BHU से पढ़ाई...पीएम मोदी से प्रभावित, नेपाल की पहली महिला पीएम बनी सुशीला कार्की, आखिर जेन जी नेताओं ने कैसे चुना अपना नेता?
नेपाल में पिछले 4 दिनों से चल रहे विरोध- प्रदर्शन के बाद जेन जी नेताओं ने देश की पहली महिला चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का नेता चुना है. 12 सितंबर की देर शाम सुशीला को राष्ट्रपति ने शपथ दिलाई. वह देश के प्रधानमंत्री पद पर बैठने वाली पहली महिला हैं.
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नेपाल में पिछले 4 दिनों से चल रहे आंदोलन के बाद अंतरिम पीएम के नाम का ऐलान हो गया है. बनारस के BHU से पढ़ी और नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का नेता घोषित किया गया है. उन्हें 12 सितंबर देर शाम राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शपथ दिलाई. सुशीला कार्की नेपाल में अगली सरकार बनने तक देश का प्रतिनिधित्व करेंगी. अगला चुनाव 6 महीने या 1 साल के अंदर हो सकते हैं. बीते 24 घंटे के अंदर सुशीला कार्की के अलावा कुलमान घीसिंग और बालेंद्र शाह के नाम पर भी विचार हुआ, लेकिन अंततः सुशीला कार्की पर जेन जी के नेताओं ने अपनी सहमति जताई. बता दें कि नेपाल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब कोई महिला प्रधानमंत्री के पद पर देश का प्रतिनिधित्व करेगी. सुशीला कार्की के शपथ से पहले संसद को भंग किया गया.
कैसे लगी सुशीला कार्की के नाम पर मुहर?
बीते 24 घंटे के अंदर नेपाल को सियासी गतिरोध से बाहर निकालने के लिए दिनभर विचार-विमर्श होता रहा. इसके लिए राष्ट्रपति ने विभिन्न राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ जेन जी और संवैधानिक विशेषज्ञों के साथ चर्चा की. उसके बाद नई सरकार बनाने के लिए दो विकल्पों पर विचार हुआ. इनमें पहला संसद को भंग करना और दूसरा उसे बरकरार रखने पर बातचीत हुई. हालांकि, प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारी समूह ने संसद को भंग करने पर अपनी सहमति जताई और उसके बाद सुशीला कार्की के नाम पर मुहर लगी. अंतरिम सरकार में जेन जी प्रदर्शनकारी शामिल होंगे या नहीं इस पर अभी भी संशय बना हुआ. हालांकि, वह सरकार के कामकाज पर निगरानी जरूर रखेंगे. खासतौर, से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और युवाओं के बेहतर भविष्य के फैसले को लेकर उनकी खास नजर रहेगी.
कार्की ने पीएम मोदी का किया अभिवादन
कार्की ने बुधवार को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि 'मुझे आज भी BHU के शिक्षक याद हैं. वहां के दोस्त याद हैं. गंगा नदी याद है.' BHU के दिनों को याद करते हुए सुशीला ने कहा कि 'गंगा के किनारे एक हॉस्टल हुआ करता था. गर्मी की रातों में हम छत पर सोया करते थे.' सुशीला कार्की भारत और नेपाल के संबंधों को लेकर सकारात्मक हैं. उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन करती हूं. PM मोदी के बारे में मेरी अच्छी राय है.' उन्होंने आगे कहा कि 'हम कई दिनों से भारत के संपर्क में नहीं हैं. हम इस बारे में बात करेंगे. जब कोई अंतरराष्ट्रीय मामला होता है, दो देशों के बीच का होता है, तो कुछ लोग मिलकर बैठकर नीति बनाते हैं.'
