भारत में इन जगहों पर गलती से भी न लें फोटो या वीडियो...पड़ सकते हैं बड़ी मुसीबत में!
अक्सर ऐसा होता है की घूमते समय लोग ध्यान नहीं देते और कुछ ऐसी जगहों की फोटो या वीडियो शेयर कर देते हैं, जो दुश्मन देशों या आतंकवादियों के लिए फायदेमंद साबित हो जाते हैं. ऐसे में देश की सुरक्षा खतरे में आने की संभावना हो जाती है. इसी को सिक्योरिटी ब्रीच या राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंध कहा जाता है.
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आजकल घूमने जाने पर लोगों को घूमने से ज़्यादा फोटो खिंचवाने में दिलचस्पी रहती है. जहाँ पहले लोग नई जगहों को अनुभव करने, प्रकृति का आनंद लेने या संस्कृति को समझने के लिए घूमने जाते थे, वहीं अब उनका ध्यान तस्वीरें खिंचवाने पर ज़्यादा रहता है. किसी भी खूबसूरत जगह पर पहुँचते ही, सबसे पहले बेस्ट एंगल और परफेक्ट पोज़ की तलाश शुरू हो जाती है. सोशल मीडिया पर शानदार तस्वीरें पोस्ट करने की होड़ में, लोग अक्सर उस जगह के असली सौंदर्य और अनुभव से चूक जाते हैं. लेकिन, कभी-कभी ये फोटो और वीडियो देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इनके ज़रिये संवेदनशील जानकारी बाहर जा सकती है.
हाल ही में हुए पहलगाम हमले के बाद ट्रैवल व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा खुफिया एजेंसियों के निशाने पर आ चुकी हैं. ऐसा दावा किया जा रहा है की ज्योति ने कुछ खास और संवेदनशील जगहों की फोटो और वीडियो अपने व्लॉग में दिखाए, जिन्हें बाद में जासूसी के लिए इस्तेमाल किया गया.
क्या है सिक्योरिटी ब्रीच?
अक्सर ऐसा होता है की घूमते समय लोग ध्यान नहीं देते और कुछ ऐसी जगहों की फोटो या वीडियो शेयर कर देते हैं, जो दुश्मन देशों या आतंकवादियों के लिए फायदेमंद साबित हो जाते हैं. ऐसे में देश की सुरक्षा खतरे में आने की संभावना हो जाती है. इसी को सिक्योरिटी ब्रीच या राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंध कहा जाता है.
किन जगहों की फोटो खींचना या वीडियो बनाकर डालना है गैरकानूनी?
सेना के कैंप या ऑपरेशन से जुड़ी जगहें
हवाई अड्डे का रनवे
नेवी के जहाज
आर्मी की ट्रेनिंग से जुड़ी गतिविधियां
न्यूक्लियर प्लांट, रिसर्च सेंटर या इनसे जुड़ी जानकारी
अगर आप इन जगहों की फोटो खींचते हैं या वीडियो बनाते हैं या किसी भी तरह से जैसे मैप या स्केच के जरिये कोई जानकारी देते हैं तो आपको भारतीय गोपनीयता कानून (Official Secrets Act, 1923) के तहत जेल हो सकती है.
क्या कहता है कानून?
- डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट के तहत, यदि किसी कंपनी या संस्था से लोगों की निजी जानकारी लीक होती है, तो उसे इसकी सूचना न केवल सरकार को देनी होगी, बल्कि संबंधित व्यक्ति को भी सूचित करना होगा. यह कानून स्पष्ट करता है कि किसी भी व्यक्ति की जानकारी का उपयोग उसकी अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता.
- आईटी एक्ट, 2000 (सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम) उन अपराधों से निपटने के लिए बनाया गया है जहाँ कोई व्यक्ति बिना अनुमति के किसी सरकारी सिस्टम या डेटा तक पहुँच प्राप्त करता है. ऐसे मामलों में जेल की सज़ा का प्रावधान है.
- ऑफ़िशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923 एक पुराना कानून है जिसके तहत, यदि कोई व्यक्ति ऐसा डेटा, फ़ोटो या वीडियो सार्वजनिक करता है जिससे देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है, तो उसे जेल की सज़ा हो सकती है.
'फोटोग्राफी मना है', 'नो ड्रोन जोन' या 'प्रवेश वर्जित' जैसे बोर्ड लगे होने पर समझ जाएं कि वह जगह सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील है. ऐसी जगहों पर गलती से भी फोटो या वीडियो न बनाएं.
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