'ट्रंप न बताएं, भारत अपने फैसले खुद लेगा', अमेरिकी राष्ट्रपति के दावों पर शशि थरूर का करारा जवाब
शशि थरूर की प्रतिक्रिया केवल राजनीतिक बयान नहीं थी, बल्कि यह भारत की विदेश नीति के मूल सिद्धांत को याद दिलाने वाला संदेश था. भारत अपने फैसले खुद करता है.
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में फिर से दावा किया है कि भारत ने रूस से तेल खरीदना लगभग बंद करने का फैसला किया है और साल 2025 के अंत तक यह खरीद लगभग पूरी तरह रुक जाएगी. ट्रंप के इस बयान के बाद भारत में राजनीतिक हलचल तेज हो गई. कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने ट्रंप को कड़ा जवाब देते हुए कहा कि अमेरिका को यह बताने का अधिकार नहीं है कि भारत क्या करेगा या नहीं करेगा.
“नई दिल्ली वॉशिंगटन डीसी की तरफ से नहीं बोलती” - थरूर
शशि थरूर ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि ट्रंप को भारत की ओर से बयान नहीं देना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत एक स्वतंत्र देश है और अपने फैसले खुद लेता है. थरूर - “ट्रंप की ओर से भारत के फैसलों के बारे में घोषणा करना सही नहीं है. भारत जब कोई फैसला करेगा तो उसकी जानकारी खुद नई दिल्ली देगी, वॉशिंगटन डीसी नहीं. हम यह नहीं बताते कि ट्रंप क्या करेंगे, तो ट्रंप को भी यह नहीं बताना चाहिए कि भारत क्या करेगा.” थरूर की इस टिप्पणी से यह साफ हो गया कि भारत अपनी विदेश नीति और ऊर्जा नीति को लेकर किसी भी देश के दबाव में नहीं आता.
ट्रंप का दावा: “भारत रूसी तेल लेना बंद करेगा”
राष्ट्रपति ट्रंप पिछले कुछ दिनों से बार-बार यह कह रहे हैं कि भारत ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि वह रूस से तेल आयात कम करेगा. उन्होंने 22 अक्टूबर 2025 को कहा था, “भारत ने मुझसे कहा है कि वे रूसी तेल खरीदना बंद करने जा रहे हैं. यह एक प्रक्रिया है, इसे अचानक नहीं रोका जा सकता. लेकिन साल के अंत तक वे इसे लगभग 40 फीसदी तक घटा देंगे. भारत बहुत महान देश है. कल मैंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की, वे शानदार व्यक्ति हैं.” ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका रूस पर लगातार आर्थिक दबाव बढ़ा रहा है और उसके ऊर्जा क्षेत्र को निशाना बना रहा है.
रूस पर अमेरिका की सख्ती: दो बड़ी कंपनियों पर बैन
ट्रंप के बयान के अगले ही दिन, यानी 23 अक्टूबर 2025 को, अमेरिका ने रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों - रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil) पर नए प्रतिबंध लगा दिए। ये दोनों कंपनियां रूस की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं. इन पर प्रतिबंध लगने से रूस की तेल बिक्री और आमदनी पर बड़ा असर पड़ सकता है. अमेरिका का कहना है कि यह कदम रूस को यूक्रेन में चल रहे युद्ध और उसकी आक्रामक नीतियों के कारण उठाया गया है. हालांकि, रूस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अमेरिका “ऊर्जा को हथियार बना रहा है.”
भारत की स्थिति: अपनी ऊर्जा सुरक्षा सबसे पहले
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश है, और उसकी ऊर्जा जरूरतों का 85% हिस्सा आयात पर निर्भर करता है. रूस से मिलने वाला सस्ता तेल भारत के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित हुआ है. नई दिल्ली ने कई बार साफ कहा है कि वह किसी देश के दबाव में आकर नहीं, बल्कि अपने राष्ट्रीय हित और ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखकर फैसले लेता है. भारत का कहना है कि उसका उद्देश्य सस्ता और स्थायी ऊर्जा स्रोत सुनिश्चित करना है ताकि देश में महंगाई पर काबू रखा जा सके और आर्थिक विकास जारी रहे.
भारत बोलेगा, अमेरिका नहीं
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शशि थरूर की प्रतिक्रिया केवल राजनीतिक बयान नहीं थी, बल्कि यह भारत की विदेश नीति के मूल सिद्धांत को याद दिलाने वाला संदेश था. भारत अपने फैसले खुद करता है. भारत की कूटनीति हमेशा से “सबसे दोस्ती, किसी का गुलाम नहीं” की नीति पर आधारित रही है. ट्रंप का बयान चाहे अमेरिका की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो, लेकिन भारत के लिए अपनी स्वतंत्र नीति और राष्ट्रीय हित हमेशा पहले रहेंगे.
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