भारतीय नेताओं से बहुत प्रभावित हूं - सुशीला कार्की
उन्होंने यह भी कहा कि 'दो देशों की सरकार के बीच संबंध एक अलग मामला है. नेपाल के लोगों और भारत के लोगों के बीच बहुत अच्छे संबंध हैं. यह बहुत अच्छा रिश्ता है. हमारे कई रिश्तेदार, हमारे कई परिचित हमारे बीच बहुत सद्भावना और प्रेम है. मैं भारतीय नेताओं से बहुत प्रभावित हैं. हम उन्हें अपना भाई-बहन मानते हैं.' सुशीला ने कहा कि वह भारत की सीमा के पास बिराटनगर की रहने वाली हैं. मेरे घर से भारत शायद सिर्फ 25 मील दूर है. उन्होंने बताया कि वह नियमित रूप से सीमा पर स्थित बाजार जाती हैं. सुशीला के इन बयानों से साफ है कि नेपाल की सत्ता में उनका आना भारत के लिए अच्छा संकेत है
कौन हैं सुशीला कार्की?
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को विराटनगर में हुआ था. उन्होंने राजनीति विज्ञान और कानून का अध्ययन किया और वकालत से अपने करियर की शुरुआत की. उन्होंने 1972 में महेंद्र मोरंग परिसर, विराटनगर से बीए की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद 1975 में वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया. 1978 में उन्होंने त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री ली. सुशीला कार्की का विवाह नेपाली कांग्रेस के नेता दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुआ है. उनकी पति से मुलाकात बनारस में पढ़ाई के दौरान हुई थी.
वकील से चीफ जस्टिस बनीं सुशीला कार्की
कार्की ने 1979 में विराटनगर में वकालत शुरू की और 1985 में महेंद्र मल्टीपल कैंपस, धरान में असिस्टेंट टीचर के रूप में कार्य किया. वह 2007 में वरिष्ठ अधिवक्ता बनीं. 22 जनवरी 2009 को उन्हें नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में एड-हॉक न्यायाधीश नियुक्त किया गया. 18 नवंबर 2010 को वह सुप्रीम कोर्ट की स्थायी न्यायाधीश बनीं. 13 अप्रैल 2016 को वह कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनीं और 11 जुलाई 2016 को नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुईं. वह इस पद पर 7 जून 2017 तक रहीं.
भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत रुख
नेपाल की जनता सुशीला कार्की को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाली नेता के रूप में देखती है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कई ऐतिहासिक मामलों की सुनवाई की है. उनका एक ऐतिहासिक फैसला महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाने वाला था, जिसमें उन्होंने आदेश दिया कि नेपाली महिलाएं भी अपने बच्चों को नागरिकता दे सकती हैं, जो पहले सिर्फ पुरुषों को ही प्राप्त था.
हाई-प्रोफाइल मामलों में भी लिया कड़ा फैसला
> सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों में निष्पक्ष और साहसिक फैसले दिए हैं.
> नेपाल ट्रस्ट बनाम प्रेरणा राज्य लक्ष्मी राणा (पूर्व राजकुमारी की संपत्ति का मामला)
> काठमांडू जिला अदालत में पॉलिमर बैंक नोट से जुड़ा भ्रष्टाचार मामला
> काठमांडू–निजगढ़ द्रुतमार्ग (एक्सप्रेसवे) से जुड़ा मामला
"भ्रष्टाचार के लिए शून्य सहिष्णुता होनी चाहिए"
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सुशीला कार्की का मानना है कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के लिए शून्य सहिष्णुता होनी चाहिए. इसी रुख के चलते उन्हें जनता का व्यापक समर्थन मिला, हालांकि, इसके कारण उन्हें कुछ विवादों का सामना भी करना पड़ा. 2017 में माओवादी सेंटर और नेपाली कांग्रेस ने उन पर पूर्वाग्रह और कार्यपालिका में हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था. यह प्रस्ताव नेपाल की राजनीति में काफी विवादित रहा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश और जनता के समर्थन के बाद यह प्रस्ताव वापस ले लिया गया.
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