भारत के दो टूक जवाब के बावजूद कश्मीर पर मध्यस्थता की रट लगा रहे ट्रंप, 4 दिन बाद PM मोदी देंगे करारा जवाब!
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा है कि अगर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस दिशा में कोई प्रयास करते हैं तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए. पत्रकार द्वारा ट्रंप की संभावित मध्यस्थता को लेकर पूछे गए सवाल पर ब्रूस ने कहा, “जाहिर है, मैं यह नहीं बता सकती कि राष्ट्रपति के दिमाग में क्या चल रहा है या उनकी आगे की क्या योजना है. लेकिन यह साफ है कि राष्ट्रपति ट्रंप हमेशा वैश्विक स्तर पर देशों के बीच पुराने विवादों को सुलझाने की दिशा में काम करना चाहते हैं.

भारत के बार-बार इनकार के बावजूद अमेरिका ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की संभावना जताई है. अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा है कि अगर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस दिशा में कोई प्रयास करते हैं तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए.
मंगलवार को नियमित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान एक पत्रकार द्वारा ट्रंप की संभावित मध्यस्थता को लेकर पूछे गए सवाल पर ब्रूस ने कहा, “जाहिर है, मैं यह नहीं बता सकती कि राष्ट्रपति के दिमाग में क्या चल रहा है या उनकी आगे की क्या योजना है. लेकिन यह साफ है कि राष्ट्रपति ट्रंप हमेशा वैश्विक स्तर पर देशों के बीच पुराने विवादों को सुलझाने की दिशा में काम करना चाहते हैं. ऐसे में अगर वह कश्मीर जैसे मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करते हैं, तो यह चौंकाने वाली बात नहीं होगी.”
G-7 की बैठक में ट्रंप से सीधे बात करेंगे मोदी!
हालांकि इस बात की पूरी संभावना है कि पीएम मोदी और सरकार कनाडा में होने वाली आगामी G-7 की बैठक में जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रशासन के अधिकारियों जब मिलेंगे तो इन सब मुद्दों पर विस्तार से बात होगी और भारत अपना पक्ष स्पष्ट कर देगा. कहा ये भी जा रहा है कि बैक चैनल ये बातें संबंधित अधिकारियों को बता भी दी गई हैं और हिंदुस्तान की चिंताओं से अवगत करा भी दिया गया है. उम्मीद है भी कि भारत, अमेरिका के किसी भी मध्यस्थता के प्रस्ताव को किसी कीमत पर स्वीकार न किया है न करेगा. हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के पैटर्न को देखते हुए ये बातें साफ हैं कि नई दिल्ली, अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के ऑफिशियल स्टेटमेंट को तवज्जो देगा न कि महज ट्वीट्स को.
अमेरिका का दावा, भारत ने किया खारिज
कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका की मध्यस्थता की पेशकश के बाद अब अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने दावा किया है कि अमेरिका ने पिछले महीने भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिवसीय सैन्य संघर्ष के दौरान युद्ध विराम लाने में हस्तक्षेप किया था. हालांकि भारत ने इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया है. भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक संसदीय समिति को जानकारी देते हुए स्पष्ट किया कि युद्ध विराम का निर्णय दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत से लिया गया था और इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं थी. उन्होंने कहा, "यह फैसला भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य स्तर पर परस्पर बातचीत के बाद हुआ. अमेरिका या किसी अन्य देश ने इसमें मध्यस्थता नहीं की.”
इस बीच, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी अमेरिका के दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तान को संघर्ष विराम के लिए भारत की सैन्य शक्ति ने बाध्य किया, न कि किसी बाहरी दबाव ने. उन्होंने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की निर्णायक सैन्य कार्रवाई ही वह कारण थी जिससे पाकिस्तान को पीछे हटना पड़ा.” जायसवाल ने कश्मीर पर भारत की नीति को दोहराते हुए कहा, "जम्मू-कश्मीर से जुड़े मुद्दे भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय स्तर पर हल किए जाएंगे. भारत का रुख स्पष्ट है पाकिस्तान को अवैध कब्जे वाले भारतीय क्षेत्रों को खाली करना होगा.” उन्होंने यह भी बताया कि 10 मई की सुबह भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कई रणनीतिक ठिकानों को प्रभावी ढंग से निशाना बनाया था, जिससे उसे संघर्ष विराम पर मजबूर होना पड़ा.
ब्रूस ने बातचीत का ब्योरा साझा करने से किया इनकार
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस से उस समय तीखा सवाल पूछा गया जब एक रिपोर्टर ने जानना चाहा कि क्या पाकिस्तान ने आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर कोई ठोस आश्वासन दिया है. यह सवाल पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में हाल ही में वॉशिंगटन पहुंचे पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल और अमेरिकी उपविदेश सचिव एलिसन हुकर के बीच हुई मुलाकात के संदर्भ में किया गया. हालांकि, ब्रूस ने इस पर सीधा जवाब देने से इनकार कर दिया. उन्होंने संक्षेप में कहा, "मैं उन बातचीत के विवरण पर चर्चा नहीं करने जा रही हूं.” इससे संकेत मिलता है कि या तो इस मुद्दे पर बातचीत बेहद संवेदनशील रही, या फिर पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद पर किसी ठोस कार्रवाई का भरोसा नहीं दिलाया गया.
गौरतलब है कि भारत कश्मीर को एक द्विपक्षीय मुद्दा मानते हुए किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को सिरे से खारिज करता रहा है. इससे पहले भी राष्ट्रपति ट्रंप कई बार भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं, जिस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी.