्फ एक नौकरी छोड़ना नहीं है, बल्कि एक नई शुरुआत भी है. अब वे दोबारा से शिक्षा और रिसर्च के काम में लगेंगी और नई पीढ़ी के अर्थशास्त्रियों को तैयार करेंगी. उनका ये कदम दिखाता है कि वो सिर्फ बड़े पदों पर काम करने में नहीं, बल्कि ज्ञान बांटने और सोच को आगे बढ़ाने में भी विश्वास रखती हैं.

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