'नवाज शरीफ तो एक पटाखा भी नहीं फोड़ सकते थे...', एटम बम की फर्जी धमकी देने वाले पाकिस्तान की उसी के परमाणु वैज्ञानिक ने खोल दी पोल
पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक कादिर खान एक पुराने इंटरव्यू की वायरल हो रही क्लिप में कहते नजर आ रहे हैं कि पाकिस्तान का परमाणु परीक्षण किसी नेता की बहादुरी नहीं बल्कि वैज्ञानिकों की कुर्बानी का नतीजा था.
Follow Us:
पाकिस्तान की फर्जी धमकी की एक बार फिर से पोल खुली है. भारत के साथ पूरी दुनिया में बेनकाब हो रहे पाकिस्तान के अंदर भारत पर हमला करने या युद्ध करने की कितनी हिमाकत है. यह एक पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक ने अपने इंटरव्यू में बताया है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में उन्होंने पड़ोसी मुल्क की न्यूक्लियर बम की फर्जी धमकी की धज्जियां उड़ा कर रख दी है. बता दे कि पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक कादिर खान का एक पुराना इंटरव्यू चर्चाओं का विषय बना हुआ है. जहां उन्होंने कहा कि 'नवाज शरीफ तो एक पटाखा भी नहीं फोड़ सकते.'
'नवाज शरीफ एक पटाखा भी नहीं फोड़ सकते'
बता दें कि पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक कादिर खान एक पुराने इंटरव्यू की वायरल हो रही क्लिप में कहते नजर आ रहे हैं कि 'पाकिस्तान का परमाणु परीक्षण किसी नेता की बहादुरी नहीं बल्कि वैज्ञानिकों की कुर्बानी का नतीजा था. उन्होंने कहा कि जब पाकिस्तान न्यूक्लियर टेस्ट कर रहा था, तो उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इसका कड़ा विरोध किया था. वह तो एक पटाखा भी नहीं छोड़ सकते हैं, तो वह फोड़ने के काबिल क्या होंगे?
'बम हमने बनाया लेकिन क्रेडिट लेने सब आ जाते हैं'
कादिर ने यह भी कहा कि 'बम हमने बनाया, अपनी जानें दीं. लेकिन क्रेडिट के समय सब आ जाते हैं. न्यूक्लियर टेस्ट के दौरान इनमें से कोई नहीं आया था. भुट्टो कहते थे कि हम घास खाकर भी बम बनाएंगे, लेकिन बनाया किसने?
'नवाज शरीफ बिल क्लिंटन के सामने बार-बार माफी मांग रहे थे'
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में कादिर खान यह भी कहते नजर आ रहे हैं कि उस समय के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से बार-बार माफी मांगते नजर आ रहे थे कि यह मुझे करना पड़ा. इस बात का मुझे काफी ज्यादा अफसोस है. ऐसे में कादिर खान ने पाकिस्तान के भीतर बैठकर राजनीतिक खेल और सत्ता में बैठें लोगों की असलियत उजागर कर पूरी दुनिया के सामने बेइज्जत किया है.
28 मई 1998 को पाकिस्तान ने किया था न्यूक्लियर टेस्ट
जानकारी के लिए बता दें कि 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने अपना पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया था. पाकिस्तान इस दिन को हर साल यौम-ए-तकबीर यानी 'गर्व का दिन' के नाम से और कई जगहों पर 'परमाणु शक्ति' के नाम से सेलिब्रेट करता है, लेकिन पाकिस्तान के हर एक झूठ का पर्दाफाश उसी के परमाणु वैज्ञानिक ने किया है. इससे साफ जाहिर हो गया कि पाकिस्तान सिर्फ झूठ और दिखावे की दुनिया में जीता है. वह सिर्फ दूसरों की आंखों में धूल झोंकने का काम करता है.
Advertisement
यह भी पढ़ें
Advertisement