कंगाल मुल्क की खस्ताहाल एयरलाइंस... इस 'गुजराती' ने खरीदी पाकिस्तान की PIA, भारत से खास नाता!
लंबे आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने अपनी राष्ट्रीय पहचान मानी जाने वाली सरकारी एयरलाइंस पीआईए को निजी हाथों में सौंप दिया है. Pakistan International Airlines की मैजोरिटी हिस्सेदारी 135 अरब पाकिस्तानी रुपये में उद्योगपति आरिफ हबीब के ग्रुप ने खरीदी है. खास बात यह है कि पीआईए को खरीदने वाले आरिफ हबीब का भारत से भी गहरा नाता है.
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लंबे समय से आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान ने आखिरकार अपनी राष्ट्रीय पहचान मानी जाने वाली सरकारी एयरलाइंस कंपनी पीआईए (PIA) को बेच दिया है. Pakistan International Airlines अब सरकार के हाथ से निकलकर निजी क्षेत्र में चली गई है. इस ऐतिहासिक सौदे में देश के जाने-माने बिजनेस टाइकून आरिफ हबीब (Arif Habib) के ग्रुप ने 135 अरब पाकिस्तानी रुपये में पीआईए की मैजोरिटी हिस्सेदारी खरीद ली है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि 'जिस उद्योगपति आरिफ हबीब ने इस पीआईए को खरीदा है. उनका भारत से विशेष नाता है.' जिसकी चर्चा अब हर तरफ हो रही है.
दरअसल, यह फैसला पाकिस्तान की बिगड़ती आर्थिक स्थिति और सरकारी कंपनियों में लगातार बढ़ते घाटे की तस्वीर को साफ तौर पर दिखाता है. कभी पीआईए का नाम दुनिया के बड़े एयरलाइंस में गिना जाता था. एशिया, यूरोप और मिडिल ईस्ट के कई देशों में इसकी मजबूत मौजूदगी थी. समय की पाबंदी, बेहतर सर्विस और अनुभवी स्टाफ इसकी पहचान हुआ करती थी. लेकिन साल दर साल सरकार की अनदेखी, राजनीतिक दखल और कमजोर मैनेजमेंट ने इस एयरलाइंस को घाटे के दलदल में धकेल दिया. हालात इतने बिगड़े कि सरकार के पास इसे बेचने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा.
इस्लामाबाद में हुई PIA बिडिंग सेरेमनी
इस्लामाबाद में हुई बिडिंग सेरेमनी में आरिफ हबीब सबसे बड़े बिडर बनकर उभरे. उन्होंने पीआईए में 75 फीसदी हिस्सेदारी हासिल की है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाकी बचे 25 फीसदी शेयर खरीदने के लिए उन्हें 90 दिनों का समय दिया गया है. इसके साथ ही नई मैनेजमेंट को अगले पांच सालों में करीब 80 अरब पाकिस्तानी रुपये का अतिरिक्त निवेश भी करना होगा. सरकार को उम्मीद है कि निजी हाथों में जाने के बाद पीआईए की सेवाओं और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.
कौन हैं आरिफ हबीब?
आरिफ हबीब का नाम पाकिस्तान के सबसे अमीर और प्रभावशाली उद्योगपतियों में शुमार है. उनका जन्म 1953 में हुआ था. बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले आरिफ हबीब ने कम उम्र में ही कामकाजी दुनिया में कदम रख दिया था. उन्होंने 10वीं की पढ़ाई के बाद ही बिजनेस की राह पकड़ ली थी. साल 1970 में उन्होंने ब्रोकरेज बिजनेस से अपने करियर की शुरुआत की. शुरुआती संघर्ष के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज Arif Habib Group पाकिस्तान के सबसे बड़े मल्टी-सेक्टर बिजनेस ग्रुप्स में से एक है. इस ग्रुप का कारोबार फाइनेंशियल सर्विसेस, केमिकल, सीमेंट, स्टील, रियल एस्टेट और एनर्जी सेक्टर तक फैला हुआ है. फातिमा फर्टिलाइजर, आयशा स्टील मिल्स और जावेदन कॉर्पोरेशन जैसी बड़ी कंपनियां इसी समूह का हिस्सा हैं. आरिफ हबीब को एक दूरदर्शी और अनुशासित कारोबारी माना जाता है.
हबीब का भारत से कैसा नाता?
इस पूरे घटनाक्रम में एक दिलचस्प पहलू आरिफ हबीब का भारत से जुड़ा नाता भी है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, 'उनके माता-पिता चाय के कारोबार से जुड़े थे और साल 1948 में गुजरात के बंटवा से पाकिस्तान चले गए थे.' कराची में जन्मे आरिफ हबीब का परिवार शुरुआती दौर में आर्थिक रूप से मजबूत नहीं था. खुद आरिफ हबीब ने बताया था कि 1970 में उनके बड़े भाई ने स्टॉक एक्सचेंज का ट्रेडिंग लाइसेंस लिया था. उसी दौरान 17 साल की उम्र में उन्होंने पढ़ाई छोड़कर ब्रोकरेज बिजनेस में कदम रखा.
बताते चलें कि पीआईए की बिक्री सिर्फ एक कंपनी के निजीकरण की कहानी नहीं है. यह पाकिस्तान की आर्थिक हकीकत, सरकारी नीतियों की असफलता और बदलते दौर में निजी निवेश की मजबूरी को भी दर्शाती है. अब देखना होगा कि आरिफ हबीब के नेतृत्व में पीआईए दोबारा उड़ान भर पाती है या नहीं.
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