H-1B वीजा धारकों की बड़ी परेशानी… अमेरिकी दूतावास ने अपॉइनमेंट टाला, हजारों प्रवासी भारतीय परेशान
अमेरिका की नई इमिग्रेशन नीति और सोशल मीडिया वेटिंग पॉलिसी के चलते भारत आए H-1B वीजा धारक अब अमेरिका लौट नहीं पा रहे हैं. दिसंबर में होने वाले इंटरव्यू मार्च तक पोस्टपोन कर दिए गए हैं. इससे एनआरआई फंसे हैं और कंपनियों में चिंता बढ़ गई है.
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अमेरिका की नई इमिग्रेशन नीति ने भारत के H-1B वीजा धारकों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ऐसे में अपना वर्क परमिट रिन्यू कराने भारत आए प्रवासी अब अमेरिका लौट ही नहीं पा रहे हैं. अमेरिकी दूतावास की नई सोशल मीडिया वेटिंग पॉलिसी की वजह से H-1B वीजा के लिए अपॉइनमेंट अगले साल तक पोस्टपोन कर दिए गए हैं. दिसंबर में होने वाले इंटरव्यू अब मार्च में होंगे. ऐसे में भारत में बड़ी संख्या में एनआरआई फंसे हुए हैं.
कंपनियों में बढ़ी चिंता
वीजा रिन्यूअल में देरी की वजह से कंपनियां भी सतर्क हो गई हैं. गूगल ने अपने कर्मचारियों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा से बचने की सलाह दी है. वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, जिन भारतीयों के अपॉइनमेंट 15 से 26 दिसंबर के बीच तय किए गए थे, उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के रद्द कर दिया गया. कई दिग्गज कंपनियों ने कहा कि यह पहली बार देखा गया मामला है और फिलहाल कोई पुख्ता प्लान नजर नहीं आ रहा. एक अमेरिकी निवासी, जो शादी में शामिल होने भारत आए थे, उनके अपॉइनमेंट भी रद्द कर दिए गए. अब सवाल यह है कि कंपनियां कितने दिन तक किसी कर्मचारी का इंतजार करेंगी.
अमेरिकी प्रशासन का बयान
अमेरिकी प्रशासन ने ईमेल के जरिए कहा है कि नई सोशल मीडिया वेटिंग पॉलिसी और सुरक्षा कारणों से प्रक्रिया में समय लग रहा है. 9 दिसंबर को जारी एडवाइजरी में कहा गया कि रीशेड्यूल मेल मिलने के बाद अगर दूतावास आएंगे तो एंट्री नहीं दी जाएगी.
सोशल मीडिया वेटिंग पॉलिसी क्या है?
सोशल मीडिया वेटिंग पॉलिसी के तहत H-1B और H-4 वीजा के लिए अप्लाई करने से पहले व्यक्ति की सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच की जाएगी. इसके लिए प्रोफाइल की प्रिवेसी सेटिंग बदलनी और इसे पब्लिक करना जरूरी होगा. इसके अलावा, सितंबर में ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा पर 1 लाख डॉलर का अतिरिक्त शुल्क भी लागू किया है. इस फैसले से भारत में फंसे हजारों एनआरआई की चिंता बढ़ गई है, और कंपनियों के लिए भी यह नई चुनौती बन गई है. अमेरिकी वीजा प्रक्रिया में हो रही देरी ने H-1B होल्डर्स के लिए अनिश्चितता और परेशानी की स्थिति पैदा कर दी है.
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बता दें कि इस स्थिति ने H-1B वीजा धारकों और कंपनियों दोनों के लिए अनिश्चितता बढ़ा दी है. भारत में फंसे हजारों एनआरआई अब अपने भविष्य को लेकर चिंता में हैं, जबकि कंपनियां भी आगे की योजना बनाने में कठिनाई महसूस कर रही हैं. इस नई नीति का असर न केवल व्यक्तिगत जीवन पर, बल्कि वैश्विक कारोबारी और तकनीकी उद्योगों पर भी पड़ रहा है
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