‘नेतन्याहू कर रहे हैं पागलों जैसी हरकतें’... ट्रंप की टीम ने जताई नाराजगी, क्या अमेरिका-इजरायल के रिश्तों में आ गई दरार?
अमेरिका और इजरायल की दशकों पुरानी दोस्ती में दरार के संकेत दिखने लगे हैं. व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू की आक्रामक सैन्य नीति से असहज है. गाजा और सीरिया पर हालिया बमबारी को लेकर अमेरिका नाराज है.
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अमेरिका और इजरायल के बीच की दोस्ती को हमेशा अटूट और मजबूत माना गया है. दोनों देशों ने वर्षों से एक-दूसरे का कूटनीतिक, सामरिक और राजनीतिक स्तर पर समर्थन किया है. लेकिन हाल ही में कुछ घटनाओं ने इस परिदृश्य को झकझोर कर रख दिया है. ऐसा लग रहा है कि दोनों देशों की सरकारों के बीच पहले जैसी समझ और तालमेल अब डगमगाने लगी है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लगातार आक्रामक सैन्य कार्रवाइयों से अमेरिका की चिंता बढ़ गई है, और ये चिंता अब सिर्फ बंद कमरे की बातचीत तक सीमित नहीं रही.
गाजा और सीरिया पर बमबारी बनी असहमति की वजह
इजरायल की वायुसेना ने हाल के हफ्तों में गाजा पट्टी और सीरिया के संवेदनशील इलाकों पर भारी बमबारी की है. यहां तक कि रिपोर्टों के अनुसार, इजरायली हमले सीरिया के राष्ट्रपति भवन तक जा पहुंचे. इन कार्रवाइयों ने अमेरिका की कूटनीतिक योजनाओं और वैश्विक शांति प्रयासों को गहरा झटका दिया है. व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि नेतन्याहू की यह नीति अमेरिका को बेहद असहज कर रही है. उनके शब्द थे "बीबी (नेतन्याहू) हर जगह बम गिरा रहे हैं. यह किसी पागलपन की तरह है." इस बयान से साफ है कि ट्रंप प्रशासन इजरायल की हरकतों को लेकर अब सहनशील नहीं रह गया है.
चर्च पर बमबारी
तनाव की पराकाष्ठा उस वक्त हुई जब गाजा में एक कैथोलिक चर्च को भी इजरायली हमले में नुकसान पहुंचा. यह घटना न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इजरायल की छवि को नुकसान पहुंचाने वाली थी, बल्कि अमेरिका की ईसाई आबादी के बीच भी इसका गहरा असर पड़ा. इसके तुरंत बाद ट्रंप ने खुद नेतन्याहू को फोन कर इस हमले पर सफाई मांगी. एक अधिकारी ने बताया कि "लगभग हर दिन कोई न कोई नया हमला हो रहा था. यह किसी खत्म न होने वाले ड्रामे जैसा लग रहा था." यह बयान ट्रंप की बेचैनी को स्पष्ट करता है और यह भी कि वे नेतन्याहू की रणनीति को अब आंख मूंदकर स्वीकार नहीं कर सकते.
नेतन्याहू पर ख़त्म हो रहा विश्वास
व्हाइट हाउस के एक अन्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ट्रंप प्रशासन में नेतन्याहू को लेकर भरोसा लगातार गिरता जा रहा था. उन्होंने कहा, "कभी-कभी नेतन्याहू की हरकतें एक उद्दंड बच्चे जैसी होती हैं. वह चिड़चिड़े और अस्थिर लगते हैं." यह एक ऐसा बयान है जो सामान्यत: अमेरिका जैसे राजनयिक देश से सुनना आश्चर्यजनक है. यह संकेत है कि अब नेतन्याहू को अमेरिका से मिलने वाला अंध समर्थन पहले जैसा नहीं रहा.
अमेरिका ने किया सीजफायर करवाने का प्रयास
हालात को नियंत्रण में लाने के लिए अमेरिका ने कूटनीतिक कदम उठाए. तुर्किए में अपने राजदूत के माध्यम से अमेरिका ने इजरायल और अन्य पक्षों के बीच युद्धविराम कराने की कोशिश की है. यह पहल वैश्विक स्तर पर अमेरिका की शांति की नीति को दर्शाती है. लेकिन इजरायल की सैन्य गतिविधियों में कोई ठहराव नहीं आया. हमले जारी रहे और इसका प्रभाव सिर्फ गाजा और सीरिया तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि अमेरिका के अंदरूनी राजनीतिक माहौल को भी प्रभावित करने लगा.
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गौरतलब है कि इजरायल और अमेरिका का रिश्ता आज भी आधिकारिक तौर पर मजबूत दिखाया जाता है. लेकिन हकीकत यह है कि नेतन्याहू की सैन्य नीति और ट्रंप प्रशासन की कूटनीतिक प्राथमिकताओं के बीच अब खाई गहरी होती जा रही है. जहां एक ओर अमेरिका वैश्विक शांति के प्रयासों को प्राथमिकता देना चाहता है, वहीं इजरायल की सैन्य आक्रामकता इन कोशिशों पर पानी फेर रही है. इन परिस्थितियों में आने वाले दिनों में दोनों देशों की रणनीतिक दिशा क्या मोड़ लेती है, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा.
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