आग से खेला तो राख बना देंगे, ईरान नहीं माना तो फिर बरसेंगे बम... खामेनेई की धमकी पर ट्रंप ने दिया करारा जवाब
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ईरान को सख्त लहजे में चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अगर ईरान ने यूरेनियम संवर्धन की प्रक्रिया को जारी रखा, तो अमेरिका दोबारा सैन्य कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा. उन्होंने इस बात को किया है कि अगर तेहरान ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन जारी रखा, तो सैन्य विकल्प खुला रहेगा.

मिडिल ईस्ट में भले ही इजरायल और ईरान के बीच युद्धविराम लागू हो गया है, लेकिन क्षेत्र में तनाव की स्थिति अभी भी बनी हुई है. इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ईरान को सख्त लहजे में चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अगर ईरान ने यूरेनियम संवर्धन की प्रक्रिया को जारी रखा, तो अमेरिका दोबारा सैन्य कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा.
व्हाइट हाउस में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान ट्रंप ने कहा, "अगर ईरान यूरेनियम को उस स्तर तक समृद्ध करता है जिससे हमें खतरा हो सकता है, तो यह अमेरिका के लिए गंभीर चिंता का विषय होगा." उन्होंने इस बात को किया है कि अगर तेहरान ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन जारी रखा, तो सैन्य विकल्प खुला रहेगा. प्रेस वार्ता में ट्रंप से यह भी पूछा गया कि क्या वह ईरान के साथ किसी वार्ता में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) या किसी अन्य संगठन को निरीक्षण की विशेष अनुमति दिलवाने की मांग करेंगे. इस पर ट्रंप ने जवाब दिया, "ईरान को सहयोग करना होगा. पारदर्शिता के बिना कोई समझौता संभव नहीं है."
खामेनेई की धमकी पर दी प्रतिक्रिया
ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की हालिया टिप्पणी पर भी पलटवार किया. खामेनेई ने गुरुवार को एक वीडियो संदेश में दावा किया था कि ईरान ने अमेरिका के अल-उदीद एयरबेस पर हमला कर उसे नुकसान पहुंचाया है. इसे उन्होंने “अमेरिका के मुंह पर करारा तमाचा” बताया था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्रंप ने कहा कि वह खामेनेई के बयान का जल्द ही ठोस जवाब देने पर विचार कर रहे हैं. हालांकि इजरायल और ईरान के बीच तत्काल युद्धविराम लागू हो चुका है, लेकिन ईरान के परमाणु कार्यक्रम और अमेरिका की सख्त चेतावनियों के चलते हालात बेहद नाज़ुक बने हुए हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील कर रहा है, ताकि मिडिल ईस्ट में स्थायी शांति की दिशा में कोई ठोस पहल की जा सके.
ईरानी परमाणु ठिकानों को लेकर ट्रंप का बड़ा बयान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया है, जिनमें यह दावा किया जा रहा था कि ईरान के परमाणु ठिकानों को अमेरिकी हमले में उतना नुकसान नहीं पहुंचा, जितना कि अमेरिका की ओर से बताया गया था. ट्रंप ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में साफ तौर पर कहा कि “कुछ लोग यह भ्रम फैला रहे हैं कि ईरान के ठिकानों को मामूली नुकसान हुआ, लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है.
15 दिन में ख़त्म हो जाएगा इजरायल-हमास युद्ध: ट्रंप
गाजा में इजरायल और हमास के बीच जारी भीषण संघर्ष को लेकर एक अहम कूटनीतिक पहल सामने आई है. सूत्रों के अनुसार, इस युद्ध के अगले 15 दिनों में खत्म होने की संभावना जताई जा रही है. इस दिशा में अमेरिका और इजरायल के बीच उच्चस्तरीय बातचीत हुई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच हुई बातचीत में गाजा में युद्ध रोकने को लेकर आम सहमति बनी है. दोनों नेताओं ने क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापना के लिए अब्राहम समझौते के विस्तार पर भी सहमति जताई है. बैठक में इस बात पर भी मंथन हुआ कि युद्ध के बाद गाजा में किस तरह की प्रशासनिक व्यवस्था लागू की जाए. बताया जा रहा है कि इजरायल के नेतृत्व में और यूएई व मिस्र के सहयोग से एक स्थायी प्रशासनिक ढांचा खड़ा करने पर बातचीत हुई है. इसका उद्देश्य गाजा में स्थिरता और पुनर्निर्माण सुनिश्चित करना है.
अमेरिका के हमले पर ईरान ने की थी जवाबी कार्रवाई
22 जून 2025 को अमेरिका ने ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के तहत ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर भीषण हवाई हमला कर उन्हें गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया. यह हमला ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है. इस ऑपरेशन में अमेरिका ने अपनी सैन्य ताकत का व्यापक प्रदर्शन किया. मिशन में 125 से अधिक फाइटर जेट्स, 7 B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स, और 30 से ज्यादा टोमाहॉक क्रूज़ मिसाइलें तैनात की गईं. ऑपरेशन को अत्याधुनिक तकनीक और सटीक लक्ष्यभेदन के साथ अंजाम दिया गया. वही, अमेरिकी हमले के जवाब में ईरान ने कड़ा रुख अपनाते हुए कतर में स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। ईरान ने अल उदीद एयरबेस पर छह मिसाइलें दागीं, जिससे क्षेत्र में तनाव अचानक चरम पर पहुंच गया. अल उदीद एयरबेस अमेरिका का मिडिल ईस्ट में एक प्रमुख सैन्य अड्डा है.
बताते चलें कि अमेरिका और इजरायल की सबसे बड़ी चिंता यह है कि कहीं ईरान भी पाकिस्तान और उत्तर कोरिया की तरह परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र न बन जाए. विशेष रूप से इजरायल को यह आशंका गहराई से सता रही है, क्योंकि अगर ईरान के पास परमाणु हथियारों की क्षमता आ गई, तो इससे मिडिल ईस्ट की सामरिक संतुलन पूरी तरह बदल सकता है. यही कारण है कि इजरायल ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर लगातार सख्त रुख अपनाता रहा है और समय-समय पर सैन्य विकल्प की चेतावनी देता रहा है.